
डॉ. कमल किशोर गोयनका
जन्म एवं स्थान: 11 अक्टूबर, 1938, बुलंदशहर (उत्तर प्रदेश)
- दिल्ली विश्वविद्यालय से एम.ए., एम.फिल., प्रेमचंद पर पीएच.डी. एवं डी.लिट्।
- केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा के उपाध्यक्ष।
- प्रवासी हिंदी साहित्य के विशेषज्ञ।
- प्रेमचंद के जीवन, विचार तथा साहित्य के शोध पर लगभग 46 वर्षों से निरंतर कार्यरत तथा शोध एवं अध्ययन की नई दिशाओं का उदघाटन, प्रेमचंद पर आलोचकों की पुरानी मान्यताओं को खण्डित करके नई मान्यताओं एवं निष्कर्षों का प्रतिपादन, प्रेमचंद के हजारों पृष्ठों के लुप्त तथा अज्ञात साहित्य को खोजकर साहित्य-संसार के सम्मुख प्रस्तुत करना।
- प्रेमचंद की, हिन्दी में पहली बार, कालक्रमानुसार जीवनी का लेखन प्रेमचंद पर पीएच.डी. तथा डी.लिट्. करने वाले भारत के एकमात्र शोधार्थी तथा प्रेमचंद संबंधी अपने अनुसंधान-कार्य से प्रेमचंद की एक नई ‘भारतीयता’ से परिपूर्ण मूर्ति की संरचना का महत्वपूर्ण कार्य, प्रेमचंद पर लगभग 350 लेख, शोध-आलेख प्रकाशित।
- प्रेमचंद की जन्म शताब्दी पर दिल्ली में ‘प्रेमचंद जन्म शताब्दी राष्ट्रीय समिति’की स्थापना तथा उसके संस्थापक, महासचिव श्री जैनेन्द्र कुमार की अध्यक्षता तथा प्रो. विजयेन्द्र स्नातक के संयोजकत्त्व में कई राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों का आयोजन।
- प्रेमचंद जन्म-शताब्दी पर लगभग 50 छोटी एवं बड़ी पत्र-पत्रिकाओं को ‘प्रेमचंद विशेषांक’ निकालने के लिए प्रेरित करना तथा रचनात्मक सहयोग।
- प्रेमचंद के मूल दस्तावेजों, पत्रों, डायरी, बैंक पास-बुक, फोटोग्राफों, पाण्डुलिपियों की लगभग 3000 वस्तुओं का संग्रह करना तथा भारत सरकार के सहयोग से सन् 1980 में ‘प्रेमचंद शताब्दी’ पर देश-विदेश में ‘प्रेमचंद प्रदर्शनी’ की आयोजना करना तथा नई दिल्ली टेलीविजन के लिए प्रेमचंद पर एक फिल्म बनाने में प्रमुख रूप से योगदान।
हिंदी जगत के लिए उनका हमारे बीच से जाना अपूरणीय क्षति है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें।
वैश्विक हिंदी परिवार उन्हें श्रद्धांजलि सुमन अर्पित करता है।
डॉ कमल किशोर गोयनका हमारे युग के प्रतिनिधि व्यक्तित्व थे ।
1970 से 2025 तक उनकी यात्रा में साहित्य और विचार के प्रति उनका योगदान महत्वपूर्ण रहा। मेरा परिचय भी उनसे 35 वर्ष पुराना होगा । प्रेमचंद और प्रवासी साहित्य उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र थे। वे कई विश्व हिंदी सम्मेलनों के स्तंभ रहे। उनका जीवन एक समर्पित जीवन था। मेरे सहित, कितने ही लेखकों को उन्होंने लिखने के लिए प्रोत्साहित किया। मुझे केंद्रीय हिंदी संस्थान का दायित्व उनके कार्यकाल के पश्चात मिला। उनके आशीर्वाद और शुभकामनाओं ने मेरा बहुत सहयोग किया। उन्हें हार्दिक श्रद्धांजलि। ॐ शान्ति ॐ
– अनिल जोशी
🙏🙏🙏ओम शान्ति शान्ति शान्ति🌷🌷🌷
परम पिता श्री ईश्वर चरणों में दिवंगत को सद्गति प्राप्त हो यह विनम्र प्रार्थना I
आदरणीय गोयनका जी की क्षति अपूरणीय है I
ओम शान्ति
– श्याम परांडे
गुरुवर्य को
विनम्र श्रद्धांजलि 🌹
दिवंगत आत्मा को शांति मिले।
शोकाकुल परिवार को सहनशक्ति मिले।
आपकी दीर्घकालिक साधना को नमन।
आपका प्रेमचंद संबंधी ज्ञानदान अमर रहे।
– जयशंकर यादव
दुखद समाचार। अभी डॉ कमल किशोर गोयनका जी की बहु रूपाली गोयनका ने सूचित किया है कि आज सुबह अस्पताल में कमल किशोर गोयनका जी का स्वर्गवास हो गया। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे और परिवार को ये असीम कष्ट सहने की शक्ति।
– प्रेम जनमेजय
मित्रवर प्रोफेसर कमल किशोर गोयनका का निधन अति दुखद है ।वे मेरे सहकर्मी थे, प्रवासी साहित्य और प्रेमचंद साहित्य के विद्वान थे। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें सद्गति दे तथा परिवार को इस दारुण दुख को सहन करने की शक्ति दे। विनम्र श्रद्धांजलि।
– विमलेश कांति वर्मा
डॉ. कमल किशोर गोयंका जी का निधन अत्यन्त शोकप्रद ! गोयंका जी का प्रेमचंद साहित्य पर शोध व लेखन अप्रतिम !
