सीतेश आलोक जी को अन्तिम प्रणाम 

वरिष्ठ साहित्यकार सीतेश आलोक जी आज, 16 सितम्बर, ब्रह्म मुहूर्त में प्रातः 3:21 बजे ब्रह्मलीन हो  गए। 

अपनी साहित्य साधना में वर्षों से सतत डॉ सीतेश आलोक का घर कभी गोष्ठियों का केन्द्र हुआ करता था ।डॉ. आलोक ने साहित्य की अनेक विधाओं में लेखन करते हुए लगातार कई वर्षों तक हिन्दी साहित्य को समृद्ध किया। 

रेंगती हुई शाम, अँधेरा सवेरा, नासमझ, तुम कहो तो, शोक, दस्तावेज़ (कहानी-संग्रह); 

कैसे-कैसे लोग, विचित्र (लघुकथा-संग्रह);

 बच गया आकाश, यथा संभव, बाज़ार में गुडिया (कविता-संग्रह); 

गीत गुनगुनाते (गीत); 

छोटा सा सपना (गजल); 

सूरज की छुट्टी (बाल गीत);

 महागाथा, (उपन्यास); 

चन्द्र का सुख, तपस्या, सोने की टिकिया, (बालकथा-संग्रह); 

परनिन्दा परम सुखम् (व्यंग्य संग्रह); 

लिबर्टी के देश में (यात्रा-वृत्तांत); 

रामायण-पात्र परिचय (शोध संहिता); 

मोटर साइकिल (सामयिक लेख) उन्होंने लिखे और कई वर्षों तक 

दूरदर्शन एवं आकाशवाणी पर अनेक कार्यक्रम करते हुए सक्रिय रहे। कई 

नाट्य लेखन, निर्देशन एवं अभिनय की दुनिया से जुड़े डॉ सीतेश आलोक को कई 

पुरस्कार-सम्मान जैसे साहित्य सम्मान, कृति सम्मान, साहित्य सेवी सम्मान, राष्ट्रीय हिंदी-सेवी सम्मान, साहित्य-भूषण, मानस संगम साहित्य पुरस्कार, वैज्ञानिक कृति सम्मान, अक्षरम् साहित्य सम्मान, हीरालाल शुक्ल साहित्य सम्मान, सूर्य साहित्य सम्मान मिले। 

साहित्य, संस्कृति और कला की अंग्रेजी त्रैमासिक-प्रतिभा इंडिया के वह संपादक भी रहे। 

अनीता वर्मा , स्थानीय संपादक

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