प्रेम की अरण्य मेज़ : कला, जीवन और सह-अस्तित्व का अद्भुत उत्सव – (यात्रा डायरी)
प्रेम की अरण्य मेज़ अलका सिन्हा हाल के लंदन प्रवास के दौरान 3 अगस्त 2025 को पैडिंग्टन स्टेशन पर एक अद्भुत सार्वजनिक कला-कृति देखने का अवसर मिला। यह है —…
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प्रेम की अरण्य मेज़ अलका सिन्हा हाल के लंदन प्रवास के दौरान 3 अगस्त 2025 को पैडिंग्टन स्टेशन पर एक अद्भुत सार्वजनिक कला-कृति देखने का अवसर मिला। यह है —…
101 वर्ष : सृजन और सादगी का अमृत पर्व अलका सिन्हा आज के दिन, हम सब सौभाग्यशाली हैं कि शताब्दी साहित्यकार डॉ. रामदरश मिश्र जी का जन्मदिन मना रहे हैं।…
ऑक्सफ़र्ड की ऐतिहासिक ब्लैकवेल बुकशॉप में अलका सिन्हा ऑक्सफ़र्ड की ऐतिहासिक ब्लैकवेल बुकशॉप में प्रवेश करते ही जो पुस्तक सबसे पहले मेरी आंखों में उतरी, वह थी बानू मुश्ताक की…
केंसिंग्टन गार्डन की एक शाम… अलका सिन्हा 3 अगस्त 2025 आज हम केंसिंग्टन गार्डन गए। हरे-भरे पेड़ों के बीच, झील के किनारे टहलते हुए, हंसों और बतखों के साथ खेलते-खिलखिलाते…
सीमा- प्रहरियों की कलाइयों पर बंधे रेशमी धागे – अलका सिन्हा सावन की रिमझिमी फुहार में जब बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र के गीत गाती रेशमी धागों की मोहक…
गोपाल सिंह नेपाली -अलका सिन्हा हिंदी और नेपाली भाषा के सम्मानित कवि गोपाल सिंह नेपाली अपने गीतों के लिए विशेष लोकप्रिय रहे। उन्होंने फिल्मों के लिए भी गीत लिखे और…
समीक्षा के भाषिक आयाम – अलका सिन्हा इसमें शक नहीं कि आजकल लेखक होना बहुत अधिक फैशन में है। यानी सभी लेखक बनना चाह रहे हैं। हद तो यह है…
खुद से खुद की पहचान कराती कहानियां – अलका सिन्हा प्रसिद्ध कथाकार उर्मिला शिरीष के कहानी-संग्रह ‘मैं उन्हें नहीं जानती’ की कहानियों को पढ़ते हुए ब्रॉनी वेयर की लिखी किताब…
https://youtu.be/sDcpca61eAo
सागर के तट पर सागर की पारदर्शी देह पर थिरकती हैंरहस्य और रोमांच से आह्लादित लहरेंरेतीली जमीन पर लिखती हैंप्रेम की अमिट कहानियां…समर्पित होने से ठीक पहलेआवेग से आती हैंपुरजोर…
सिरहाने में रखी है किताब कई दिनों तक पड़ी रहींमेरी पसंद की किताबेंमेरे सिरहानेपढ़ती रही मैं उन्हेंकिसी-किसी बहाने। कभी नींद लाने की कोशिश मेंतो कभी जाग जाने की खातिरकभी खुदबुदाते…
समर्पित अहसास हैं बहुत ही खास कुछ अहसास मेरे पासकर रही हूं आज वो तुमको समर्पित। मुट्ठियों में हूं सहेजे बालपन की गिट्टियांभेज न पाई कभी जो प्रेम की कुछ…
शिवोहम् आंखों की नमी से गूंदती हैज़िन्दगी का आटाथपकियां दे देकर चकले की धार परगोल-गोल घूमती हैरिश्तों की आंच पर रोटी के साथ-साथसिंकती है खुद भीउनके लिएबड़के और छुटकी के…
जिंदगी की चादर जिंदगी को जिया मैंनेइतना चौकस होकरजैसेकि नींद में रहती है सजगचढ़ती उम्र की लड़की कि कहींउसके पैरों से चादर न उघड़ जाए। ***** – अलका सिन्हा
पीपल, पुरखे और पुरानी हवेली – अलका सिन्हा चैटर्जी लेन का यह सबसे पुराना, दो तल्ला मकान होगा जिसे समय के साथ नया नहीं कराया गया। नीचे-ऊपर मिला कर लगभग…
ई-मुलाकात@फेसबुक.कॉम – अलका सिन्हा 20 अगस्त, 2013 याद नहीं रखा तो भूल भी नहीं पाई कि आज की ही तारीख को रात नौ बजे का समय मुलाकात के लिए तय…
बेइन्तहा मुहब्बत सच है, मैंने किया है तुमसे अटूट प्रेमबेइन्तहा मुहब्बतले ली है दुनिया भर से लड़ाईपर जुनून ही न हुआ तो मुहब्बत कैसीसच है, मैंने दीवानावार चाहा है तुम्हें।…
रूहानी रात और उसके बाद – अलका सिन्हा 03 सितंबर, 2008 21 अगस्त से 31 अगस्त, 2008 तक यूके हिंदी समिति और नेहरू सेंटर, लंदन द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलन…
भंडारघर पहले के गांवों में हुआ करते थेभंडारघर।भरे रहते थे अन्न से, धान से कलसेडगरे में धरे रहते थेआलू और प्याज़गेहूं-चावल के बोरेऔर भूस की ढेरी मेंपकते हुए आम।नई बहुरिया…
बौन्जाई कद्दावर वृक्ष की जड़ गमले में लगानासच-सच बतलानाकैसी चतुराई हैऔर जो ये थोड़ी-सी जमीन मेंपीपल बरगद जैसी छतनार सी पनप आई हैये तो एक औरत हैतुम कहते हो बौन्जाई…