पुस्तक ‘लिखी कागद कोरे’ का विमोचन समारोह संपन्न हुआ

गुरुग्राम के ‘द पियानो मैन’ में 1 मार्च 2025 को एक यादगार साहित्यिक संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें लेखिका, कवयित्री, चित्रकार व समाज सेविका डॉ. नलिनी भार्गव की पुस्तक ‘लिखी कागद कोरे’ का भव्य विमोचन किया गया। यह अवसर साहित्य और सृजनधर्मिता के उत्सव की तरह सजीव हो उठा, जहाँ हिंदी साहित्य जगत की कई प्रतिष्ठित हस्तियाँ एकत्रित हुईं।

सर्वप्रथम शिवानी भार्गव ने सभी आगन्तुकों का स्वागत कर कार्यक्रम का आरंभ किया। दीप प्रज्जवलन के समय ‘शाकुंतलम’ के बच्चों ने माँ सरस्वती की प्रार्थना की।

अतिथियों का स्वागत डॉ. नलिनी व उनके पति उमेश भार्गव जी ने शाल श्रीफल द्वारा किया।

इस गरिमामयी आयोजन की अध्यक्षता- श्री लक्ष्मीशंकर वाजपेयी (पूर्व उप महानिदेशक, आकाशवाणी एवं प्रख्यात ग़ज़लकार) ने की। उन्होंने पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए कहा कि यह कृति न केवल संवेदनशील अभिव्यक्तियों का संकलन है, बल्कि इसमें जीवन के गहरे अनुभवों की झलक मिलती है ऐसी कविताओं की बहुत आवश्यकता है।जो मनुष्य को बेहतर मनुष्य बनाने को प्रेरित करती हैं।आशा है कि जैसे नलिनी भार्गव ‘शाकुंतलम’ के माध्यम से बच्चों के जीवन में उजाला भर रहीं हैं वैसे ही सत्साहित्य की रचना के माध्यम से भी समाज को आलोकित करती रहेंगी।

 कार्यक्रम के मुख्य अतिथि- श्री अनिल जोशी (अध्यक्ष: वैश्विक हिंदी परिवार, पूर्व उपाध्यक्ष: केंद्रीय हिंदी संस्थान) रहे। जिन्होंने पुस्तक की गहनता और इसकी संवेदनशील अभिव्यक्ति की सराहना की।साथ ही उन्होंने कुछ विशेष कविताओं को पढ़ते हुए पुस्तक के विभिन्न आयामों व विषयों पर चर्चा की।

पुस्तक पर विस्तृत चर्चा वरिष्ठ लेखिका, समीक्षक एवं साहित्यकार श्रीमती कृष्णलता यादव ने की।

नलिनी जी की कविताएँ केवल भावनाओं की अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि गहन जीवन-दर्शन का प्रतिबिंब हैं। उनकी प्रत्येक रचना में कोई न कोई संदेश निहित होता है, जो पाठकों को सोचने, आत्मविश्लेषण करने और जीवन को नए दृष्टिकोण से देखने के लिए प्रेरित करता है।

डॉ. नलिनी ने कहा – मेरे जीवन का उद्देश्य युवाओं को, आने वाली पीढ़ी को सही मार्गदर्शन देना है, बुद्धि, विवेक, प्रेम और सेवा-भाव की अलख जगाना है। संस्कार, संस्कृति और राष्ट्र-प्रेम को प्रोत्साहित करना ही मेरे लेखन का सार है। उन्होंने अपने संग्रह से माँ और पिता पर लिखी कविताओं का पाठ किया जिन्होंने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

विशिष्ट अतिथि श्रीमती निशा भार्गव (हास्य-व्यंग्य कवयित्री), नलिनी भार्गव की पुस्तक के लिये कहा कि ये कवितायें ‘तिलक पर अक्षत लगाती कविताएँ’ हैं। जिनमें वृहद् सोच है, ऊँची उड़ान है व भावनाओं का सागर है।जिसे पढ़ कर मन प्रसन्न हो जाता है, दूर कहीं खो जाता है।

