
© विनयशील चतुर्वेदी
ग़ज़ल
आँखों में ज़रूरी है ग़ैरत औ हया होना।।
वादों में ज़रूरी है इक अहले वफ़ा होना।।
तुम प्यार के खेतों में बारूद उगाते हो
तुम भूल गए शायद कुदरत का ख़फ़ा होना ।
यह किसका मजहब है जो जुर्म सिखाता है
अब पाक़ किताबों में मुश्किल है दुआ होना ।
नापाक़ गुनाहों से किस बात की हमदर्दी
लाज़िम है दरिंदों का दुनिया से फना होना ।
मासूम परिंदों को कुछ अर्श बचा देना
उड़ने को जरूरी है थोड़ी सी फ़िज़ा होना ।
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