
जापानी जिजीविषा

वेदप्रकाश सिंह
जापान में इस समय सौ साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या एक लाख के करीब पहुँच रही है। यह संख्या दुनिया में सबसे अधिक जापान में है। हर साल जापान सरकार सौ साल से अधिक उम्र के लोगों की संख्या बताती है। मैंने सबसे पहले जापान में रहते हुए यह खबर जब पढ़ी थी तो मालूम चला था कि जापान में तकरीबन सौ साल से अधिक उम्र के अस्सी हज़ार लोग हैं। यह कुछ साल पुरानी खबर है। तब से हर साल यह आँकड़ा बढ़ता जा रहा है।
क्या कारण है कि दुनिया में सबसे अधिक जीने वाले लोग जापान में इतने अधिक हो रहे हैं? जापान में अगर आपने बूढ़े लोगों को देखा होगा तो इस सवाल का जवाब आपको आसानी से मिल जाएगा। जवाब है जापानी लोगों की जिजीविषा और दिनचर्या। जिजीविषा के कारण उन्होंने अपनी ऐसी दिनचर्या बना ली है जिसका पालन करने के लिए बहुत श्रम की जरूरत पड़ती है। जब मैं भारत में अपने पिताजी से फोन पर बात करते हुए वहाँ के बुजुर्गों और जापान के बुजुर्गों की बात करता हूँ तो एक साफ़ अंतर देखता हूँ कि भारतीय समाज में जिजीविषा और श्रम का महत्त्व लगातार कम होता जा रहा है।
जापान में किसी भी समय और किसी भी जगह बूढ़े लोग अपनी जिन्दगी अच्छे ढंग से बिताते मिल जाते हैं। वे जब तक संभव हो किसी पर निर्भर नहीं रहते हैं। अकेले रहते हुए भी अपने लिए सामान खरीदने जाते हुए रोज ही कितने वृद्ध लोग दिखते हैं। बसों में भी अगर बूढ़े लोग दिखते हैं और आप उन्हें खड़े होकर अपनी सीट छोड़कर बैठने के लिए कहते हैं तो उन्हें अच्छा नहीं लगता है। वे अधिक से अधिक खड़े रहना पसंद करते हैं। ऐसे ही दुकानों पर अगर आप उनकी कोई मदद करने लगें तो उनको बुरा लगता है। आत्मनिर्भरता के कारण उनकी जीवन शैली में इतना श्रम शामिल हो गया है कि सत्तर साल से अधिक उम्र के न जाने कितने लोग मिलेंगे जो साईकिल, स्कूटर या कार चलाते हैं। जापान में सत्तर साल से अधिक उम्र के लोगों को अगर वे कार चलाते हैं तो एक ख़ास स्टीकर अपनी कार के पीछे लगाना पड़ता है। फूल जैसा दिखने वाला वह स्टीकर देखकर मुझे बहुत ख़ुशी होती है कि कितनी बड़ी संख्या में बूढ़े लोग कार चलाते दिखते हैं।
इसी प्रकार हर सुबह पार्क में सिर्फ व्यायाम ही नहीं सफाई करने के लिए इकट्ठे बुजुर्गों की संख्या भी उनकी लम्बी उम्र के कारण को बताती है। सड़कों के दोनों तरफ बरसात के पानी की निकासी के लिए बनाई गई नालियों को साफ़ करते बूढ़े लोग भी दिखाई देते हैं। भारत में दोपहर में जब खाने के बाद आराम का समय माना जाता है तब जापान में न जाने कितने वृद्ध लोग अपने समय का सदुपयोग समाज को सुंदर बनाने और आसपास की जगहों को साफ़ करने में बिताते हैं। अकेले ही वे किसी पार्क में सफाई करते दिख जाते हैं। गंदगी तो वैसे होती ही नहीं है जापान में फिर सफाई किस चीज की करते हैं? पेड़ों से गिरने वाली पत्तियों से नालियाँ बंद हो जाती हैं। इन नालियों से पत्तियों को निकालकर एक ऐसी बड़ी पन्नी में रख देते हैं जिसे खाद बनाने वाले विभाग के लोग गाड़ी में ले जाते हैं। इस तरह हर सड़क, नाली, पार्क बिलकुल साफ़ दिखाई देते हैं।
रिटायरमेंट के बाद न जाने कितने लोग दूसरा काम पकड़ लेते हैं। इससे सिर्फ उनको पैसे ही नहीं मिलते हैं बल्कि उनको अच्छे से समय बिताने का बढ़िया बहाना मिल जाता है। जापान में इसी तरीके से जापान में हर जगह तरक्की दिखती है। टैक्सी चलाते हुए बूढ़े लोग न जाने कितनी बड़ी पोस्ट से रिटायर होकर अपने समय को बिताने के लिए अपने शौक के अनुसार कोई काम पकड़ लेते हैं। पैंसठ साल से अधिक उम्र के काम करने वाले लोग भी पच्चीस प्रतिशत के आसपास हैं जापान में।
इसी तरीके से कहीं घूमने जाने पर बूढ़े लोग बड़े कैमरे लेकर अपने फोटोग्राफी का शौक पूरा करते दिखते हैं। गोल्फ खेलने या ऐसे ही दूसरे शौक भी वे पूरे करने में कोताही नहीं करते हैं। कहीं जाने के लिए कितनी मेहनत करनी पड़ती है। सब जानते होंगे ऐसे में जापान पहाड़ों का देश है और ऐसी कोई जगह नहीं होती जहाँ बूढ़े अकेले या समूह में ख़ुशी-ख़ुशी ऊँची जगहों पर चढ़ते दिखते हैं। वे अपने जीवन के एक-एक क्षण को इतने आनंद के साथ जीते हैं जितना तो शायद हम भी इस उम्र में नहीं जी पाते हैं। इसी तरह से जब मैं अपने बेटे शब्द को तैराकी सिखाने के लिए ले जाता हूँ तो वहाँ कभी दूसरे समय में जाने पर बूढ़े लोग भी मजे से तैरते हुए दिखते हैं।
इस समय सौ साल पूरी कर चुके वृद्ध लोग दूसरे विश्व युद्ध से पहले उन्नीस सौ पच्चीस से पहले जन्मे होंगे। उन्होंने मृत्यु को बहुत पास से देखा होगा। जापान में सिर्फ हिरोशिमा और नागासाकी में नहीं लाखों लोग मारे गए बल्कि जापान के हर स्थान पर अमेरिकी बम बर्षकों ने लाखों बम गिराए और असंख्य लोग इन हमलों से मारे गए थे। इस दृश्य को देखने के लिए उस समय के बच्चों के जीवन को भी देखने के लिए कभी अवसर मिले एक जापानी फिल्म ग्रेव ऑफ़ दी फायर फ्लाईज देखनी चाहिए। इतने पास से मृत्यु को देखने वाले लोग अब सौ पास पार करने के बाद भी उस विभीषिका को याद करते हैं। मृत्यु को चुनौती देते हुए जापान के ये वृद्ध लोग जीवन को इतने अच्छे से बिताते हैं कि उनकी जिजीविषा को देखकर बहुत ख़ुशी होती है।