शिक्षक दिवस के उपलक्ष में आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मलेन

दिनांक 05.09.2024 को पूर्व राष्ट्रपति डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती अर्थात् “शिक्षक दिवस” के उपलक्ष्य में हिन्दी अकादमी, दिल्ली एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के उत्तरी कैंपस के प्रतिष्ठित महाविद्यालय श्री राम कॉलेज आफॅ कॉमर्स के संयुक्त तत्वावधान में “संगोष्ठी एवं कवि सम्मेलन” का भव्य आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता के दायित्व का निर्वहन श्री राम कॉलेज आफॅ कॉमर्स की प्राचार्या प्रो॰ सिमरित कौर ने किया। मुख्य अतिथि के तौर पर हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपाध्यक्ष, श्री राम कॉलेज आफॅ कॉमर्स के एलयूमिनी, विख्यात हास्य-व्यंग्य कवि पद्मश्री श्री सुरेन्द्र शर्मा विराजमान रहे। वक्ताओं की श्रेणी में डॉ अंबेडकर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एवं जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक प्रो॰ अभय कुमार दुबे तथा श्री राम कॉलेज आफॅ कॉमर्स के हिन्दी विभाग के प्रोफेसर डॉ रवि शर्मा ‘मधुप’ तथा हिन्दी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग भी मंचासीन रहे। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी अकादमी के उपसचिव श्री ऋषि कुमार शर्मा के सशक्त हाथों में रहा।

कार्यक्रम का शुभारंभ मंचासीन विभूतियों एवं आमंत्रित कवियों-कवयित्री के कर-कमलों द्वारा दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। तदोपरांत अध्यक्षा प्रो॰ सिमरित कौर ने पदमश्री सुरेन्द्र शर्मा को स्मृति-चिन्ह, भेंट स्वरूप उपहार एवं पुस्तकें प्रदान करके सम्मानित किया। साथ ही, जहां एक ओर प्रो॰ सिमरित कौर ने अन्य मंचासीन विभूतियों को भी भेंट स्वरूप उपहार एवं पुस्तकें प्रदान करते हुए सम्मानित किया। वहीं दूसरी ओर, हिन्दी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग ने प्रो॰ सिमरित कौर को भेंट स्वरूप पुस्तकें प्रदान कर हिन्दी अकादमी की ओर से सम्मानित किया।

सभागार में उपस्थित जनसमुदाय का प्रांगण में पधारने पर स्वागत करते हुए अपने उद्बोधन में प्रो॰ सिमरित कौर ने अवगत कराया कि कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा हमारे महाविद्यालय के पुराने विद्यार्थी रहे हैं। उन्होंने वर्ष 1962 में स्नातक की डिग्री हासिल कर ली थी, जबकि वह स्वयं पैदा भी नहीं हुई थी। आज मैं इस महाविद्यालय की प्राचार्या हूं। यह मेरे लिए गौरवान्वित महसूस करने का क्षण है। आज की युवा पीढ़ी को इंगित करते हुए रेखांकित किया कि जीवन में मौलिक ज्ञान गुरूओं की शरण में बैठकर ही अर्जित किया जा सकता है। इसी पंक्ति में शिक्षक भी आते हैं, जिनका दायित्व और कर्त्तव्य शिक्षा के साथ-साथ शिष्यों को कुशल और नैतिक मूल्यों पर आधारित जीवन के उपयोग में आने वाली ज्ञान की शिक्षा प्रदान करना है।

हिन्दी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग ने अपने उद्बोधन में दृष्टिगत किया कि सोशल मीडिया की नेटवर्किंग पर प्रचारित और प्रसारित ज्ञान को यथावत सत्य स्वीकार कर लेने से ज्ञानार्जन नहीं होता है। जीवनोपयोगी वास्तविक ज्ञान तो गुरु के सानिध्य और शरण में ही उपलब्ध हो सकता है।

तत्पश्चात्, कार्यक्रम के प्रथम चरण में ‘शिक्षक दिवस’ शीर्षक विषय पर श्री राम कॉलेज आफॅ कॉमर्स के हिन्दी विभाग प्रो॰ डॉ रवि शर्मा ‘मधुप’ ने अपने वक्तव्य के माध्यम से डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जीवनचरित्र पर दृष्टिपात करते हुए रेखांकित किया कि शिक्षक धन की लोलुपता से परे सम्मान की अपेक्षा से ही शिष्यों को ज्ञानार्जन कराता है। उसका यही कर्म ही राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में सशक्त राष्ट्रीय जनसेवकों की पौध को तैयार करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

