लेखक, कवि और संस्कृतिकर्मी विजय गौड़ जी को विनम्र श्रद्धांजलि

देहरादून के लेखक, कवि, आलोचक और रंगकर्मी विजय गौड़ का निधन हो गया। बृहस्पतिवार सुबह लगभग 7 बजे उन्होंने देहरादून के मैक्स अस्पताल में अंतिम सांस ली। 56 वर्षीय विजय गौड़ के निधन से साहित्य एवं संस्कृति जगत में शोक व्याप्त है। उत्तराखंड आंदोलन में नुक्कड़ नाटकों के जरिए हिस्सा लेने वाले विजय गौड़ का जन्म 16 मई, 1968 को देहरादून में हुआ था। वह मूल रूप से चमोली जिले के निवासी थे। वह मौजूदा समय में रक्षा संस्थान के उत्पादन विभाग में कार्यरत थे। जीवट से भरे विजय गौड़ आजकल एक नाटक बर्फ की रिहर्सल भी कर रहे थे।

विजय गौड़ बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने कविता, कहानी और उपन्यासों के जरिए साहित्य जगत में अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनके तीन कविता संग्रह- ‘सबसे ठीक नदी का रास्ता’, ‘मरम्मत से काम बनता नहीं’ और ‘चयनित कविताएँ’ प्रकाशित हो चुके हैं। उनकी रचनाओं में समाज के प्रति गहन संवेदनशीलता और मानवीय पक्षों का सजीव चित्रण देखने को मिलता है।

-अनीता वर्मा

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