लंदन केवल एक शहर नहीं है – दुनिया और पश्चिमी सभ्यता की धुरी रहा है । उसे जानने – समझने और उसके मर्म बिंदुओं को समझाने और व्याख्या करने का काम श्री प्रदीप गुप्ता ने अपनी पुस्तक ‘लंदन परत दर परत’ में किया है। वे मुंबई के निवासी हैं और उनके बच्चे लंदन और सिएटल में रहते हैं। जहाँ उनका जाना लगभग प्रतिवर्ष होता है। इस पुस्तक की भूमिका श्री अनिल जोशी ने लिखी है। जिसका शीर्षक है – ‘एक सभ्यता की गाँठें खोलती किताब’। पुस्तक दिलचस्प और महत्वपूर्ण है। दिनांक 18 अगस्त को श्री प्रदीप गुप्ता के निवास पर एक मिलन के दौरान उन्होंने यह पुस्तक श्री अनिल जोशी को भेंट की। श्री अनिल जोशी ने भी उन्हें और श्री रविंद्र कात्यायन जी को अपना काव्य संग्रह ‘मोर्चे पर’ भेंट किया। इस अवसर पर साहित्यकार और विद्वान डॉ रविंद्र कात्यायन, मराठी विद्वान, सरोज शर्मा व उनकी पत्नी भी उपस्थित थी।

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