ढाका, 16 अक्टूबर (आईएएनएस)। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस देश को ‘इस्लामी भीड़तंत्र’ की ओर ले जा रहे हैं, जबकि पश्चिमी देश लोकतंत्र बहाल करने के उनके प्रयासों की सराहना कर रहे हैं। एक रिपोर्ट में गुरुवार को यह दावा किया गया है। 

इसमें आगे कहा गया है कि पिछले महीने ढाका के वेस्टिन होटल में अमेरिकी विशेष बल के एक अधिकारी की रहस्यमय मौत और अमेरिकी दूतावास को निशाना बनाकर हाल ही में दी गई आतंकी धमकी, बांग्लादेश में हो रहे भयावह घटनाक्रम के बारे में पश्चिमी देशों के लिए एक चेतावनी होनी चाहिए, इससे पहले कि बहुत देर हो जाए।

‘यूरेशिया रिव्यू’ की एक रिपोर्ट में विस्तार से बताया गया है, “इस हफ्ते ढाका स्थित अमेरिकी दूतावास द्वारा आसन्न आतंकी हमले की चेतावनी ने बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरपंथ के पुनरुत्थान को स्पष्ट रूप से उजागर कर दिया है, जिसे पश्चिम ने अब तक नजरअंदाज किया है। अमेरिकी राजनयिकों ने दूतावास पर हमला करने की योजना बना रहे तीन संभावित इस्लामी कट्टरपंथियों का विवरण साझा किया है।”

रिपोर्ट के अनुसार, बांग्लादेश पुलिस, जिसने अमेरिकी दूतावास की सुरक्षा के लिए अपनी विशेष इकाइयों, स्पेशल वेपन्स एंड टैक्टिक्स (एसडब्ल्यूएटी) को तैनात किया था, संदिग्धों की पहचान के बारे में चुप्पी साधे हुए है।

इसमें जोर देकर कहा गया है कि यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने पिछले साल अगस्त में सत्ता संभालने के बाद से दर्जनों दोषी इस्लामी आतंकवादियों को जेल से रिहा किया है।

रिपोर्ट में कहा गया है, “पश्चिम में एक सूक्ष्म-ऋण गुरु के रूप में अपनी तमाम लोकप्रियता के बावजूद, यूनुस अपनी अंतरिम सरकार को बनाए रखने के लिए पूरी तरह से जमात-ए-इस्लामी जैसी इस्लामी कट्टरपंथी पार्टियों पर निर्भर रहे हैं। शेख हसीना के कार्यकाल में जमात-ए-इस्लामी पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया गया था कि शरिया-आधारित इस्लामी राज्य की उसकी नीति बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष राजनीति की भावना के विरुद्ध है, लेकिन उसे तुरंत हटा दिया गया। सबसे बुरी बात यह है कि यूनुस प्रशासन ने दर्जनों दोषी इस्लामी आतंकवादियों को जेलों से रिहा कर दिया, जो अब खुलेआम घूम रहे हैं।”

इसमें कहा गया है, “प्रतीकात्मक रूप से सैकड़ों यूनुस समर्थकों ने जुलाई 2016 में ढाका के होली आर्टिसन बेकरी में हुए आतंकवादी हमले के दौरान इस्लामी कट्टरपंथियों से लड़ते हुए शहीद हुए पुलिस अधिकारियों की मूर्ति को तोड़ दिया। पुलिस मूकदर्शक बनी रही, जबकि इस्लामी भीड़ मारे गए आतंकवादियों को नायक मानकर जश्न मना रही थी।”

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि कैसे यूनुस सरकार ने अब 25 सैन्य अधिकारियों को, जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी, फंसा दिया है- उन पर ‘गंभीर मानवाधिकार उल्लंघन’ का आरोप लगाया है और उन पर अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के तहत मुकदमा चलाने की योजना बना रही है।

इसमें दावा किया गया है, “यूनुस ने बांग्लादेश को एक जीवंत जेल में बदल दिया है, जहां हजारों अवामी लीग कार्यकर्ताओं और नेताओं को बड़े पैमाने पर मनगढ़ंत आरोपों में जेल में डाल दिया है, वहीं कई दोषी इस्लामी कट्टरपंथियों को जेल से रिहा कर दिया गया है।”

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