हमारी सभी भाषाओं के भीतर एक ही भाव है, हमारी संस्कृति – डॉ. सुरेंद्र दुबे

 वैश्विक हिंदी परिवार,विश्व हिंदी सचिवालय, केंद्रीय हिंदी संस्थान, अंतरराष्ट्रीय सहयोग परिषद्, वातायन तथा भारतीय भाषा मंच के तत्वावधान में 2 नवंबर को शाम 6 बजे “हिंदीतर भाषी क्षेत्र के युवाओं हेतु आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता के विजेताओं/ प्रतिभागियों के अभिनंदन” के लिए ऑनलाइन अभिनंदन समारोह का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए केंद्रीय हिंदी शिक्षण मंडल के उपाध्यक्ष डॉ. दुबे ने कहा कि भाषाएँ अनेक है पर सबके भीतर भाव एक है। कोस-कोस पर पानी बदले, चार कोस पर बानी… इस कहावत के साथ उन्होंने रेखांकित किया कि भारत बहुभाषिक देश है। भारतीय भाषा परिवार उत्तर-दक्षिण, पूर्व-पश्चिम में बँटा नहीं है। हमारी सभी भाषाएँ एक ही परिवार से निकली है, जिसके भीतर का भाव हमारी संस्कृति है। भाषा केवल संवाद या संचार का माध्यम नहीं है, यह संस्कृति की वाहक भी है।

 इस संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य हिंदीतर भाषी क्षेत्र के युवाओं में भारत और हिंदी के रिश्ते को और मज़बूत बनाना तथा राष्ट्रीय समन्वय और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देना था। मुख्य अतिथि शिक्षा संस्कृति न्यास के संयोजक ए. विनोद ने रेखांकित किया कि भाषा को अंतरराष्ट्रीय मंच से जोड़ने का काम वैश्विक हिंदी परिवार कर रहा है। हमें औपनिवेशिक सोच से बाहर निकलना होगा। कार्यक्रम में जापान से जुड़े पद्मश्री तोमियो मिजोकामी ने भारत के नए बच्चों की हिंदी सुनकर प्रसन्नता व्यक्त की। विशिष्ट वक्ता में डॉ. मैथिली पी. राव (महाविद्यालय अध्यक्ष एवं अनुवादक कर्नाटक) ने कहा कि आज के आयोजन से लघु भारत मेरे लैपटॉप में है। आज के बच्चे आत्मविश्वास और दृढ़ता से भरे हैं। डॉ. वी.वेकटेश्वर राव (सेवानिवृत्त सहायक महाप्रबंधक तेलंगाना) ने कहा कि जो हिंदी को अपनाएँगे, हिंदी अवश्य उन्हें अपनाएगी। अनुवादक व भाषाकर्मी नर्मदा कुमारी ने कहा कि भारत की पहचान है बहुभाषाएँ, आवश्यक है इसे कैसे एक बनाए। भाषा की विविधता भरे देश के युवाओं ने अपने विचार बड़े सधे तरीके से रखे। हॉलैंड से डॉ. मनीष पांडेय ने तकनीकी टीम की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि युवाओं की वजह से भाषा का भविष्य स्वर्णिम दिखता है। संचालन महाराष्ट्र से लेखिका स्वरांगी साने ने किया। युवा अतिथि वक्ताओं में भुवनेश्वर से बबली साहू ने काव्य पंक्ति से प्रारंभ किया और विश्व में हिंदी के प्रसार पर जोर दिया। गुजरात से सुस्मिता चौधरी ने इस प्रतियोगिता को ज्ञान वृद्धि का कारक बताया। महाराष्ट्र से कांचन शेलके ने कहा कि हिंदी राष्ट्रीय एकता का प्रतीक है। श्रीनगर से सादिया ज़ोहरा मज़ीद ने बताया कि कश्मीर विवि में 12वीं उत्तीर्ण सभी वि्द्यार्थियों के लिए समग्र हिंदी भाषा पाठ्यक्रम शुरू किया गया है। कर्नाटक से श्रीप्रसाद ने प्रतियोगिता से पूर्व वैश्विक हिंदी परिवार से प्राप्त प्रश्न मंजरी को अन्य प्रतियोगिताओं के लिए भी उपयोगी कहा। महाराष्ट्र से निधि कोरे ने हिंदी को केवल भाषा नहीं भावों की अभिव्यक्ति बताया। अरुणाचल प्रदेश से सोंग ग्रेसी ने कहा कि प्रतियोगिता से उनके हिंदी भाषा ज्ञान में वृद्धि हुई। आंध्र प्रदेश से बल्जि प्रशांति ने कहा कि हिंदी हमें जोड़ती है। पश्चिम बंगाल से किरण यादव प्रतियोगिता के जरिए खुद को परखने की बात कही। तमिलनाडु से बी. स्वेता ने प्रतियोगिता को ज्ञान और सम्मान से जोड़ा। पश्चिम बंगाल से प्रिंस साव ने इसे आत्मविश्वास को बढ़ाने वाला बताया। तेलंगाना से संजय कुमार गुप्ता ने प्रतियोगिता को मील का पत्थर बताया।

स्वागत उद्बोधन इस प्रतियोगिता की समन्वयक एवं सक्रिय भाषा कर्मी सुश्री नर्मदा कुमारी ने किया। पीपीटी प्रदर्शन के माध्यम से डॉ. सुरेश कुमार मिश्र ने प्रतियोगिता की तैयारी से आयोजन परिणाम तक की जानकारी दी तथा धन्यवाद ज्ञापन दिया। वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष व कवि- लेखक डॉ. अनिल जोशी ने प्रतियोगिता की रूपरेखा बताते हुए सुनीता पाहूजा, विनयशील, डॉ. वरुण कुमार द्वारा किए कार्यों की जानकारी दी एवं इस प्रतियोगिता को हिंदीतर प्रांतों की विशेष उपलब्धि बताया। इस अवसर पर डॉ गंगाधर वानोडे, डॉ. जयशंकर यादव, डॉ. किरण खन्ना, डॉ. महादेव कोलूर, विजय कुमार मल्होत्रा, शैलजा सक्सेना सहित देश-विदेश से कई गणमान्य लोग भी उपस्थित थे। इस प्रकार यह कार्यक्रम हिंदीतर  के युवावर्ग को साथ लेकर चलने का एक प्रयास है।

रिपोर्ट- स्वरांगी साने

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