
दिनांक 21.07.2025 को नई दिल्ली के मंडी हाउस स्थित त्रिवेणी कला संगम के त्रिवेणी एम्फीथिएटर में सुप्रसिद्ध गीतकार स्व॰ श्री आनंद बख़्शी की 95वीं जयंती के उपलक्ष्य में कियान फाउंडेशन और अद्विक पब्लिकेशन के संयुक्त तत्वावधान में ‘एक शाम, आनंद बख़्शी के नाम’ शीर्षक से पुस्तक लोकार्पण एवं परिचर्चा का भव्य आयोजन किया गया।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता का दायित्व दिल्ली आकाशवाणी के सेवानिवृत्त निदेशक एवं प्रख्यात गज़लकार श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेई के सशक्त कंधों पर रहा। मुख्य अतिथि की भूमिका का निर्वहन स्व॰ श्री आनंद बख़्शी के सुपुत्र श्री राकेश आनंद बख़्शी ने किया। अतिविशिष्ट अतिथियों के तौर पर मीडियाकर्मी एवं पत्रकार श्री प्रदीप सरदाना उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों की श्रेणी में प्रख्यात रंगकर्मी, फ़िल्म निर्माता एवं अभिनेता श्री रवि यादव, दिल्ली आकाशवाणी के कार्यकारी निदेशक एवं कवि श्री राम अवतार बैरवा, हिन्दी अकादमी के पूर्व उपसचिव एवं कवि श्री ऋषि कुमार शर्मा, वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती वंदना यादव, बाल साहित्य “लोटपोट” से प्रसिद्धि प्राप्त लेखक डॉ हरविंदर मांकड़ तथा लोकार्पित होने वाली पुस्तकों की लेखिका श्रीमती संगीता बिजित मंचासीन रहे। प्रख्यात व्यंग्यकार श्री सुभाष चंदर तथा हंसराज महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ रमा ने सानिध्य प्रदान करके मंच को ओर अधिक सशक्त बनाया। स्वागताध्यक्षा की ज़िम्मेदारी का कर्त्तव्य डॉ शालिनी अगम ने निभाया। संयुक्त संस्थाओं के सर्वेसर्वा और इस भव्य आयोजन का प्रयोजन, नियोजन और क्रियान्वयन श्री अशोक गुप्ता ने सहर्ष स्वीकार्य तन्मयता संग परिपूर्ण किया। कार्यक्रम के संचालन का कार्यभार सुप्रसिद्ध वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती ममता किरण के सशक्त हाथों में रहा, जिन्होंने क्रमबद्ध तरीके से व्यक्तिगत संक्षिप्त परिचय के साथ सभी गणमान्य विभूतियों से मंच पर अपना स्थान ग्रहण करने का अनुरोध किया।

प्रथम चरण में खचाखच भरे सभागार में उपस्थित जनसमुदाय को अपनी जगह पर विराजित करने हेतु गायक श्री संजय तिवारी द्वारा संगीतमय प्रस्तुति के साथ कार्यक्रम को विधिवत प्रारंभ करने का प्रयास किया गया। तत्पश्चात्, रवि पिक्चर्स द्वारा निर्मित स्व॰ श्री आनंद बख़्शी पर आधारित वृत्तचित्र “आदमी मुसाफिर है” शीर्षक के माध्यम से उनके फिल्मी सफर से जुड़े कुछ अनकहे-अनसुने पहलुओं से अवगत कराया गया।
द्वितीय चरण में मंचासीन गणमान्य विभूतियों ने अपने कर-कमलों द्वारा स्व॰ श्री आनंद बख़्शी जी के चित्र पर श्रृद्धा-सुमन अर्पित किए। तत्पश्चात् , संगीतमय प्रस्तुतियों के मध्य संयुक्त संस्थाओं के सर्वेसर्वा एवं इस समारोह के आयोजक श्री अशोक गुप्ता द्वारा मंचासीन गणमान्य विभूतियों को माल्यार्पण, पुष्पगुच्छ, अंगवस्त्र, प्रशस्ति-पत्र, स्मृति-चिन्ह तथा भेंट स्वरूप उपहार प्रदान करके सम्मानित किया गया। इसी बीच डॉ शालिनी अगम ने कियान फाउंडेशन और अद्विक पब्लिकेशन से संबंधित कुछ विशिष्ट जानकारियां सारगर्भित दृष्टिगोचर के माध्यम से सदन के समक्ष प्रस्तुत की।
