
चैटियो पगोडा (Golden Rock) : प्रकृति, सौंदर्य और विश्वास की सुनहरी चादर
– आशीष कंधवे
चैटियो पगोडा : पहाड़ों की शांत बाहों में बसे इस पवित्र स्थल पर पहुँचते ही मन जैसे किसी अदृश्य दिव्य स्पर्श से भर गया। हवा में घुली 8 से 9 डिग्री की ठंडक —अपने हर झोंके के साथ एक नया रोमांच जगा रही थी। इस रोमांच में चार चांद गर्म कपड़े न होने के कारण और लग रहा था। नीचे ऊपर चढ़ती उतरती सड़कों से ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे ऊपर आकाश को छूते धुंधले बादलों के बीच से झलकता स्वर्णिम चैटियो किसी दैवी प्रकाश–स्तंभ हो।
यह स्थान सैलानियों और भगवान बुद्ध के भक्तों से भरा हुआ था, परन्तु भीड़ में भी एक अद्भुत शांति थी—मानो मनुष्य का शोर प्रकृति ने अपने आँचल में समेट लिया हो। हर चेहरे पर आस्था की नमी, समर्पण का उजास और विश्वास की झलक एक नई ऊर्जा का संचार पूरे वातावरण में कर रहा था।
और तभी एक क्षण ऐसा आया जिसने मुझे भीतर तक छू लिया—
धुंध की परतों के बीच ऊपर आसमान में तीखे कटार की शक्ल धारण किया हुआ चाँद, हल्की मुस्कान के साथ जैसे मन को बेधता हुआ सामने आ खड़ा हुआ। लगता था जैसे वह चुपचाप हमें अपनी ओर बुला रहा हो, हमारे भीतर सोए किसी सौंदर्यबोध को जगाने के लिए, हमें मुस्कुराने के लिए।
दृश्य ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो प्रकृति और सौंदर्य स्वयं एक–दूसरे के साथ अठखेलियाँ कर रहे हों, और हम इस दिव्य रास–लीला के दुर्लभ साक्षी हों।
पहाड़ों की चोटी से दूर-दूर तक फैली हरियाली, उगते–ढलते बादलों की रुपहली परतें, हवा में उड़ती ठंड की महीन तितलियाँ—सब मिलकर ऐसा अद्भुत संसार रच रहे थे जिसे शब्दों में बाँधना कठिन है। चैटियो की यह यात्रा मेरे भीतर एक अनकही आस्था और अप्रतिम सौंदर्यबोध छोड़ गई।
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चैटियो पगोडा — इतिहास, आस्था और अद्भुत संतुलन का प्रतीक
म्यांमार के मोन स्टेट में पर्वत-शिखर पर स्थित चैटियो पगोडा, जिसे Golden Rock Pagoda कहा जाता है, देश–दुनिया में अपनी अनोखी संरचना और गहन बौद्ध आस्था के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित विशाल स्वर्णिम शिला (Golden Rock) ऐसा प्रतीत होता है मानो किसी अलौकिक शक्ति से संतुलित हो—और ठीक यही मान्यता इसके महत्व को और गहरा करती है।
बौद्ध परंपरा के अनुसार, यह चट्टान भगवान बुद्ध के एक पवित्र बाल (Hair Relic) के कारण संतुलित होकर टिकी हुई है। यही कारण है कि यह शिला सदियों से नहीं गिरी—और हर भक्त के मन में इसे लेकर एक विशेष सम्मान है।
चैटियो पगोडा का इतिहास लगभग 11वीं शताब्दी से जुड़ा माना जाता है। लोककथाओं के अनुसार, इस चट्टान को तीन बुद्ध अवतारों ने आशीर्वाद दिया था। शिला पर स्थित छोटा-सा स्वर्णिम स्तूप लगभग 7.3 मीटर ऊँचा है। श्रद्धालु इसमें सोने की पत्तियाँ चढ़ाते हैं—और मैंने भी अपने हाथों से स्वर्ण पत्र चढ़ाने का सौभाग्य पाया।
यह स्थल प्रकृति और आस्था के अद्भुत संतुलन का प्रमाण है—एक विशाल चट्टान का मात्र एक छोटे आधार पर टिके रहना अपने–आप में चमत्कार जैसा है।
बौद्ध धर्मावलंबियों के लिए चैटियो पगोडा गहन आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। लोग मानते हैं कि यहाँ दर्शन करने से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं, जीवन में शांति, स्थिरता और सद्गति आती है। रात में दीपों की पंक्तियों से चमकता यह स्थल स्वर्गिक आभा से भर उठता है।
यांगून (रंगून) से चैटियो तक की यात्रा
यांगून से चैटियो पगोडा की दूरी लगभग 160–170 किलोमीटर है। सड़क मार्ग से पहुँचने में 4–5 घंटे लगते हैं। आधार-स्थल किंपुन कैंप तक वाहन जाते हैं, इसके बाद पहाड़ी ट्रक यात्रियों को 45–50 मिनट में ऊपर ले जाते हैं। अंतिम पथ पैदल, पालकी या रोप–वे से तय किया जाता है।
मेरे लिए चैटियो पगोडा केवल एक तीर्थस्थान नहीं, बल्कि जीवन की शाश्वत ऊर्जा, सौंदर्य और शांतिमय आलोक का अनुभव था।
यह यात्रा हमेशा मेरे भीतर एक स्वर्णिम स्मृति की तरह चमकती रहेगी।
