उसके श्रम के आँसू – (कविता)
उसके श्रम के आँसू अब्र से कल्पित कोमल चक्षु उसके भींग गए उसके श्रम के आँसू वह हृदय स्थल तक भीत गए मेरी कामना की प्यास का नज़ारा एक यह…
हिंदी का वैश्विक मंच
उसके श्रम के आँसू अब्र से कल्पित कोमल चक्षु उसके भींग गए उसके श्रम के आँसू वह हृदय स्थल तक भीत गए मेरी कामना की प्यास का नज़ारा एक यह…
इस देश में बसंत बैठ मुंडेर पर निहार रहा हैपथिक भ्रांत दृश्य एक सामने उसके रचा हुआ हैरचनाकार का बसंत विशेष दिवास्वप्न-सा आगंतुक अविचल हैऋतुराज का दृश्य नवल नवीनमानो शाख…
सुयोग मैं सुयोग हूँ। मैं टोक्यो विश्वविद्यालय में भौतिकी विभाग में प्रथम वर्ष का पी.एच.डी. का छात्र हूँ। मैं लगभग 3 साल पहले जापान आया था और तब से टोक्यो…