Category: कविता

हम ‘केवल श्रद्धा’ नहीं – (कविता)

सुनीता पाण्डेय ***** हम ‘केवल श्रद्धा’ नहीं हमें नहीं बहना‘विश्वास-रजत-नग-पग-तल’ मेंहमें बहना है तुम्हारे साथया तुम्हारे समानान्तर. हम जीती जागतीहाड़ मांस कीऔरतें हैंऔरतें नहींइंसान।हमें नहीं चाहिएमहानता का ताजहमें भी सहज…

परिवार- हमारे विश्व कूँजी – (कविता)

लक्ष्मी जयपोल ***** परिवार- हमारे विश्व कूँजी परिवार जीवन के सर्वोत्तम प्राथमिकता हैपरिवार ही जीवन और प्राण हैपरिवार हैतो हम हैपरिवार हमारी पहचान है। परिवार हमें जीवन दान देता हैपरिवार…

रिमझिम बरसात भरी – (कविता)

डॉ॰ अर्जुन गुप्ता ‘गुंजन’ *** रिमझिम बरसात भरी (उड़ियाना छंद) रिमझिम बरसात भरी, सावन सुहावनी।शिव जी का ध्यान धरें, ऋतु है सुपावनी॥नद नाले तृप्त हुए, हरियाली छायी।कोयल की कुहू-कुहू, मन…

छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! – (कविता)

डॉ. अशोक बत्रा, गुरुग्राम छुअन- छुअन में फर्क बहुत है! माँ छूती है बादल जैसेबारिश जैसे, अमृत जैसे!स्पर्श पिता काधूप हो जैसे, सूरज जैसे।दादा दादी नाना नानीकिशमिश जैसे और छुआरे।सखी…

अपनी नागरी लिपि – (कविता)

डॉ. शारदा प्रसाद *** अपनी नागरी लिपि हिंदी हो जन-जन की भाषाहिंदी हो हर-मन की आशा!बने सकल विश्व में सिरमौरऐसी है सबकी अभिलाषा!! सब मिलकर करें प्रयासहर बोली का हो…

करम परब – (कविता)

*** डॉ शारदा प्रसाद करम परब (झारखंड का लोकप्रिय पर्व) भादो माह शुक्ल एकादशीकरम परब लेकर आया!हरियर करम डाल ले भाई आयाबहना का मन हरसाया!! भाई-बहन का पर्व है प्याराकरमा-धरमा…

रक्षा बंधन – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** रक्षा बंधन सावन का पूनम का चंदाआया ले किरणों का उपहार!सकल विश्व मना रहाभाई-बहन का सुंदर त्यौहार!! कलाई सजेगी राखी सेशुभ तिलक लगेगा भाल विशाल!आरती उतारे…

झूलन – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** झूलन झूला झूलैं कृष्ण-कन्हैयामाथे मोर मुकुट अति शोभितबलि-बलि जात हैं नंद-यशोदागोपियों का मन हर्षित- मोहित सावन माह है अति मनभावनझूलैं संग-संग राधा रानी!कृष्ण-कन्हैया के मन बसतीवृषभानु…

आजादी की सुनहरी भोर – (कविता)

डॉ शारदा प्रसाद *** आजादी की सुनहरी भोर सन् सत्तावन से सततचलती रही लड़ाई!तब जाकर आजादी कीपावन शुभ घड़ी आई!! आजादी की बलिवेदी परवीरों ने शीश चढ़ाई!अंग्रेजों के दमन सहेऔर…

आम आदमी – (कविता)

प्राची मिश्रा *** आम आदमी वो मिलता है वो दिन मुझकोअपना सामान समेटे हुएमैली कुचैली इक चादर मेंअपना ईमान समेटे हुए हाड़ मांस की इक जर्जर कायामिलती बोझा ढोते हुएमुख…

आम आदमी अमन चाहता है – (कविता)

प्राची मिश्रा *** आम आदमी अमन चाहता है न कलह चाहता हैन दमन चाहता हैन सत्ता चाहता हैन चमन चाहता हैपिस जाता है फिरभी सियासत के पाटों मेंएक आम आदमी…

अच्छी औरतें – (समाचार)

प्राची मिश्रा *** अच्छी औरतें ज़माने ने समझायाअच्छी औरतें घर में रहती हैंजो अपने मन की बात के अलावासब कुछ कहती हैंजो लड़ती हैं पति से गहने ज़ेवर के लियेपर…

तुम्हारा होना – (कविता)

प्राची मिश्रा *** तुम्हारा होना मेरे दुपट्टे का एक छोरहमेशा तुम्हारा रहेगाजिसमें बेफिक्र होकर तुमपोंछ सको अपने आँसूहां तुमने ठीक सुना!!मैं चाहती हूँ तुम दर्द कोइक्कठा करना छोड़ दोतुम्हारे रोने…

ये आँखें – (कविता)

प्राची मिश्रा *** ये आँखें ये आँखेंबस उतनी ही छलकनी चाहिएजितने में न डूबे ये संसारये धरती और ये मनचीर कर दुःख का सीनाजब पिघलती हैं ये आँखेंपत्थर कर देती…

आलोचक – (कविता)

नरेश शांडिल्य आलोचक उसने मेरे पसीने को पानी कहामैं चुप रहा उसने मेरे आँसू को पानी कहामैं चुप रहा उसने मेरे ख़ून को पानी कहामैं चुप रहा लेकिन जब उसनेअपनी…

अम्मा – (कविता)

नरेश शांडिल्य अम्मा मंदिर की देहरीभजन गाती मंडलीदाना चुगती चिड़ियातुलसी का बिरवापीपल का पेड़छड़ीवॉकरअस्पताल का स्ट्रेचर…जब-जब भी दिखते हैंयाद आने लगती है –अम्मा… सब छोड़ गई अम्मा –अपना हॉल सा…

घास काटती हुई औरत – (कविता)

– नरेश शांडिल्य घास काटती हुई औरत बाग़ मेंघास काट रही है एक औरत पर वैसे नहीं –जैसे गोवा के टापूकाट रहे हैं छुट्टियाँ पर वैसे नहीं –जैसे संसद के…

वैश्विक हिंदी परिवार की उड़ान – (कविता)

डॉ. महादेव एस कोलूर वैश्विक हिंदी परिवार की उड़ान (जून 2020 से जून 2025 के पाँच स्वर्णिम वर्षों पर आधारित) हिंदी के स्वर ने जब सुर छेड़ा,दूर देशों का मन…

बाजार में त्योहार – (कविता)

– शशिकला त्रिपाठी, भारत बाजार में त्योहार अब त्योहार झूमने लगे हैंरसिकों में, जाति विशेष के समूहों मेंक्लबों में, बेड़ों पर, बड़े-बडे होटलों मेंजनता की पहुँच से दूरगाई जाती है…

तुम्हारी नज़र में – (कविता)

– विनोद पाराशर तुम्हारी नज़र में तुम्हारी नज़र मेंजो मैं हूँवो मैं नहीं हूँ।जो मैं नहीं हूँदरअसल-मैं वही हूँ।मेरा-मुस्कराता चेहरा-शानदार पोशाक-चमचमाते जूतेदेखकर-जो तुम समझ रहो होवो मैं नहीं हूँ।जो मैं…

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