चित्रा मुद्गल

चित्रा मुद्गल जी का जन्म 10 दिसंबर 1943 को चेन्नई  में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उत्तर प्रदेश के उन्नाव ज़िले में स्थित निहाली खेड़ा और उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविद्यालय में उनकी लिखी पहली कहानी स्त्री-पुरुष संबंधों पर थी, जो 1955 में प्रकाशित हुई।

चित्रा मुद्गल के अब तक तेरह से भी अधिक कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, चार बाल कथा संग्रह, पांच संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उपन्यास ‘आवां’ आठ भाषाओं में अनूदित तथा देश के 6 प्रतिष्ठित सम्मानों से अलंकृत है। चित्रा जी कि प्रमुख कृतियाँ इस प्रकार हैं-

उपन्यास : एक जमीन अपनी, आवां, गिलिगडु पोस्ट बाॅक्स नंबर 203 नालासोपारा, नवटौरा, और तिल भर जगह नहीं।

कहानी संग्रह : भूख, जहर ठहरा हुआ, लाक्षागृह, अपनी वापसी, इस हमाम में, ग्यारह लंबी कहानियाँ, जिनावर, लपटें, जगदंबा बाबू गाँव आ रहे हैं, मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल, आदि-अनादि।

लघुकला संकलन : बयान।

कथात्मक रिपोर्ताज : तहकानों में बंद।

लेख : बयार उनकी मुठ्ठी में।

बाल उपन्यास : जीवक, माधवी कन्नगी, मणिमेख।

नवसाक्षरों के लिए : जंगल।

बालकथा संग्रह : दूर के ढोल, सूझ बूझ, देश-देश की लोक कथाएँ।

नाट्य रूपांतर : पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, सद्गगति तथा अन्य नाटक, बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक।

चित्रा मुद्गल को उनके उपन्यास ‘आवां’ के लिए 2003 में ‘व्यास सम्मान’ दिया गया था। वे तेरहवां ‘व्यास सम्मान’ पाने वाली देश की प्रथम लेखिका हैं। इसके अतिरिक्त उपन्यास ‘आवां’ के लिए चित्रा जी को इंग्लैंड का ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान पुरस्कार’ और दिल्ली अकादमी के ‘हिन्दी साहित्यकार सम्मान पुरस्कार’, सहित अनेक सम्मान भी प्राप्त हुये हैं। वे इन दिनों दिल्ली में रहते हुए सतत साहित्य सृजन में लगी हैं।

पिछले साल आज ही के दिन चेतनामयी  संस्था के आयोजन में उनसे मुलाक़ात हुई । कलम की कारीगरी करने वाली चित्रा जी बहुत कम बोलकर भी अपने स्नेहिल स्पर्श से बहुत कुछ कह गईं। जब मैंने डॉ महीप सिंह, पद्मा सचदेव दी, डॉ जगदीश चतुर्वेदी , कमलेश्वर जी व राजेन्द्र यादव जी का ज़िक्र किया तो उनकी आँखें नम हो गई। सबको अपनी कहानियों के पात्रों व सुघड़ संवादों से इक नई दुनिया में ले जाने वाली रचनाकार चुप्पी की भाषा को समेटे भरी आँखों से बिना कुछ कहे सब सुनती रहीं। अपनी कहानियों के पात्रों से संवाद करने वाली ये रचनाकार स्पर्श की भाषा से भी सिंचित करती हैं।

जन्मदिन की आत्मीय बधाई

अनीता वर्मा

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