‘हिंदी चेतना’ पत्रिका

1998 से सेवानिवृत्त होकर श्री श्याम त्रिपाठी जी ने हिन्दी चेतना का श्री गणेश किया। आपने विश्व भर के साहित्यकारों और पाठकों को हिन्दी चेतना से जोड़ा।

अक्तुबर- दिसम्बर 2023 के अंक 100 के साथ हिन्दी चेतना अपने 25 साल पूरे कर, रजत जयन्ती मना चुकी है। कोरोना काल में भी हिन्दी चेतना निरन्तर विश्वभर के पाठकों तक पहुँचती रही। जुलाई-सितम्बर 2024 के अंक 103 के साथ निरन्तर अपनी उपस्थिति बनाए हुए है। श्री सुमन घई, डॉ सुधा ओम धींगरा और अब रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ के सम्पादन में निर्धारित समय पर प्रकाशित होती रही है। हिन्दी चेतना पत्रिका  की वेबसाइट पर जनवरी 2016 से जुलाई  2024 तक के सभी अंक पीडीएफ़ के रूप में मौजूद हैं, जिन्हें विश्व के किसी कोने में  https://www.hindichetna.com/  से  डाउनलोड करके पढ़ा जा सकता है।  जनवरी 2024 से हिन्दी चेतना केवल पीडीएफ़ के रूप में ऑन लाइन उपलब्ध है। कविताकोश के साझा मंच-‘ई-पत्रिकाएँ’ पर इस पत्रिका के अक्तुबर -दिसम्बर 2008 से  अब तक के लगभग सभी अंक पढ़े जा सकते हैं। इन अंको  के लिए लिंक है- हिन्दी चेतना

http://kavitakosh.org/kk/%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%80_%E0%A4%9A%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A4%A8%E0%A4%BE_%E0%A4%AA%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE

  • वर्तमान में- मुख्य सम्पादकः श्याम त्रिपाठी,  सम्पादकः रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’,  सह सम्पादकः कृष्णा वर्मा

हिन्दी चेतना के  कई विशेषांक प्रकाशित हुए, जिनमें प्रमुख विशेषांक – नरेन्द्र कोहली, मदन मोहन मालवीय, डॉ कामिल बुल्के, महाकवि  हरिशंकर आदेश,  प्रेम जनमेजय,  3 लघुकथा, यशपाल, कहानी,  पंजाबी कथा, बाल साहित्य, व्यंग्य, हाइकु, डॉ सुधा गुप्ता पर केन्द्रित हैं ।

नियमित त्रैमासिक  हिन्दी चेतना के अतिरिक्त   हिन्दी चेतना की वेबसाइट पर  भी समय-समय पर महत्त्वपूर्ण रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है।

प्रस्तुति- रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

rdkamboj@gmail.com

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