गुरु नानक देव खालसा कॉलेज में आयोजित “हिन्दी का भविष्य और भविष्य की हिन्दी” संगोष्ठी कार्यक्रम

इस कार्यक्रम ने छात्रों के बीच हिंदी के विकास और रोजगार के अवसरों पर सार्थक संवाद स्थापित किया। ‘मंथन’ हिंदी साहित्य सभा द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार विपुल ने अपने वक्तव्य में हिंदी भाषा की संभावनाओं और उसके भविष्य को लेकर गहन चर्चा की।

डॉ. विपुल ने बताया कि पत्रकारिता में भाषा का गहन ज्ञान अत्यंत महत्वपूर्ण है। विशेषकर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और न्यू मीडिया के तेजी से बढ़ते दायरे में। उन्होंने प्रभावी हिंदी लेखन की महत्ता पर बल दिया ताकि पत्रकार बेहतर ढंग से पाठकों तक पहुँच सकें। कार्यक्रम में यह संदेश दिया गया कि हिंदी और अन्य भारतीय भाषाएं एक-दूसरे के विकास में सहयोगी हैं और हिंदी का विकास किसी अन्य भाषा के लिए बाधक नहीं है।

बाजार में हिंदी की बढ़ती माँग को रेखांकित करते हुए उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं तक पहुँच बढ़ाने के लिए हिंदी को प्राथमिकता दी जा रही है। जो रोजगार के नए अवसर भी लेकर आ रही है। हिंदी के प्रति समाज में व्याप्त उदासीनता को दूर करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने छात्रों से इसे सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ अपनाने का आग्रह किया।

डॉ. विपुल ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि हिंदी का लचीलापन उसकी दीर्घकालिक प्रासंगिकता का आधार है और बाजार के बदलते परिदृश्य में न्यू मीडिया ने पत्रकारों के लिए नई संभावनाएँ खोली हैं। उन्होंने कहा कि शुद्धतावाद का अतिरेक भाषा को सीमित कर सकता है, परंतु मीडिया में व्याकरण की शुद्धता का पालन अनिवार्य है।

कौशल विकास को समय की आवश्यकता बताते हुए उन्होंने छात्रों को अपनी क्षमताओं का विस्तार करने के लिए प्रेरित किया, जिससे वे भविष्य की चुनौतियों का सफलतापूर्वक सामना कर सकें। हिंदी के वैश्विक प्रसार की ओर इशारा करते हुए उन्होंने बताया कि वर्तमान में 169 विदेशी विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है और भविष्य में यह विश्व की दस प्रमुख भाषाओं में से एक होगी।

इस कार्यक्रम में हिंदी और हिंदी पत्रकारिता विभाग के कई प्राध्यापकों की उपस्थिति ने छात्रों का उत्साहवर्धन किया। समापन के अवसर पर प्रो. महेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्य अतिथि डॉ. सुनील कुमार विपुल और ‘मंथन’ के छात्र मौजूद रहे।

रिपोर्ट – डॉ राजकुमार शर्मा

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