विदेशी विद्यार्थियों के लिए हिन्दी कक्षा का शुभारंभ

अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद्, विश्व हिंदी सचिवालय एवं वैश्विक हिंदी परिवार के तत्त्वाधान में अंतरराष्ट्रीय भाषा केंद्र के द्वारा दिनांक 17।10।2024 को विदेशी विद्यार्थियों के लिए हिंदी कक्षा के उद्घाटन के अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही विश्व हिंदी सचिवालय की महासचिव डॉ माधुरी रामधारी ने इस कदम को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि हिंदी का प्रभावी शिक्षण ही हिंदी के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। हिंदी प्रसार के संपादन में सामूहिकता का विशेष महत्त्व होता है। हिंदी के लिए कार्य करने वाली संस्थाएँ जब मिलकर कार्य करती हैं, तब उद्देश्य की पूर्ति में अवश्य ही सफलता मिलती है। उन्होंने इस कदम सराहना की।

मुख्य अतिथि अभय कुमार, उप महानिदेशक, अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया। उन्होंने यह कहा कि आज का समय मानकीकरण का समय है। जितने भी संस्थाएँ इस दिशा में कार्य रही है, उन्हें हिंदी के मानकीकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए और पाठ्यक्रम में एकरूपता आए इसके लिए सभी को,चाहे सरकारी संस्थाएँ हों या गैर-सरकारी संस्थाएँ, मिलकर कार्य करना चाहिए। उन्होंने इसके लिए आवश्यक सहयोग का भी आश्वासन देते हुए कहा कि विदेशी लोग हिंदी सीखने में रुचि ले रहे हैं, यह हमारे लिए हर्ष का विषय है। उन्होंने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भाषा के स्थायित्व के लिए हिंदी के इकोसिस्टम से जुड़ना आवश्यक है। इसलिए उस लिंक से जुड़ना आवश्यक है, जहाँ भाषा का प्रयोग किया जा सके।

अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् के महासचिव श्री श्याम परांडे ने अपना हार्दिक हर्ष प्रकट करते हुए यह जोड़ा कि इससे भारतीय संस्कृति के प्रसार में मदद मिलेगी। स्वयंसेवा हमारी ताकत है, यह पहल इसी का फल है।

श्री नारायण कुमार, मानद निदेशक, अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् ने कहा कि उनका अनुभव यह बताता है कि विदेशी लोग हिंदी सीखने की इच्छा रखते हैं, इसलिए हिंदी शिक्षण का यह कार्य अति महत्वपूर्ण कार्य है।

श्री अनिल जोशी, अध्यक्ष, वैश्विक हिंदी परिवार ने कहा कि इस प्रकार के कार्य करने की प्रेरणा श्री श्याम परांडे जी से मिलती है। हिंदी शिक्षण का कार्य आज के समय में तकनीकी की मदद से तेज गति से और बड़े पैमाने पर की जा सकती है। और वैश्विक हिंदी परिवार इसी दिशा में कार्य कर रहा है।

नीदरलैंड्स से ऑनलाइन के माध्यम से जुड़ी डॉ ऋतु नंदन पाण्डेय ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि वह इसी दिशा में कार्य कर रही हैं। उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि प्रभावी शिक्षण के लिए उन व्यक्तियों को इसके साथ जोड़ा जाए जो हिंदी के साथ उस भाषा की भी जानकारी रखते हों, जिन भाषा के छात्र हिंदी सीखना चाहते हैं।
रमा शर्मा, जापान ने भी अपने अनुभव को साझा किया। वह पिछले तीस वर्षो से जापान में हैं और हिंदी के लिए कार्य कर रही हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए साहित्यकार व शिक्षिका अनीता वर्मा ने सबका स्वागत करते हुए कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय भाषा केन्द्र श्री अनिल जोशी के नेतृत्व में मूर्त रूप ले रहा है और जो आकार उन्होंने दिया था वो साकार हो रहा है।
सुव्यवस्थित मंच संचालन डॉ ओम प्रकाश, सहायक प्राध्यापक, दिल्ली विश्वविद्यालय ने किया, विद्यार्थियों की प्रथम कक्षा भी ओम जी ने ही ली, जिसमे विद्यार्थियों की सकारात्मक प्रतिक्रिया भी प्राप्त हुई। कार्यक्रम का सफल संयोजन श्री विनयशील चतुर्वेदी, मनीष कुमार व नवीन नीरज ने किया।

उल्लेखनीय है कक्षा के लिए थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, उज्बेकिस्तान, मंगोलिया, श्री लंका, कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, स्पेन, युक्रेन आदि देशों से 42 छात्रों ने पंजीयन कराया था।
कार्यक्रम के समापन पर धन्यवाद ज्ञापन सुश्री सुनीता पाहूजा ने किया।
इस अवसर पर कई वरिष्ठ शिक्षाविद प्रो रेखा सेठी, डॉ जसविंदर कौर बिंद्रा, डॉ प्रबोध मल्होत्रा, डॉ राजेश कुमार मांझी, प्रणय प्रसून, डॉ राजेश गौतम, पूजा अनिल, अरविंद पथिक, शैलेन्द्र शर्मा, मनोज श्रीवास्तव आदि शिक्षक व् छात्र उपस्थित थे।
