नई दिल्ली, 16 जुलाई (आईएएनएस)। दिल्ली एम्स की प्रोफेसर एवं मीडिया प्रवक्ता डॉ. रीमा दादा ने सरकारी कैंटीनों और रेस्टोरेंट में समोसा, जलेबी जैसे नाश्ते के लिए चेतावनी बोर्ड लगाने के फैसले का स्वागत किया।

दरअसल, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने देशभर के सरकारी कैंटीनों और रेस्टोरेंट में समोसा, जलेबी जैसे नाश्ते के लिए स्वास्थ्य चेतावनी बोर्ड लगाने का सुझाव दिया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वस्थ खानपान के लिए प्रेरित और डायबिटीज जैसी बीमारियों के प्रति जागरूक करना है।

डॉ. रीमा दादा ने कार्यस्थलों पर तेल और चीनी के बोर्ड लगाने संबंधी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेश की तारीफ की। उन्होंने आईएएनएस से बात करते हुए कहा, “हमारे निदेशक डॉ. एम. श्रीनिवास ने पहले ही हॉस्टल कैंटीन और कैफे क्षेत्रों में स्वस्थ भोजन के विकल्प उपलब्ध कराने की पहल की थी। हम तेल और चीनी के बोर्ड भी लगाएंगे, जिन पर उपलब्ध खाद्य पदार्थों में कैलोरी और वसा की मात्रा दिखाई जाएगी।”

उन्होंने कहा, “यह मंत्रालय की एक बहुत अच्छी पहल है, क्योंकि पिछले कुछ दशकों में मोटापा न केवल वयस्कों में, बल्कि बच्चों में भी बढ़ रहा है। टाइप 2 मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियां जो पहले जीवन के तीसरे या चौथे दशक में दिखाई देती थीं, अब बच्चों में भी दिखाई देने लगी हैं। बीमारियों का यह शुरुआती दौर सीधे तौर पर खराब जीवनशैली और खानपान से जुड़ा है।”

मंत्रालय के आदेश के तहत, जहां भी समोसा, जलेबी या अन्य तले-भुने खाद्य पदार्थ बिकते हैं, वहां रंग-बिरंगे पोस्टर लगाना अनिवार्य होगा। ये पोस्टर लोगों को बताएंगे कि इन नाश्तों में कितनी मात्रा में चीनी, तेल और फैट है। इस पहल को मोटापे और गैर-संक्रामक बीमारियों जैसे डायबिटीज और हृदय रोगों पर लगाम लगाने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में 7.7 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं और 2050 तक मोटापे से प्रभावित लोगों की संख्या 44.9 करोड़ तक पहुंच सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »