चेन्नई, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु में विल्लुपुरम जिले के कूटेरीपट्टू के पास पुरातात्विक खोज में लगभग 1,000 साल पुरानी चोल काल की पत्थर की कलाकृतियां मिली हैं।

विल्लुपुरम के इतिहासकार सेनगुट्टुवन द्वारा हाल ही में किए गए एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण के दौरान पहचानी गई ये प्राचीन कलाकृतियां, अलाग्रामम गांव और उसके आसपास मिलीं, जो अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए पहले से ही जाना जाता है।

इनमें वैष्णवी देवी, कौमारी और एक बौद्ध आकृति की जटिल नक्काशीदार मूर्तियां शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक को लगभग 10वीं शताब्दी ईस्वी का माना जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह खोज इस क्षेत्र की धार्मिक विविधता और चोलों के शासनकाल में फली-फूली कलात्मक उत्कृष्टता पर नई रोशनी डालती है।

चिकोडी स्ट्रीट जंक्शन पर वैष्णवी देवी की आधी दबी हुई मूर्ति मिली है। देवी को सुंदर ढंग से विराजमान दिखाया गया है, उनकी चार भुजाएं विशिष्ट विशेषताओं से युक्त हैं।

इस मूर्ति की विस्तृत नक्काशी और शांत भाव प्रारंभिक मध्ययुगीन तमिल कला की शैलीगत सटीकता को दर्शाती है। पास ही, चेल्लियाम्मन मंदिर के परिसर में कौमारी की एक और दुर्लभ मूर्ति मिली।

इस खोज में जैन मंदिर मार्ग पर अवलोकितेश्वर (करुणा के बोधिसत्व) को दर्शाती एक बौद्ध प्रतिमा मिली।

पांच सिरों वाले सर्प के नीचे स्थापित यह मूर्ति विल्लुपुरम में बौद्ध और जैन परंपराओं के ऐतिहासिक सह-अस्तित्व की ओर इशारा करती है।

वरिष्ठ पुरालेखविद् विजय वेणुगोपाल ने कहा कि यह खोज “इस क्षेत्र में बौद्ध धर्म के एक समय के जीवंत प्रसार की पुष्टि करती है।”

पुरातत्वविद् श्रीधरन ने पुष्टि की है कि सभी मूर्तियां चोल काल की हैं और संभवतः अब लुप्त हो चुके शिव मंदिर परिसर का हिस्सा थीं।

इतिहासकार सेनगुट्टुवन ने उचित संरक्षण और दस्तावेजीकरण के लिए तत्काल कदम उठाने का आग्रह किया और बताया कि पास में ही एक आधा दबा हुआ उत्कीर्ण पत्थर का स्लैब भी मिला है।

उन्होंने पुरातत्व विभाग (एएसआई) और स्थानीय अधिकारियों से भविष्य के अनुसंधान और संरक्षण के लिए इस स्थल की सुरक्षा करने की अपील की।

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