डॉ. अमरनाथ ‘अमर’ (पूर्व कार्यक्रम निदेशक, दूरदर्शन, वरिष्ठ कवि एवं साहित्यकार),  जिन्होंने कहा कि नलिनी जी के छायाचित्र व कलाकृति की ही तरह यह संग्रह भीड़ से अलग, पठनीय व अपने आप में महत्वपूर्ण है।हमारी अनमोल विरासत व वैज्ञानिक संस्कृति को भविष्य की पीढ़ी को सौंपने जैसा है जिसकी आज सबसे ज़्यादा ज़रूरत है।

प्रतिष्ठित वक्ताओं में शामिल रहे: श्री त्रिलोकनाथ कौशिक (कवि व साहित्यकार), उन्होंने ने कहा मैं आदरणीय नलिनी जी की अभिव्यक्ति में ललक और जीवन की ऊष्मा, दोनों को साथ – साथ देख पाता हूँ।सांस्कृतिक संपदा या कहूँ सांस्कृतिक मंजूषा की श्रेणी  में इनके लेखन को रखा जा सकता है।

श्रीमती सविता स्याल (साहित्यकार) ने बहुमुखी प्रतिभाओं की धनी डा० नलिनी ‌भार्गव एक चित्रकार, समाजसेवी होने के साथ-साथ एक संवेदनशील लेखिका भी है। उनके इस काव्य संग्रह को “इंद्रधनुषी काव्य संग्रह” कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।

इस संध्या के सूत्रधार की भूमिका श्रीमती अनीता सेठी वर्मा (खुला मंच की संस्थापक,व पत्रकार) ने अपने सधे हुए कुशल संचालन से निभाई। उनके सधे हुए संचालन ने पूरे कार्यक्रम को सहज प्रवाह और गरिमा प्रदान की, जिससे हर क्षण जीवंत और सरस बना रहा। उन्होंने अपने संचालन के दौरान कई कविताओं को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत भी किया।

इस भव्य विमोचन समारोह के अवसर पर नलिनी भार्गव जी को भी ‘अभ्युदय अंतरराष्ट्रीय संस्था’, ‘वैश्विक हिंदी परिवार’ तथा ‘साहित्य एवम् समाज को समर्पित कृष्णादित्य परम्परा परिवार’ द्वारा शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया गया।

प्रख्यात साहित्यकार शैल अग्रवाल – लंदन एवं सुप्रसिद्ध कवि राजेश्वर वशिष्ठ ने डॉ. नलिनी भार्गव को समारोह में हार्दिक शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।

अंत में, शिवाली भार्गव ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया और जलपान के साथ कार्यक्रम का सफल समापन हुआ।

यह विमोचन समारोह न केवल एक पुस्तक के परिचय का अवसर था, बल्कि हिंदी साहित्य के समृद्ध संसार में एक और अनमोल कड़ी जोड़ने जैसा रहा।

कार्यक्रम के सफल आयोजन में डॉ. प्रेम तन्मय, शैल अग्रवाल, डॉ. झुनझुन वाला, डॉ. मुक्ता, राजेंद्र निगम,  इंदु निगम,राजेश्वर वशिष्ठ,मंजु गुप्ता, मदन सोनी, मीना चौधरी, रानी श्रीवास्तव, सुनीती रावत, राकेश गुप्ता, अरीता गुप्ता, सुधीर भार्गव, डॉ. आशित शर्मा, डॉ. अवंतिका, श्री सत्यसौरभ खोसला, चंदा प्रह्लादका, सन्देश वत्स, त्रिशला मिश्रा, भगवती सक्सेना, मंजु ढाँडा, रामा हाँडा, कुक्कू सिंह, आशा मोहिन्दरू, हर्ष सरीन, प्रवेश भीकन, आदि गणमान्य जन उपस्थित रहे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate This Website »