बैंकॉक, थाईलैंड में प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का भव्य स्वागत

शुक्रवार, 3 अप्रैल 2025 बैंकॉक, थाईलैंड बिम्सटेक देशों का छठे शिखर सम्मेलन में प्रवासी भारतीय समुदाय द्वारा माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के बैंकॉक आगमन पर उनका भव्य स्वागत किया गया। जैसे ही वे बैंकॉक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुँचे, वहाँ पहले से उपस्थित भारतीय प्रवासी समुदाय और स्थानीय लोगों का जनसमूह दर्शन के लिए आतुर था। प्रधानमंत्री जी को देखकर उपस्थित जनसमुदाय भावविभोर हो उठा। उन्होंने आत्मीयता के साथ सबका अभिवादन किया — किसी से हाथ मिलाया, तो किसी के सिर पर स्नेह से हाथ फेरा। प्रधानमंत्री जी का काफिला बैंकॉक के होटल पहुँचा, जहाँ विभिन्न भारतीय समुदायों के लोगों ने उनका पारंपरिक और भावनापूर्ण स्वागत किया। कार्यक्रम स्थल पर विविध सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ और भेंट-स्मृतियाँ देखने को मिलीं, जो भारत की विविधता और एकता को दर्शाती हैं: गुजराती समुदाय ने पारंपरिक गरबा नृत्य से स्वागत किया। थाई समुदाय ने मंत्रोच्चार के माध्यम से आध्यात्मिक वातावरण की रचना की। सिख समुदाय ने उन्हें स्वर्ण मंदिर की प्रतिकृति भेंट की। जैन समुदाय द्वारा नवकार मंत्र की प्रस्तुति दी गई। इस्कॉन समुदाय ने उन्हें श्रीमद्भगवद्गीता भेंट की। साथ ही, थाई रामायण ‘रामकियेन’ पर आधारित सांस्कृतिक नृत्य प्रदर्शन भी प्रस्तुत किया गया, जिसने भारतीय और थाई सांस्कृतिक संबंधों की गहराई को दर्शाया।

उनसे मिलने पर थाई और प्रवासी लोगों के अनुभवों में सर्वप्रथम

रामकियेन का प्रदर्शन करने वाले थाई कलाकार : एकालक के अनुभव – बहुत सम्मान और गर्व का क्षण

थाईलैंड में भारतीय दूतावास द्वारा 3 अप्रैल, 2025 को बैंकॉक के मंदारिन ओरिएंटल होटल में भारत के माननीय प्रधानमंत्री, महामहिम नरेंद्र मोदी के स्वागत में रामायण-रामकियेन का प्रदर्शन करने का अवसर दिए जाने पर मैं बहुत सम्मानित महसूस कर रहा हूँ। ICCR छात्रवृत्ति के पूर्व प्राप्तकर्ता के रूप में, मैं भारत में अपने अध्ययन से जो कुछ भी सीखा है, उसे प्रस्तुत करने में बहुत गर्व महसूस करता हूँ। मुझे पूरी उम्मीद है कि यह प्रदर्शन उन लोगों के लिए प्रेरणा का काम करेगा जो इस क्षेत्र में अपने अध्ययन को आगे बढ़ाने की इच्छा रखते हैं। यह कार्यक्रम रामायण-रामकियेन पर मेरे रचनात्मक प्रदर्शन अनुसंधान में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर भी है, जिसने अब अपने अंतिम उद्देश्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है – हमारे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत करने के साधन के रूप में प्रदर्शन का उपयोग करना। मैं उन सभी लोगों के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता व्यक्त करता हूँ जिन्होंने मेरा समर्थन किया है – मेरे गुरु, शिक्षक, साथी कलाकार, संगीतकार, शोध सलाहकार और वे सभी जिन्होंने इस उपलब्धि में योगदान दिया है। आपका प्रोत्साहन और प्रेरणा मेरे लिए बहुत मायने रखती है।

श्रीमद्भगवद्गीता भेंट करने पर श्रील गुरुदेव जी ने कहा- “मुझे निश्चित रूप से उनके व्यवहार और विभिन्न संप्रदायों और जातीयताओं के लोगों के प्रति उनके दृष्टिकोण में सकारात्मक ऊर्जा महसूस हुई, जो असाधारण रूप से स्वागत योग्य है। जब मैंने श्रील प्रभुपाद की भगवद्गीता यथारूप का अपना थाई अनुवाद उनके पास भेजा, तो मुझे निश्चित रूप से बहुत सकारात्मक महसूस हुआ। उन्होंने बहुत विनम्रता से स्वीकार किया और मुझसे पूछा कि मैं कितने समय से थाईलैंड में हूँ? मुझे लगा कि वे मेरे अपने हैं। बेशक हम दोनों गुजराती थे, लेकिन इसके अलावा वे न केवल खुले विचारों वाले हैं, बल्कि व्यक्तिगत रूप से भी बने रहने के लिए उत्सुक हैं। वे मानवता की दिव्य सेवा करने के लिए लंबे समय तक जीवित रहें।”

