–डॉ. गौतम सचदेव, ब्रिटेन यक्ष प्रश्न चढ़ गया एक और प्यासाआत्महन्तासीढ़ियां रचकर शवों कीललकतापीने सुनहरास्वर्ग का मृगजल।अभी मुंह रक्त पी खारा हुआ थाहाथ हत्या से रंगेबदले हुए थे बोटियों मेंऔर शव के नाम पर कुछ लोथड़े।छूंछा कफनकुछ गोलियों छर्रों बमों के चंद तमगों को समेटेचाटता था धूलजय-जयकार से अविचल ।खोजते मृगजलबधिक इनसान केपहले वहां पहुंचे … Continue reading यक्ष प्रश्न – (कविता)
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