बर्लिन, 6 जून (आईएएनएस)। भारतीय जनता पार्टी के सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में एक सर्वदलीय भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद के खिलाफ भारत के एकजुट और दृढ़ रुख से अवगत कराने के लिए बर्लिन पहुंचा।

जर्मनी में भारत के राजदूत अजीत गुप्ते ने गुरुवार शाम भारतीय प्रतिनिधिमंडल का स्वागत किया और उन्हें भारत-जर्मनी संबंधों के बारे में जानकारी दी। इस दौरान व्यापार और निवेश, रक्षा, विज्ञान और प्रौद्योगिकी तथा गतिशीलता जैसे कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया।

जर्मनी में भारतीय दूतावास ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “जर्मनी में भारत के राजदूत अजीत वी. गुप्ते ने सांसद रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल को बर्लिन पहुंचने पर जानकारी दी।”

जर्मनी में भारतीय दूतावास ने एक्स पर एक अन्य पोस्ट में कहा, “भारतीय प्रतिनिधिमंडल की चर्चा में भारत-जर्मनी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया, जिसमें व्यापार, निवेश, रक्षा, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और गतिशीलता में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित था।

जर्मनी में भारतीय दूतावास के अनुसार, 5-7 जून तक जर्मनी में अपने प्रवास के दौरान, प्रतिनिधिमंडल जर्मन संसद (बुंडेस्टैग) और जर्मनी के संघीय विदेश कार्यालय के वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों और थिंक-टैंक और जर्मनी में भारतीय समुदाय के प्रमुख प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करेगा।

रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद दग्गुबाती पुरंदेश्वरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर, भाजपा सांसद गुलाम अली खटाना और समिक भट्टाचार्य, कांग्रेस सांसद अमर सिंह, शिवसेना-यूबीटी से प्रियंका चतुर्वेदी, एआईएडीएमके सांसद एम थंबीदुरई और पूर्व राजनयिक पंकज सरन शामिल हैं।

ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत सरकार के चल रहे कूटनीतिक प्रयासों और आतंकवाद के प्रति शून्य सहनशीलता की नीति के “अटूट पालन” के तहत प्रतिनिधिमंडल जर्मनी पहुंचा।

बता दें कि 22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकवादियों ने निर्दोष 26 लोगों की गोली मारकर जान ली थी। जवाब में भारत ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों को ध्वस्त किया। भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी बुनियादी ढांचे के खिलाफ लक्षित हमले किए, जिसके परिणामस्वरूप जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे समूहों से जुड़े 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए।

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