ॐ शान्ति !!!
विनम्र श्रद्धांजलि ।
ॐ शांति 🙏
– सुरेंद्र गंभीर
आदरणीय गुरूवर डॉ कमल किशोर गोयनका जी हमारी पीढ़ी और आने वाली पीढ़ियों के लिए अपने आप में एक स्कूल थे। साहित्य की अथाह निधि वो हमारे लिए छोड़ गए हैं। प्रेमचंद के साहित्य का संकलन व संपादन हम तक पहुँचाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। मुझसे उनका परिचय बहुत पुराना रहा है। विश्व हिन्दी सम्मेलन मॉरीशस में रोमा कम्युनिटी पर उनसे विस्तृत चर्चा हुई। बड़े सरोकारों के वृहद कैनवास को विस्तार देने वाले चिन्तक, विचारक को विनम्र श्रद्धांजलि 🙏
– अनिता वर्मा
बहुत दुःखद
कुछ महीने पूर्व उनसे बात हुई थी
उन्होंने कहा था कि वे कुछ और प्रवासी लेखकों की पुस्तकें प्रकाशित करने के इच्छुक हैं। और सामग्री भी माँगी थी।
वे निरंतर साहित्य की सेवा में कार्यरत रहे।
विनम्र श्रद्धांजलि।
ॐ शांति 🙏
– रेखा राजवंशी, ऑस्ट्रेलिया
आदरणीय गोयनका जी से जो मार्गदर्शन, स्नेह और सहयोग मिला उससे कभी विस्मृत नहीं कर सकता। विनम्र श्रद्धांजलि।
– जवाहर कर्नावट
आदरणीय गोयनका जी हम सबके आत्मीय और स्नेही बुज़ुर्ग थे। कैनेडा में स्थिति बिगड़ती देखते तो फोन करके हाल लेते। दो वर्ष पहले उनके घर पर भी उनसे मिलना हुआ था। दो माह पूर्व बात भी हुई थी। उनके साथ साहित्य अकादमी से निकलने वाले प्रवासी साहित्य के तीन खंडों में से एक खंड (कथेतर साहित्य) पर तीन वर्ष से काम भी कर रही थी। बीमारी और आयु किसी को नहीं छोड़ती, यह जानते हुए भी मन अभाव से भर गया है। विनम्र श्रद्धांजलि! ईश्वर उन्हें अपनी शरण में लें।🙏🙏🌺🌺
– शैलजा सक्सेना, कनाडा
सुदूर दक्षिण की मुझे भी स्वर्गीय कमल किशोर गोयनका जी का स्नेह भरा गरिमायुक्त, प्रभावशाली व्यक्तित्व का लगभग बीस वर्षों का परिचय रहा। हिन्दी प्रेमियों के लिए यह अपूरणीय क्षति है। लगता है – मैंने वत्सल, स्नेहिल स्वभाव के अपने हितैषी को खोया है। स्मृति पटल सदा विराजमान पुण्य आत्मा को अश्रुपूरित श्रद्धांजलि ! 🌹🌹🌹
– प्रोफेसर नाणिक्याम्बा “मणि”, हैदराबाद
प्रेमचंद, लेखक एवं उनके साहित्य के आधिकारिक विद्वान कमल किशोर गोयनका जी का महाप्रयाण अत्यंत ही दुखदायी है। वे हिंदी साहित्य के समीक्षा जगत में अमर रहेंगे। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि 🙏🙏
– वरुण कुमार