हिंदी का व्यवहार तथा उसका प्रचार-प्रसार करने वाली एक संस्था ‘वागीश अंतरराष्ट्रीय संस्था यू.ए.ई.’ ने अभी एक ऐसा कदम उठाया है जैसा कभी पहले सुनाई नहीं दिया। संस्था ने मार्च 2024 में 5 सम्मानों की घोषणा की जिसके लिए आवेदकों से उनकी रचनाओं की पांडुलिपियाँ मँगाई गईं। उनकी गुणवत्ता और श्रेष्ठता का मूल्यांकन कर तथा पूर्व-निर्धारित आयु-वर्ग के आधार 5 रचनाकारों को घोषित सम्मान देने के साथ-साथ ही उनकी पांडुलिपि का पुस्तक रूप में प्रकाशन करवाने का बीड़ा उठाया। हाल ही में कुछ दिवस पूर्व इसके परिणामों की घोषणा हुई है जिससे विजेता रचनाकारों में अत्यंत उल्लास का वातावरण छा गया।

I प्रथम पुरस्कार हेतु पुरस्कृत कृति एवं नामित सम्मान के विजेता रचनाकार हैं-

 1.      वागीश श्री शिवशंकर गुप्ता सम्मान – ‘बूँद भर सागर’ – यशपाल सिंह ‘यश’

2.       वागीशा सुश्री शांति देवी सम्मान – ‘कमल-कुँज के मधुकर’ – शकुंतला मित्तल

3.       वागीश श्री राम अवतार गोयल सम्मान – ‘आयुग्रंथ के पृष्ठ’ – अभय पाण्डेय ‘वशिष्ठ’

4.       वागीशा सुश्री बिमलेश गोयल सम्मान – ‘नीले रंगों वाला सियार’ – डॉ. लता अग्रवाल ‘तुलजा’

5.       वागीश श्री महेंद्र कुमार गुप्ता सम्मान – ‘मैं स्त्री हूँ’ – डॉ. नीता अग्रवाल ‘निधि’

II ₹ 1500/- सम्मान-राशि द्वारा पुरस्कृत कृति व उनके रचनाकार हैं-

1.       तितली वाली उम्र – अखिलेश श्रीवास्तव चमन

2.       मन हुआ फकीरा – अनीता वर्मा

3.       साइबर अपराध एवं सुरक्षा कानून – शकील अंजुम

4.       समुद्री कमल – डॉ. प्रियंका सोनी ‘प्रीत’

5.       अरणी – डॉ. गौरी

III ₹ 1000/- सम्मान-राशि द्वारा पुरस्कृत कृति व उनके रचनाकार हैं-

1.       चुप्पी के नेपथ्य में –  प्रो. (डॉ.) योगेंद्र नाथ शुक्ल

2.       अनुभूतियों की सरगम – सुनीता माहेश्वरी

3.       दीप ज्योति – प्रो. सौरभ

4.       कलि रुक्मणि – गरिमा जोशी पंत

5.       बज्जर – तारावती सैनी ‘नीरज’

IV ₹ 500/- सम्मान-राशि द्वारा पुरस्कृत कृति व उनके रचनाकार हैं-

1.       कविता के जरिये – दिलीप जैन

2.       यादों के जुगनू – सीमा जैन

3.       हिन्दी भाषा की विश्वव्यापकता – डॉ. जयंतिलाल. बी. बारीस

4.       लौंग – डॉ. रंजना जायसवाल

5.       अनकहे किस्से – शिखा मनमोहन शर्मा

इसके लिए संपूर्ण भारत से सहायतार्थ प्रकाशन के लिए पांडुलिपियाँ आमंत्रित की गई थीं। इस परियोजना के अंतर्गत कुल 55 पांडुलिपियाँ नियम के अनुसार पाई गईं जिनका मूल्यांकन अंतरराष्ट्रीय ख्याति-प्राप्त 16 सुधी-मनीषियों से बनी निर्णायक समिति ने अथक परिश्रम कर निर्धारित मानदंडों के अनुरूप किया। मूल्यांकन प्रक्रिया के दौरान रचनाकार प्रतिभागियों के नाम गुप्त रखे गए ताकि मात्र श्रेष्ठता व गुणवत्ता के आधार पर अंक दिए जा सकें।

यह अपने आप में अनूठा उपक्रम है जिसमें सम्मानित रचनाकारों की प्रस्तुत पांडुलिपि का पुस्तक रूप में प्रकाशन कराने का उत्तरदायित्व व व्यय संस्था वहन करेगी और 40-40 प्रतियाँ लेखक को उपहार स्वरूप भेंट करेगी। अन्य प्रतिभागी रचनाकारों में से 15 अन्य को उत्तम प्रदर्शन को प्रेरित करने तथा हिंदी लेखन को बढ़ावा देने के लिए संस्था ने कुल 15000/- रुपए की रकम के ईनाम की भी घोषणा की है। 

वागीश संस्था की संस्थापक अध्यक्ष डॉ. आरती ‘लोकेश’ का कहना है कि इतने बड़े कार्य का उत्तरदायित्व उठाना सरल न था। ऐसा विचार गत वर्ष से ही उनके मन-मस्तिष्क में घुमड़ रहा था। इसमें उनके परिवार का अनन्य सहयोग व समर्थन उन्हें मिला तो वे इस वर्ष इसका श्रीगणेश करने का साहस जुटा सकीं। उनके इस उपक्रम से अति प्रसन्न होकर अन्य 10 अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ भी उनका साथ देने के लिए आगे आईं। डॉ. आरती ने हमें बताया कि वे इस कार्य को परिणति तक पहुँचाकर बहुत संतुष्ट और प्रफुल्ल अनुभव कर रही हैं। उन्हें सबसे अधिक खुशी इस बात की है कि पुरस्कृत 5 में से तीन रचनाकारों की यह पहली पुस्तक होगी जो संस्था के बैनर तले प्रकाशित होगी। उनका मानना है कि उन्होंने यह योजना इस कारण ही बनाई थी कि वित्तीय सहायता के अभाव में अच्छा साहित्य प्रकाशित होने से और साहित्य के पाठकों तक पहुँचने से वंचित न रह जाए। बहुत सीमा तक संस्था अपने उद्देश्य में सफल रही है। इस सम्मान समारोह को अगस्त में किए जाने पर विचार किया जा रहा है।

संस्था ने पहले भी ‘हिंदी दिवस’ ‘स्वतंत्रता दिवस’ आदि पर निशुल्क प्रतियोगिताओं का आयोजन किया है और विजेताओं को प्रमाण-पत्र आदि दिए हैं। साहित्यिक भ्रमण के दुबई आने वाले भारतीय प्राध्यापकों के कई समूहों का स्वागत तथा रचनाकारों को सम्मानित भी संस्था करती आई है। बलकों में हिंदी के प्रति प्रेम जागृत करने और प्रोत्साहन के लिए भी संस्था कई योजनाएँ क्रियान्वित कर चुकी है। भविष्य में भी ऐसी योजनाएँ जारी करते रहने पर संस्था विचारशील है।

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