दिल – (कविता)
दिल कुछ गुम-सुम कुछ हैरान सा हैअपने घर में मेहमान सा है,क्या-क्या सहा और क्या सहना हैदिल क्यों आज अंजान सा है। था शहर यह अजनबी पहले भीतन्हाई ज़हर थी…
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दिल कुछ गुम-सुम कुछ हैरान सा हैअपने घर में मेहमान सा है,क्या-क्या सहा और क्या सहना हैदिल क्यों आज अंजान सा है। था शहर यह अजनबी पहले भीतन्हाई ज़हर थी…
बंजारा ख़ुदग़र्ज़ों की बस्ती मेंरोज़ ख़ुद को बहला लेते हैं,किसको जा के घाव दिखाएँख़ुद ही हम सहला लेते हैं। जीते हैं हम इस भ्रम मेंख़ुद में ख़ुद को ढूँढ़ ही…
वक़्त (कैनेडा में साल में दो बार वक़्त बदलने के सन्दर्भ में) सुना है कि कल रात,फिर से वक़्त बदल गयाज़िंदगी का एक हिस्सा,फिर शून्य में मिल गया।पर काश ऐसा…
अच्छा इंसान थके-हारे जज़्बात,जब रातों को उलझने लगते थे,गुम-सुम एहसास,जब सर्द-ऋतु में सुलगने लगते थे,मैं अन्तर्द्वन्द्व की आवाज़, ख़ामोशी से सुनना चाहता थामैं तो बस केवल,एक अच्छा इंसान बनना चाहता…
जगमोहन संघा शैक्षिक योग्यता : एलएलबी.; एम.ए. (इंग्लि श); एम.बी.ए.; पीएच.डी. वर्तमान पता : ब्रैम्पटन,ओंटेरियो, भाषाएँ : हिंदी, पंजाबी, अँग्रेज़ी लेखन व प्रेरणा स्रोत : १४ साल की उम्र से…