कथा-संग्रह ‘मनिहारिन’ पर विस्तृत चर्चा

27  अप्रैल 2025 की एक अभूतपूर्व संध्या जो समर्पित रही अनेक पुरस्कार व सम्मान से सम्मानित अमेरिका में हिन्दी साहित्य के प्रसार प्रचार में अग्रणी, सुप्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना मंजू श्रीवास्तव ‘मन’ जी के नाम। मंजु जी की अबतक नौ पुस्तकें विविध विधाओं पर प्रकाशित हो चुकी हैं। उनके बहुचर्चित कथा संग्रह ‘मनिहारिन’ पर विस्तृत चर्चा के लिये कैलीफोर्निया की साहित्यकारा रचना श्रीवास्तव जी ने एक कार्यक्रम का आयोजन किया ‘किताबें बहुत कुछ कहती हैं’ । ज्ञात हो इस कथा संग्रह में समकालीन स्त्री समाज की स्थिति, उसके सामने आने वाली चुनौतियां, उसकी आकांक्षाओं का साथ ही समाज के हर वर्ग का पात्रों के माध्यम से सजीव चित्रण किया गया है।

रचना जी ने शानदार संचालन करते हुए सर्वप्रथम मंजु श्रीवास्तव ‘मन’ जी से संग्रह के नाम ‘मनिहारिन‘ रखने का उद्देश्य और कहाँ से उनको इन कहानियों की कथावस्तु मिली आदि प्रश्न किये जिनके बहुत संतोषजनक उत्तर, आत्मविश्वास से भरपूर मंजु जी ने बहुत सहजता से दिये।

साहित्य व हिन्दी सिनेमा के प्रतिष्ठित समीक्षक, द फिल्म फाउंडेशन ट्रस्ट भारत के अंतर्राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. संजय अनंत अमेरिका में आयोजित होने वाली अंतरराष्ट्रीय साहित्य संगोष्ठी में मुख्य वक्ता थे। उनके शब्दों में, “मंजू जी के लिए कत्थक हो या काव्य, सब कुछ एक साधना है, उनका जीवन, लेखन, किसी महान संगीतकार के द्वारा रचित संगीत की तरह लयबद्ध है, कहीं विचलन नहीं, सब कुछ उच्चतम श्रेणी का, आदर्शवाद से परिपूर्ण, किसी ब्रिटिश कुलीन (aristocrat)  परिवार से आने वाली किसी nobel lady का लेखन, जिसमें सब कुछ बड़ी ही नफ़ासत से कहा गया हो ..।

सच तो ये है की इस कथा संग्रह में कथाएं, अंतर मन के भावों के प्रगट करती मानो कविताएं ही है। आप का जुड़ाव पात्र के साथ हो जाता है उसकी पीड़ा उसका हर्ष विषाद, उसकी भावनाएं आप को अपनी ही लगेगी। यही मंजू जी को एक सजग कथाकार बनाता है, उनकी भाषा सरल है, कही कोई प्रयोग नहीं, सीधी सरल शैली में कहानी सुनाना  निश्चित ही पाठकों को रुचिकर लगता है। हम आशा करते है, मंजू जी सृजनशीलता आजीवन बनी रहे ।”

डॉ. ऋतु नन्नन पांडे जी के शब्दों में – “इस कहानी संग्रह में छोटी बड़ी मिलाकर 24 कहानियाँ हैं। हर एक कहानी अपने आप में विशेष है। जैसा की इस संग्रह का नाम है ‘मनिहारिन’।  जिस प्रकार मनिहारिन के पास विभिन्न प्रकार की रंग, बिरंगी चूड़ियों की संग्रह होता है। उसी प्रकार मंजु श्रीवास्तव जी ने इस संग्रह में मानव जीवन की अलग अलग परिस्थितियों को अपनी कहानियों के माध्यम से पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।”

संगोष्ठी को अमेरिका से डॉ दुर्गा सिन्हा, नीदरलैंड से हिन्दी व डच भाषाविद डॉ ऋतु शर्मा, इंदौर से डॉ सुनीता श्रीवास्तव जी ने संबोधित किया। सभी ने कथा संग्रह के शीर्षक, कहानियों के पात्रों, उनके मनोभावों, और लेखिका के भाषा-शिल्प के ऊपर अपने अपने उद्गार व्यक्त करके आलोचनात्मक परिचर्चा की। सभी को कहानियों के शीर्षक जैसे- पल्लू मास्टर, फट्टू, भगवान की किस्मत, हवा का झोंका आदि ने बहुत आकर्षित किया। सभी वक्ताओं के अनुसार हर कहानी अपने आप में अनूठी किंतु पाठक के मन को उससे जोड़ने वाली प्रतीत हुई। मंचासीन सभी प्रबुद्ध जनों ने मंजु जी को उनके संग्रह की सफलता के लिये शुभकामनायें दी।

इस कार्यक्रम को यू ट्यूब के माध्यम से सूरीनाम, फिजी, मॉरिशस, यूरोप, अमेरिका व भारत सहित संपूर्ण विश्व के हिन्दी साहित्य प्रेमियों ने देखा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »