चाँद

चाँद भीबहरूपियाऔर छलिया है कभी तोप्रेमिका केसुन्दर मुखड़े सादिख जाता हैया कभीउसकी याद मेंदिल मेंटीस जगाता है कभी तोचौथ की पूजा के समयबादलों मेंछुपकर सताता हैतो कभी अँधेरी रात मेंराहगीरों कोराह दिखाता है कभी तोदादी की कहानी मेंपीपल के पेड़ वालेभूत को जगाता हैतो कभीशरद पूनम की रात मेंखीर कोअमृत बनाता है कभी तोचंदा मामा … Continue reading चाँद