विदेश में भारत की बदलती तस्वीर

ध्यातव्य है कि आजादी की ऊंचाई सात आसमान से भी परे होती है। भारत के ‘स्वतन्त्रता दिवस’ के आलोक में वैश्विक हिन्दी परिवार द्वारा सहयोगी संस्थाओं के तत्वावधान में 17 अगस्त 2025 को ‘विदेश में भारत की बदलती तस्वीर’ विषय पर आभासी कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम को गरिमा प्रदान करते हुए मॉरीशस गणराज्य के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम पृथ्वीराज सिंह रूपन ने सभी भारतवासियों और भारतवंशियों को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई दी और भारतवासियों की कर्मठता, जीवटता, सौहार्दता, उदात्तता और सांस्कृतिक मूल्यों की अक्षुण्णता आदि की प्रशंसा की। महामहिम ने डायस्पोरा और अतुल्य भारत ‘साइनिंग इंडिया’ पर हर्ष प्रकट किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए अमेरिका की पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के पूर्व आचार्य डॉ॰ सुरेन्द्र गंभीर ने उदीयमान भारत की आध्यात्मिकता,वेदांतिकता, दार्शनिकता,धर्मभीरुता, अद्भुत वीरता, आर्थिक क्षमता और योग की वैश्विकता आदि का संदर्भ देते हुए वर्तमान समय को भारत का स्वर्णिम काल कहा। साथ ही अङ्ग्रेज़ी के वर्चस्व पर चिंता प्रकट की। उनका कहना था कि पहले  बैंक ऑफ इन्डोनेशिया द्वारा जारी नोट पर गणेश जी की फोटो हुआ करती थी। उन्होने एक विशेष प्रस्तुतिकरण के माध्यम से ‘अमेरिकन वेद’ और ‘द गोल्डन रोड’ नामक पुस्तकों को उद्घृत किया और भारत से प्रभावित होने वाले एमेरसन, व्हाइटमैन, हेनरी, ओपेनहमर जैसी  मशहूर हस्तियों के अलावा संत बने अमेरिकी  मूल के स्वामी तदात्मानन्द,बाबा रामदास और स्वामी आत्मज्ञानन्द आदि का सचित्र वर्णन किया। उन्होने अमेरिका के टंडन स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग, वेद नंद ला यूनिवर्सिटी, डॉ॰ कृष्ण पाल सिंह नैनो टेक्नोलोजी  केंद्र के रूप में भारत की बदलती तस्वीर फोटो सहित प्रस्तुत की और दुर्लभ जानकारी दी। इस कार्यक्रम में देश -विदेश से अनेक साहित्यकार, विद्वान विदुषी, तकनीकीविद, योग साधक, प्राध्यापक,अनुवादक, शिक्षक, राजभाषा अधिकारी, शोधार्थी, विद्यार्थी और भाषा-संस्कृति प्रेमी आदि जुड़े थे।

      आरंभ में दिल्ली से श्री ऋषि कुमार शर्मा द्वारा आत्मीयता से स्वागत किया गया। मॉरीशस गणराज्य के महामहिम का विशेष रूप से स्वागत किया गया और डॉ॰ सुनीता पाहूजा  द्वारा पूर्व राष्ट्रपति का परिचय कराया गया। तत्पश्चात रेल मंत्रालय में राजभाषा के पूर्व निदेशक एवं साहित्यकार डॉ॰ बरुण कुमार ने विद्वत शैली में वैचारिकी व शृंखला सहित बखूबी संचालन संभाला और भारत को पूरे भूमंडल भर का बताते हुए राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियाँ सुनाईं।

