चले गए भारत की बात बताने वाले मनोज कुमार

भारत की प्रीत और रीत को पूरी दुनिया तक पहुँचाने वाले मनोज कुमार ने आज कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अंतिम सांस ली। मनोज कुमार कई दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे। वहीं, शुक्रवार सुबह उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। 

देशभक्ति फिल्मों के लिए जाने जाने वाले मनोज कुमार का असली नाम हरिकृष्ण गिरी गोस्वामी था। फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम मनोज कुमार रखा।

मनोज कुमार एक्टिंग के साथ शानदार डायरेक्शन के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने देशभक्ति पर बनने वाली कई फिल्मों में न सिर्फ एक्टिंग की बल्कि उन फिल्मों को डायरेक्ट भी किया था। फिल्मों की बात करें तो मनोज को उनकी ‘शहीद’, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’, और ‘रोटी कपड़ा और मकान’, ‘दस नंबरी’ और ‘क्रांति’ के लिए जाना जाता है। भारतीय सिनेमा में उनके योगदान के लिए मनोज कुमार को 1992 में पद्मश्री और 2015 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 

उपकार फिल्म ग्रामीण परिवेश में यथार्थ के धरातल पर बनी वो फिल्म थी जिसमें एक तरफ़ “मेरे देश की धरती“ जैसे गीत थे तो दूसरी तरफ़ “कसमें वादे प्यार वफ़ा सब बातें हैं बातों का क्या“ जैसे मानवीय रिश्तों को परिभाषित किया गया था। इसी फ़िल्म ने प्राण को खलनायक से इतर नए रूप में स्थापित किया था। 

शहीद फिल्म में जहां उनके अभिनय की चर्चा अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हुई थी वहीं ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में प्रेम, जीवन मूल्यों व उस समय की बढ़ती महंगाई को विशेष रूप से परिभाषित किया गया था। ‘पूरब और पश्चिम’ जैसी फ़िल्मों ने भारतीय संस्कृति व मूल्यों को वैश्विक धरातल पर नवीन आयाम देते हुए स्थापित किया था। 

भारत कुमार के जाने के साथ ही उस दौर और पीढ़ी का अंत हो गया जो भारत और भारतीयता का प्रतीक थी। 

– अनीता वर्मा 

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