Category: कहानी

एक नयी सिन्ड्रेला – (कहानी)

एक नयी सिन्ड्रेला – डॉ संतोष गोयल सिन्ड्रेला की कहानी उसके प्रिय राजकुमार के आने तथा अपने साथ अपने घर ले जाने के बाद समाप्त हो जाती है, पर मेरी…

घर – (कहानी)

घर – चित्रा मुद्गल टूटते जाड़े का वह मटमैला-सा उदास दिन था … शिप्रा, बालकनी से लगे तारों पर मैं कपड़े सुखाकर पलटने को ही थी कि तभी दरवाजे की…

दर्पणों की गली – (कहानी)

दर्पणों की गली – वरुण कुमार “यह रात जैसे दर्पणों की गली हो और तुम एक अकेली चांदनी बनकर निकली हो…” छत की रेलिंग पर भिंचे अपने हाथ की उंगलियों…

जिन्दगी बड़ा सच – (कहानी)

जिन्दगी बड़ा सच – वरुण कुमार अस्पताल का गमगीन माहौल। सभी के चेहरे बुझे हुए। मृत्यु की घटना के ऩजदीक में होने का अनुभव भी कितना अवसन्नकारी होता है। डेड…

मन का प्रहरी – (कहानी)

मन का प्रहरी -शिवानी आज तक मुझे अपनी अन्तःप्रेरणा पर बड़ा गर्व था, पर आज सचमुच ही मेरा दर्प अचानक हाथ से गिर गए दर्पण की भाँति, यथार्थ की धरा…

गूंगा – (कहानी)

गूंगा –शिवानी सर्जन पंड्या को दूर से देखने पर लगता, कोई अंग्रेज़ चला आ रहा है। सुर्ख़ गालों पर सुख, सन्तोष और स्वास्थ्य की चमक थी। उनके हाथ में कुछ…

पीपल, पुरखे और पुरानी हवेली – (कहानी)

पीपल, पुरखे और पुरानी हवेली – अलका सिन्हा चैटर्जी लेन का यह सबसे पुराना, दो तल्ला मकान होगा जिसे समय के साथ नया नहीं कराया गया। नीचे-ऊपर मिला कर लगभग…

धिनाधिन…धिन… धिनाधिन… – (कहानी)

धिनाधिन…धिन… धिनाधिन… -अलका सिन्हा हल्की बरसात के बाद मौसम सुहावना हो गया था। रास्ते में बिछे सुनहले पत्तों से आती चर्र- मर्र की आवाज अस्फुट-सी कुछ कह रही थी जो…

जन्मदिन मुबारक – (कहानी)

जन्मदिन मुबारक – अलका सिन्हा बगल के कमरे से उठती हुई दबी-दबी हंसी की आवाज उसके कमरे से टकरा रही है। ये हंसी है या चूड़ियों की खनक! पता नहीं,…

चांदनी चौक की जुबानी – (कहानी)

चांदनी चौक की जुबानी -अलका सिन्हा बहुत अच्छा गाती हैं आप!”मैंने कहा तो वान्या मुस्करा दी, ”धन्यवाद, मुझे संगीत बहुत प्रिय है।” अबकी बार मैं हंस पड़ी। विदेशी मूल का…

रिहाई – (कहानी)

रिहाई –अलका सिन्हा उम्रकैद की लंबी सजा को तेरह साल में निबटा कर आज वह अपने घर के सामने खड़ा था। टकटकी लगाए वह देर तक उस दरवाजे को घूरता…

एक दिन अचानक – (कहानी)

एक दिन अचानक -ममता कालिया बसन्त को इस बार सिर्फ तीन हफ्ते का मौका मिला लेकिन उसने रस, रंग और गंध का तीन तरफा आंदोलन छेड़ दिया। मेडिकल कॉलेज के…

‘वे जरी के फूल’ – (कहानी)

वे जरी के फूल – सूर्यबाला तब राधा मौसी की शादी थी। और औरतों का कोई ठिकाना नहीं था कि कब वे बरामदे में बिछी दरी पर इकट्ठी हो, ढोल-मजीरे…

‘वाचाल सन्नाटे’ – (कहानी)

वाचाल सन्नाटे – सूर्यबाला मैं उन्हें बहुत पहले से जानती हूं।… मेरे देखते-देखते कहानी बन गई वे। कुल साढ़े छः सात मिनट की कहानी। (साठ सत्तर साल लंबी जिंदगी की।)…

‘दादी और रिमोट’ – (कहानी)

दादी और रिमोट -सूर्यबाला चूँकि इसके सिवा कोई चारा न था… गाँव से दादी ले आई गईं। हिलती-डुलती, ठेंगती-ठंगाती। लाकर, ऊँची इमारतों वाले शहर के सातवें माले पर पिंजरे की…

‘कागज की नावें चांदी के बाल’ – (कहानी)

कागज की नावें चांदी के बाल -सूर्यबाला मैं बहुत छोटी हूँ। वैसा ही वह भी। सिर्फ दो दर्जे उफपरवाली क्लास में। अपनी कोठी की घुमावदार सीढ़ियों पर बैठी मैं रंग-बिरंगे…

‘कहां कहां से लौटेंगे हम…..!’ – (कहानी)

कहां कहां से लौटेंगे हम…..! – सूर्यबाला मेधा, बेटू और साशा, ढाई हफ्तों की बोरियत भरी थकान के बाद अपनी-अपनी सीटों पर लुढ़क लिए हैं। बच रहा मैं, अपनी मनमानी…

नया ठाकुर

सुबह के आठ बजते-बजते सूरज भड़भूजे की भट्ठी की तरह दहकने लगा था। वह पूरा जोर लगाकर लगभग भागते हुए, पीछा कर रहे सूरज के लहकते गोले की लपट से…

Translate This Website »