
नहीं रहे ‘वाह ताज कहिए जनाब’ कहने वाले उस्ताद
अपने तबले की थाप से उस्ताद जाकिर हुसैन ने ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ के नाम से मशहूर कर दिया था। उनके अनूठे स्टाइल ने विज्ञापन की दुनिया को एक नया रंग-रूप दिया। ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ नाम से पहचान दिलाने वाले वो उस्ताद पद्म विभूषण जाकिर हुसैन अब इस दुनिया में नहीं रहे। सैन फ्रांसिस्को के हॉस्पिटल में उन्होंने आखिरी सांस ली। जाकिर हुसैन फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर बीमारी और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज थे। जिसके चलते उन्हें दिल से जुड़ी समस्याएं पैदा हुईं। उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां हार्ट से जुड़ी समस्याओं के कारण उनकी मौत हो गई।

भारत का एक प्रीमियम चाय ब्रांड, जिसका मालिकाना हक एक ब्रिटिश कंपनी के पास है, वो देश भर में ‘वाह ताज’ के नाम भी जाना जाता है। इस अनोखे काम को हकीकत में बदलने वाला कोई और नहीं बल्कि भारत के मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन थे। आपने ब्रुक बॉन्ड ताजमहल चाय का एड जरूर देखा होगा, जिसमें जाकिर हुसैन तबला बजाते हुए ताजमहल चाय को ‘वाह ताज’ कहकर पुकारते रहे।

उस्ताद ज़ाकिर हुसैन भारत के सुप्रसिद्ध तबला वादक थे। ज़ाकिर हुसैन तबला वादक उस्ताद अल्ला रक्खा के बेटे थे।
ज़ाकिर हुसैन को भारत सरकार द्वारा कला के क्षेत्र में सन् 1988 में पद्मश्री तथा सन् 2002 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। उन्हें 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

ज़ाकिर हुसैन का बचपन मुंबई में ही बीता। 12 साल की उम्र से ही ज़ाकिर हुसैन ने संगीत की दुनिया में अपने तबले की आवाज़ को बिखेरना शुरू कर दिया था। प्रारंभिक शिक्षा और कॉलेज के बाद ज़ाकिर हुसैन ने कला के क्षेत्र में अपने आप को स्थापित करना शुरू कर दिया। 1973 में उनका पहला एलबम ‘लिविंग इन द मैटेरियल वर्ल्ड’ आया था। उसके बाद तो जैसे ज़ाकिर हुसैन ने ठान लिया कि अपने तबले की आवाज़ को दुनिया भर में बिखेरेंगे। 1979 से लेकर 2007 तक ज़ाकिर हुसैन विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समारोहों और एलबमों में अपने तबले का दम दिखाते रहे।

1988 में जब उन्हें पद्म श्री का पुरस्कार मिला था तब वह महज 37 वर्ष के थे और इस उम्र में यह पुरस्कार पाने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी थे। इसी तरह 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म भूषण का पुरस्कार दिया गया था। ज़ाकिर हुसैन को 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ग्रैमी अवार्ड भी मिला है। 22 मार्च 2023 को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

– अनीता वर्मा