तृतीय चरण में श्रीमती संगीता बिजित द्वारा स्वरचित और संपादित पुस्तकों “जिंदगी के सफर में आनंद बख़्शी के गीत” (हिन्दी ) तथा “Life Through the Lens of Lyrics” (English) का मंचासीन गणमान्य विभूतियों के कर-कमलों द्वारा विधिवत लोकार्पण परिपूर्ण हुआ। साथ-ही-साथ, लेखिका ने मंचासीन विभूतियों को अपने प्रदेश केरल की साड़ियां भेंट स्वरूप उपहार प्रदान करके उन्हें सुशोभित किया। तदोपरांत, उन्होंने इन पुस्तकों पर विस्तृत आलेख के माध्यम से अपनी सम्पूर्ण साहित्य सृजन यात्रा से संबंधित पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए अवगत कराया कि इसमें मेरे परिवार के सभी सदस्यों माता-पिता, पतिदेव और अन्य का भरपूर योगदान और सहयोग रहा है, तभी यह संभव हो पाया है। इस सृजन में स्व॰ श्री आनंद बख़्शी जी के मात्र दस गीतों को आधार बनाकर मैंने उन्हें अपने जीवन के परिदृश्यों से जुड़ते देख सर्वप्रथम 365 पृष्ठ की हस्तलिखित डायरी सृजित की थी, जिसे मैंने स्व॰ आनंद बख़्शी जी के सुपुत्र श्री राकेश आनंद बख़्शी जी को प्रेषित किया था। उन्होंने ही मुझे इसे पुस्तक का आकार प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया था। आज वह एक स्वप्निल क्षण आप सभी के बीच सदृष्टा एक मूर्त रूप में साकार होकर उपस्थित हुआ है, जो निश्चित रूप से व्यक्तिगत तौर पर मेरे लिए अविश्वसनीय और अकल्पनीय था। इसके लिए उन्होंने श्री राकेश आनंद बख़्शी और अद्विक पब्लिकेशन के प्रति धन्यवाद और आभार ज्ञापित किया। श्री राकेश आनंद बख़्शी ने सदन को श्रीमती संगीता बिजित द्वारा भेजी उस डायरी का अवलोकन कराया। इस सत्र के समापन से पूर्व कुशल संचालिका श्रीमती ममता किरण जी ने अपने कवयित्री अंदाज में सभी मंचासीन विभूतियों को अति संक्षिप्त वक्तव्य के माध्यम से सभागार में उपस्थित जनसमुदाय को अपने उदगारों से लाभान्वित करने के लिए आमंत्रित किया। सभी गणमान्य विभूतियों ने अपने समय के दौर की किस्सागोई के माध्यम से श्री आनंद बख़्शी जी को अपनी स्मृतियों से मानस पटल पर उभरती विस्मृतियों से सदन के समक्ष रखते हुए अपने-अपने संक्षिप्त उदगारों से उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर कृतार्थ किया और समय-सीमा में यह क्रमबद्ध तरीके से परिपूर्ण हुआ।
चतुर्थ चरण में रंगकर्मी, निर्माता और अभिनेता श्री रवि यादव ने श्री राकेश आनंद बख़्शी से साक्षात्कार के अंतर्गत परिचर्चा के माध्यम से उनके पिता, परिवार और उनसे संबंधित पहलुओं पर आधारित प्रश्नों के माध्यम से इस महान विभूति के जीवन से जुड़े कुछ अनकहे-अनसुने और अनछूए पक्षों पर प्रकाश डालते हुए एक अविस्मरणीय संस्मरण प्रदान करने वाली परिचर्चा को सफलतापूर्वक उपस्थित जनसमूह के समक्ष कुशलतापूर्वक प्रतिपादित करने का प्रशंसनीय कार्य किया। इस परिचर्चा को संलग्न समस्त वीडियो के माध्यम से आप सभी सुन सकते हैं।
अंतिम पड़ाव की ओर उन्मुख होते हुए गायक-गायिका युगल श्री संजय तिवारी और सुश्री लिली सिंह द्वारा स्व॰ आनंद बख़्शी जी के रचित कुछ चुनिंदा गीतों की संगीतमय प्रस्तुतियों से सभागार में विराजित श्रोताओं को वाह-वाही के उद्घोषों संग गड़गड़ाती करतल-ध्वनि के साथ दात देने को विवश कर दिया।
इसी पड़ाव पर अद्विक पब्लिकेशन की ओर से सुश्री रिंकल शर्मा, श्रीमती वंदना यादव, सुश्री विभा रानी तथा सुश्री मीनू त्रिपाठी को सर्वश्रेष्ठ रचनाकारों के तौर पर अंगवस्त्र सहित ₹11,000/- की अनुदान राशि प्रदान करके पुरस्कृत और सम्मानित किया गया।
आयोजक श्री अशोक गुप्ता द्वारा सभागार में उपस्थित देश के विभिन्न शहरों और क्षेत्रों से पधारे सभी विद्वतजनों एवं श्रोताओं के प्रति आज के कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए धन्यवाद और आभार ज्ञापित करने के साथ यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट।