टैक्सी की शाही सवारी का आनंद

– डॉ. सच्चिदानंद जोशी

ओसाका यात्रा के दौरान एकाधिक बार टैक्सी में सफर करने का अवसर आया। सामान्य धारणा यही है कि जापान में टैक्सी महंगी है, और ये धारणा सही भी है। और फिर जब पब्लिक ट्रांसपोर्ट इतना सुगम और सहज हो तो टैक्सी में सफर कौन करे। लेकिन कुछ मजबूरियों के कारण टैक्सी में सफर करना पड़ा और समझ में आया कि यहां टैक्सी सेवा महंगी क्यों है।

टैक्सी आमतौर पर अच्छी कारें ही होती है। लेकिन वो और कोई भी हो सकती है यानि वैगन आर नुमा कार से लेकर वेलफायर जैसी आलीशान वैन तक। ज्यादा टैक्सी के ड्राइवर आपको काले सूट, टाई और टोपी के साथ नजर आएंगे। उनके हाथ में सफेद दस्ताने होंगे। ज्यादातर ड्राइवर मास्क से अपना चेहरा भी ढांके रहते हैं। आपने अगर उबर या ऐसे ही किसी ऐप से टैक्सी बुक की है तो गंतव्य ड्राइवर को मालूम होता ही है। लेकिन अगर आप स्टैंड या रस्ते से भी टैक्सी लेते है तो आप ड्राइवर को उसमें बैठने के बाद गंतव्य बता सकते हैं। हमारी आदत में पहले पूछना शुमार है “वहां चलोगे, कितना लोगे, मीटर से चलोगे ना” आदि आदि। जापान में टैक्सी रुकने के बाद आप सीधे उसमें बैठ कर अपना गंतव्य बताए और निश्चिंत हो जाएं। वो आपसे नहीं कहेगा कि वो मेरा रूट नहीं है, परमिट नहीं है, रिटर्न का भाड़ा लगेगा, मेरा उस तरफ जाने का मूड नहीं है, रात बहुत हो गई है आदि आदि। हां एक बार वो ये जरूर पूछेगा कि हाइवे से चलूं या अंदर से। हाइवे में लगने वाला टोल आपके किराए में जुड़ जाता है इसलिए ऐसा पूछना वो अपना कर्तव्य समझता है। हाइवे सिर्फ एक शहर को दूसरे शहर जोड़ते ही नहीं हैं। शहर के अंदर भी भीड़ और ट्रैफिक से बचने के लिए बनाए गए हैं। कही कही तो एक के ऊपर एक ऐसे दो हाइवे हैं।

ड्राइवर के सामने कम से कम तीन नेविगेटर डिवाइस लगे होते है। कुछ में तो चार भी देखे हैं। एक मोबाइल अलग जिससे वो बात कर सकता है। एक बार टैक्सी में बैठने के बाद ये चिंता नहीं होती कि ये जानबूझकर घुमा कर ले जा रहा है भाड़ा बढ़ाने के लिए। ड्राइवर खुद रूट तय कर लेते हैं। कही अगर उनसे चूक हो जाए सही स्थान पर पहुंचने में फिर भले ही गलती आपकी हो तो भी वो दस दस बार आपको सारी बोलता/ बोलती है। जी हां ओसाका में जितनी बार टैक्सी में बैठने का अवसर आया आधी बार महिला चालक ही थीं।

टैक्सी भले ही छोटी हो या बड़ी आपको शाही सवारी का आनंद देती है। अंदर आपको सफेद झक सीट कवर्स लगे मिलेंगे। पानी की बोतल भी मिलेगी। ड्राइवर के पीछे फाइबर ग्लास का एक छोटा सा स्क्रीन होता है ताकि आपकी बातें उसे डिस्टर्ब न करे। वे वाहन चलाते हुए आपसे कोई बात नहीं करते।” कहां से आए है या पहली बार ओसाका आए हैं जैसे सवाल नहीं पूछते अनावश्यक आपको बाजार या दर्शनीय स्थानों की जानकारी नहीं देते। और तो और वे अपने भी किसी मित्र या सगे संबंधी से मोबाइल पर बात नहीं करते। जापान की सड़कें बहुत अच्छी हैं और यातायात बहुत व्यवस्थित है इसलिए आप बिना बात किए घंटों यात्रा कर सकते हैं।

आपका गंतव्य आने पर आप दरवाजा नहीं खोलते। पहले फाइबर ग्लास के चैंबर में बनी खिड़की से आप अपना भाड़ा चुकाते हैं यदि आवश्यक है तो बिल लेते हैं। ड्राइवर के पास एक बहुत व्यवस्थित कॉइन की डिब्बी होती है जिसमें आवश्यक छुट्टे पैसे होते हैं। इसलिए कोई आपसे “छुट्टा नहीं है साहब” कहकर सलाम मार कर नहीं जाता। अधिकांश टैक्सियों में तो अंदर से खोलने की सुविधा ही ब्लॉक होती है। ड्राइवर ही अपने पास लगे ऑटोमैटिक बटन से दरवाजा खोलते हैं। आप जब तक उतर नहीं जाते और अपना सामान आदि देख नहीं लेते वे गाड़ी स्टार्ट नहीं करते। उन्हें दूसरी सवारी की जल्दी नहीं होती। वे आपका शुक्रिया करना भी नहीं भूलते। यदि आपको रस्ते में ट्रैफिक लगा हो जिसके कारण आपको पहुंचने कोई विलंब हुआ हो तो उसके लिए वे क्षमा भी मांगते हैं गोया ये उनकी ही गलती है। इसलिए टैक्सी के लिए ज़्यादा पैसा देना अखरता नहीं। कम से कम आप इतने तो निश्चिंत रहते ही हैं कि कोई उतर कर ये नहीं कहेगा “अरे आप तो ठगा गए। उसने ज़्यादा पैसे ले लिए आपसे।”

टैक्सी की कई कंपनियां हैं और वे सब आपको उपलब्ध रहती हैं। हां उनमें एक कंपनी DiDi भी है। जापानी में पता नहीं क्या कहते हों लेकिन अपने लिए तो वो दीदी ही हैं, हमारा ख्याल रखने वाली और हमें सकुशल पहुंचने वाली दीदी।

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