हवाई अड्डे पर हमारे प्रधानमंत्री से भेट पर प्रवासी विपुल शर्मा कहते हैं- “हम अपने शक्तिशाली, गतिशील और माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से मिलकर गौरवान्वित और विनम्र अनुभव महसूस करते हैं। वह एक महान व्यक्ति और चुंबकीय व्यक्तित्व वाले एक महान वक्ता हैं। उनकी नज़र में हर कोई बराबर है और हम दोनों (मैं और मेरा बेटा) श्री नरेंद्र मोदी जी से आमने-सामने मिलने का सौभाग्य और शानदार अवसर पाकर खुद को बहुत भाग्यशाली और महान अनुभव मानते हैं।”

कैलाश चंद अग्रवाल जी ने भावविभोर होकर कहा- “हवाई अड्डे पर हमारे प्रधानमंत्री से मिलना मेरा अनुभव बेहद संतोषजनक रहा। हमारे दूतावास और डॉन मुआंग हवाई अड्डे पर सैन्य हवाई अड्डे के अधिकारियों द्वारा बहुत अच्छी व्यवस्था की गई थी। हम वहाँ सुबह 11 बजे पहुँचे। भारतीय वायु सेना का विमान उतरा। उन्हें तोपों की सलामी दी गई। जब वे भारतीय प्रवासियों और थाईलैंड के निवासियों की प्रतीक्षा कर रहे उत्साही लोगों से मिलने आए। उनकी नज़र सभी पर थी। उन्होंने सभी को आशीर्वाद दिया और गर्मजोशी से हाथ हिलाया। मैंने उनसे हाथ मिलाया और हिंदी भाषा में कुछ शब्द कहे। यह वास्तव में एक अविस्मरणीय अनुभव था। हम इसे अपनी यादों में संजो कर रखेंगे।”

मैंडरिन ओरिएंटल होटल के बॉलरूम सेविश्व हिंदू परिषद थाईलैंड की अध्यक्षा श्रीमती वैशाली तुषार उरूमकर ने कहा- ” हमारे माननीय प्रधान मंत्री मोदीजी BIMSTEC मीटिंग्स के लिए बैंकॉक में आये है। उनको देखने का सौभाग्य हम बैंकॉकवासियों को कल मैंडरिन ओरिएंटल होटल के बॉलरूम में मिला। उन्हें मिलने के लिए सब बहुत उत्सुक थे. पूरा वातावरण एक अनोखी ऊर्जा से जगमगा गया था.।मोदी जी को देख कर हम सब बहुत प्रसन्न हुए। मोदीजी के यहाँ आने से दोनों देशों में जो प्यार, पर्यटन और व्यापार का रिश्ता पहले से ही है वह और भी मजबूत हो जाएगा। मोदीजी सब देशों को जोड़ने का प्रयास कर रहे है वह प्रशंसनीय है। उनका प्रयास सफल रहे इसके लिए मैं विश्व हिंदू परिषद थाईलैंड की ओर से हमारे मोदीजी को बहुत सारी शुभकामनाएँ देती हूँ। अंत में यही कहना चाहूँगी, मोदीजी है तो सब कुछ मुमकिन है …जय हिन्द जय भारत।”

सांस्कृतिक शोधकर्ता अनीता बोस जी कहती है- “माननीय प्रधानमंत्री जी की Thailand इस BIMSTEC सम्मेलन में आने से बहुत ही अच्छा लगा। यह एक अद्भुत अनुभव है कि उन्हें बैंकॉक में देख सकूँ। थाईलैंड का भारत के साथ प्राचीन संबंध है, जो समुद्री व्यापार, हिंदू-बौद्ध धार्मिक विश्वासों, संस्कृत-पाली भाषा के प्रसार तथा सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से युगों से चला आ रहा है। मोदी जी ने इस संबंध को और सुदृढ़ किया है। मुझे यह अत्यंत सौभाग्य की बात लगी कि मैं रामायण-रमाकियेन के संयोजन से बनी नृत्य-नाटिका को मोदी जी के साथ एक ही कक्ष में देख सकी। मैं दृढ़ता से विश्वास करती हूँ कि माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी की थाईलैंड यात्रा विभिन्न स्तरों पर भारत-थाई संबंधों के लिए आर्थिक से लेकर सुरक्षा तक, सांस्कृतिक से लेकर आध्यात्मिक तक, पर्यटन से लेकर अकादमिक परियोजनाओं तक अत्यंत फलदायी सिद्ध होगी।”

यह कार्यक्रम प्रधानमंत्री मोदी जी के प्रति भारतीय प्रवासी समुदाय के स्नेह, सम्मान और उत्साह का प्रतीक था। उनका यह दौरा न केवल बिम्सटेक सम्मेलन के लिहाज से महत्वपूर्ण रहा, बल्कि भारत-थाईलैंड सांस्कृतिक संबंधों को भी एक नई ऊँचाई देने वाला सिद्ध हुआ।

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