अंबेडकर विश्वविद्यालय से पधारे प्रो॰ अभय कुमार दुबे ने ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ शीर्षक विषय पर वक्तव्य के माध्यम से दृष्टिगोचर प्रस्तुत किया। उन्होंने अवगत कराया कि भारतीय ज्ञान परंपरा एवं संस्कृति को सात आयामों – ‘श्रुति, स्मृति, शास्त्र, पुराण, दर्शन, नीति एवं महाकाव्य’ में विभाजित किया गया है, जो वर्तमान समय में भी प्रासंगिक हैं। दुर्भाग्यवश, लगभग 250 वर्षों से इनका उपयोग ही नहीं हुआ है। उन्होंने तिथि विशेष दिनांक 02.02.1833 को लार्ड मैकाले के सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित लेख का उल्लेख करते हुए इन मूल्यों के प्रति आई विक्षिप्तता को दृष्टिगत किया। वर्ष 1922 में प्रकाशित ‘ब्यूरो रिपोर्ट’ का भी हवाला दिया, जो सोशल मीडिया नेटवर्किंग साइट्स पर ‘वेस्टर्न सोशल थ्योरी’ नाम से उपलब्ध है। वर्तमान समय में ‘भारतीय ज्ञान परंपरा’ को प्रासंगिकता का राष्ट्रीय ऐजेंडा बनाया जाना चाहिए। तभी डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सच्ची श्रद्धांजलि अर्पित की जा सकती है।

कार्यक्रम के प्रथम चरण के समापन पश्चात् द्वितीय चरण का आगाज़ किया गया, जो कवि सम्मेलन के लिए निर्धारित किया गया था। हिन्दी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग ने आमंत्रित कवियों-कवयित्री को पुस्तकें प्रदान कर सम्मानित किया। कवि सम्मेलन का संचालन प्रसिद्ध कवि श्री दीपक गुप्ता के सशक्त कर-कमलों में रहा।

कवि सम्मेलन के प्रारंभिक क्षणों में फालना, राजस्थान से पधारी कवयित्री सुश्री कविता किरण ने सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ अपनी रचनाओं का काव्यपाठ किया। तत्पश्चात्, क्रमबद्ध तरीके से उत्तर प्रदेश के एटा से आए युवा शक्ति के ओजस्वी वाणी गीतकार एवं कवि श्री प्रशांत देव मिश्र और फर्रुखाबाद से पधारे युवा गज़लकार श्री वासु पांडे तथा सुप्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कवि श्री महेन्द्र अजनबी एवं प्रसिद्ध कवि और संचालक श्री दीपक गुप्ता ने अपनी-अपनी काव्य रचनाओं के माध्यम से सभागार में उपस्थित गणमान्य विभूतियों के साथ भारी संख्या में विद्यमान युवा छात्र-छात्राओं को मंत्रमुग्ध तो किया ही, प्रत्येक रचना के बाद वाह-वाही बटोरने के साथ-साथ तालियों की गड़गड़ाहट से समस्त वातावरण को भाव-विभोर कर गुंजायमान कर दिया।

कवि सम्मेलन के अंतिम पड़ाव पर अब बारी आई अपने अनूठे अंदाज वाले हास्य-व्यंग्य के शिरोमणि पद्मश्री सुरेन्द्र शर्मा जी की। काव्यपाठ से पूर्व अपने मुख्य आतिथ्य उद्बोधन में शिक्षक पर रेखांकन के साथ परिलक्षित किया कि “शिक्षक सम्राट बनता नहीं है, बल्कि सम्राट बनाता है।” उन्होंने कौटिल्य अर्थात् चाणक्य और चंद्रगुप्त एवं श्रीकृष्ण और अर्जुन के गुरु-शिष्य प्रकरणों को समक्ष रख आवाहन किया कि यदि जिंदगी में आज बेहतर जीना सीख जाओगे, तो कल ओर बेहतर हो जाओगे। तत्पश्चात्, अपने चिर-परिचित अंदाज में अपनी श्रेष्ठतम रचनाओं के काव्यपाठ से सभागार के समस्त जनसमुदाय को जहां एक ओर, अपनी जगह पर खड़े होकर स्टेंडिंग ओवेशन देने को विवश किया। वहीं दूसरी ओर, तालियों की गड़गड़ाहट से उनके प्रति स्वागत और अभिनन्दन अर्पित करने को बाध्य कर दिया।

श्रोता-दीर्घा में उपस्थित उल्लेखनीय गणमान्य विभूतियों में पार्षद श्रीमती भावना शर्मा, साहित्यकार डॉ प्रभात कुमार, डॉ सुधा शर्मा ‘पुष्प’ तथा आकाशवाणी दूरदर्शन कलाकार, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, अधिवक्ता एवं गद्य-लेखक श्री कुमार सुबोध इत्यादि प्रमुख रहे।

डॉ रवि शर्मा ‘मधुप’ द्वारा सभागार में उपस्थित गणमान्य विभूतियों एवं युवा शक्ति का अभिनंदन ज्ञापित करते हुए कृतज्ञतापूर्वक धन्यवाद और आभार व्यक्त करने के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।

सौजन्य- सुबोध कुमार व प्रस्तुति- अनीता वर्मा

One thought on “शिक्षक दिवस के उपलक्ष में आयोजित संगोष्ठी और कवि सम्मलेन”
  1. बहुत बढ़िया आयोजन व रिपोर्टिंग । बहुत सुन्दर प्रस्तुति व चित्र

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