इस्लामाबाद/नई दिल्ली, 14 नवंबर (आईएएनएस)। सामाजिक-आर्थिक स्तर पर पिछड़े पाकिस्तान में बच्चे अपने बुनियादी हक से भी महरूम रखे जा रहे हैं। ये ऐसे बच्चे हैं जो स्कूल नहीं जा पा रहे। इनकी संख्या 10-20 लाख नहीं बल्कि करोड़ों में है।

पाकिस्तान शिक्षा संस्थान (पीआईई) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 2.5 करोड़ से ज्यादा बच्चे वर्तमान में स्कूल से बाहर हैं, इनमें से 2 करोड़ बच्चे कभी स्कूल ही नहीं गए। सबसे ज्यादा दर्दनाक बात ये है कि स्कूलों में नामांकित न होने वालों में 1,084 ट्रांसजेंडर शामिल हैं।

प्रांत वार आंकड़े जुटाए गए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा बुरा हाल पंजाब का है। यहां 96 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जिनमें 47 लाख लड़के और 48 लाख लड़कियां हैं। वहीं, सिंध में 78 लाख बच्चे शिक्षा से वंचित हैं, जिनमें लड़कों की संख्या 37 लाख और लड़कियों की 40 लाख है। खैबर पख्तूनख्वा (केपी) में 49 लाख बच्चे नामांकित नहीं हैं, जिनमें 20 लाख लड़के और 29 लाख लड़कियां शामिल हैं। बलूचिस्तान में 29 लाख बच्चे स्कूल से बाहर हैं, जिनमें 14 लाख लड़के और 15 लाख लड़कियां शामिल हैं। आंकड़ों से स्पष्ट है कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों को उनके हक से ज्यादा दूर रखा जा रहा है।

राजधानी इस्लामाबाद में भी, 6 से 16 वर्ष की आयु के 89,000 बच्चे स्कूल नहीं जा रहे हैं, जिनमें 47,849 लड़के और 41,275 लड़कियां शामिल हैं।

बात यहीं तक सीमित नहीं है। पीआईई रिपोर्ट चेताती है कि इसमें बढ़ोतरी जारी है यानि स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या में हर साल 20,000 की वृद्धि हो रही है।

इसमें हर बच्चे के शिक्षा के अधिकार को सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। विशेषज्ञ इस बात पर जोर दे रहे हैं कि इन बच्चों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में लाने और उन्हें पीछे छूटने से बचाने के लिए तत्काल नीतिगत कार्रवाई आवश्यक है।

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