    विशिष्ट अतिथि के रूप में अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद के अध्यक्ष एम्बेसडर विनोद कुमार ने स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए समूचे विश्व में भारत की छवि में श्रीवृद्धि करने हेतु सबका आवाहन किया। उन्होंने सूचना क्रांति, प्रवासी भारतीयों के विशेष योगदान, अन्य देशों से संवाद और पर्यटन में उत्तरोत्तर वृद्धि, सौर ऊर्जा और बहुमुखी प्रगति आदि की ओर ध्यान खींचते हुए सामूहिक सतप्रयत्न हेतु अभिप्रेरित किया। विशिष्ट वक्ता के रूप में ब्रिटेन से जुड़े चिकित्सक एवं साहित्यकार डॉ॰ निखिल कौशिक ने तीन लघु कविताओं के माध्यम से भारत के काले धन पर करारा प्रहार किया और ‘ कंपन’ से सांस्कृतिक रोशनी डालते हुए निजदोषदर्शन हेतु अभिप्रेरित किया। स्वीडन के उप्सला विश्वविद्यालय से जुड़े प्रो॰ हाइंस वर्नर वेसलर ने भारत से अपने 40 वर्षों के अनुभव के आधार पर कहा कि निश्चय ही प्रवासी और पर्यटक बहुत बढ़े हैं। दिल्ली में शिक्षा ग्रहण कर चुके प्रो॰ वेसलर ने कहा कि अब इस महानगर में भीड़ से बहुत बदलाव आया है। राजनयिक रूप में भारत बहुत संतुलित हुआ है। रंगभेद कम हुआ है। वैश्विक दृष्टि से चीन को साधना नितांत आवश्यक है। हिंदुस्तान में हिन्दी को हिम्मत से लागू किया जाए। विमर्श में मन्तव्य रखती हुई कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी की डॉ॰ अरुणा अजितसरिया ने विदेश में भारतीय विद्यार्थियों के आचरण और प्रतिभा को सम्मानजनक बताया किन्तु हिन्दी शिक्षण पर पीड़ा प्रकटन के साथ भविष्य का मार्ग प्रशस्त बताया। कनाडा की डॉ॰ आशा बर्मन की अनुभवजनयता थी कि यहाँ नई पीढ़ी का उच्च शिक्षित होना बहुत संतोषप्रद है। सभी प्रवासी एक तरह से भारतीय राजदूत हैं। ऑनलाइन यूपीआई लेन देन में क्रान्ति आई है और योग आदि अनेक क्षेत्रों में कीर्तिमान स्थापित हुए हैं । नीदरलैंड से तकनीकी विशेषज्ञ श्री मनीष पाण्डेय ने कहा कि दुनिया में संतुलन साधते हुए भारत परिपक्व हितैषी और शक्ति है। अन्तरिक्ष में भी भारत की धाक जमी है। जी 20 आदि अनेक सम्मेलनों में भारत की छवि निखरी है। नीदरलैंड में भी सरनामी समुदाय में भारत के प्रति सम्मानजनक सकारात्मक बदलाव सहज ही दृष्टिगोचर हो रहा है।

      सान्निध्यप्रदाता एवं साहित्यकार श्री अनिल जोशी ने महामाहिम पूर्व राष्ट्रपति के उदगार एवं आशीर्वचन के प्रति हृदय तल से कृतज्ञता प्रकट की। उन्होने  सभी वक्ताओं के अनुभव को सराहा और कहा कि भारत अब केवल गुट निरपेक्ष तक सीमित नहीं है बल्कि वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है। पहले लड़ी गई लड़ाइयों से ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नितांत भिन्न रहा। कस्तूरी आत्मनिर्भर भारत खोया हुआ आत्मसम्मान अर्जित कर रहा है। अर्थव्यवस्था चौथे से तीसरे स्थान पर आने हेतु अग्रसर है। बदलते भारत में ज्ञान परंपरा, नवोन्मेषी दृष्टिकोण, सबसे बड़ा डायस्पोरा, वैश्विक वैक्सीन प्रदत्तता, और योग आदि अन्यान्य अनेक क्षेत्रों में विकास के साथ मजबूत हुआ है और वसुधेव कुटुंबकम की भावना के साथ तेजी से आगे बढ़ रहा है।   

     यह कार्यक्रम विश्व हिन्दी सचिवालय, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद, केंद्रीय हिन्दी संस्थान, वातायन और भारतीय भाषा मंच के सहयोग से वैश्विक हिन्दी परिवार के अध्यक्ष श्री अनिल जोशी के मार्गनिर्देशन में सामूहिक प्रयास से आयोजित हुआ। कार्यक्रम प्रमुख एवं सहयोगी की भूमिका का निर्वहन ब्रिटेन की सुप्रसिद्ध प्रवासी साहित्यकार सुश्री दिव्या माथुर और पूर्व राजनयिक सुनीता पाहुजा द्वारा किया गया। अंत में वैश्विक हिन्दी परिवार की ओर से डॉ॰ जयशंकर यादव द्वारा भारत के राष्ट्रीय त्योहार से संबन्धित इस आयोजन में विशेष रूप से मॉरीशस के महामहिम और सभी के प्रति आत्मीयता से कृतज्ञता प्रकट की गई। हर क्षेत्र में भारत की प्रगामी प्रगति और गर्व के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।  यह कार्यक्रम “वैश्विक हिन्दी परिवार, शीर्षक के अंतर्गत यूट्यूबपर उपलब्ध है।

रिपोर्ट लेखन – डॉ॰ जयशंकर यादव

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