छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! – (कविता)

डॉ. अशोक बत्रा, गुरुग्राम छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! माँ छूती है बादल जैसेबारिश जैसे, अमृत जैसे!स्पर्श पिता काधूप हो जैसे, सूरज जैसे।दादा दादी नाना नानीकिशमिश जैसे और छुआरे।सखी सहेली भाई बहनाबड़े दुलारे! बड़े ही प्यारे!! पर कुछ लोग हैं छूते ऐसेअंग अंग गल जाते सारे!नयनों में से कीचड़ रिसताहोठों पर पुचपुच औ गुचगुच!और … Continue reading छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! – (कविता)