Category: वरुण कुमार

शांतिनिकेतन में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी – (ब्लॉग)

शांतिनिकेतन में आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी डॉ. वरुण कुमार हिंदी आलोचना के शिखर पुरुषों में पंडित हजारी प्रसाद द्विवेदी आते हैं। आज १९ अगस्त को उनकी जन्म तिथि है। यों…

हिडिम्बा प्रदेश मनाली – (यात्रा संस्मरण)

हिडिम्बा प्रदेश मनाली डॉ वरुण कुमार अपना देश प्राकृतिक विविधता की दृष्टि से विलक्षण है। यहाँ एक ही समय में एक जगह लू चलती है तो दूसरी जगह बर्फ पड़ती…

हिडिम्बा प्रदेश मनाली – (यात्रा संस्मरण)

हिडिम्बा प्रदेश मनाली डॉ वरुण कुमार अपना देश प्राकृतिक विविधता की दृष्टि से विलक्षण है। यहाँ एक ही समय में एक जगह लू चलती है तो दूसरी जगह बर्फ पड़ती…

तुम्हारे बगैर मृत्यु ईश्वर! – (संस्मरण)

तुम्हारे बगैर मृत्यु ईश्वर! – डॉ0 वरुण कुमार माँ नहीं रहीं। दो महीनों तक मृत्‍यु से संघर्ष करने के बाद वे विदा हो गईं। दिमाग की नस फटने से वे…

मंदिरों के आलोक में – पुनः वारंगल (2) – (यात्रा संस्मरण)

मंदिरों के आलोक में – पुनः वारंगल वरुण कुमार “रह न जाए मेरी-तेरी बात आधी…” मन को संतोष न था। इतनी चीजें देखी और सोची थीं, किंतु अभिव्यक्ति एक ही…

चलते चलते : बरौनी स्टेशन – (यात्रा वृतांत)

चलते चलते : बरौनी स्टेशन – डॉ वरुण कुमार बरौनी।‌ पुराने दिनों से इसकी स्मृति एक गंदे और लापरवाह स्टेशन की है जहाँ कोई कोई नियम नहीं मानता। लेकिन इस…

कविता में दर्द – (कविता)

कविता में तो दर्द बहुत है कवि में पता नहीं कितना अच्छा जीवन-स्तर धुले वस्त्र चश्मे का सही नंबर, फ्रेम सुंदर लेकिन भीतर आँखें नम उनके लिए जिन्हें कपड़ा भी…

वारंगल के ध्वंसावशेषों में – (य़ात्रा संस्मरण)

वारंगल के ध्वंसावशेषों में – डॉ वरुण कुमार “यहाँ कैसे आए, कोई काम था?” “नहीं, मैं तो यहाँ घूमने आया हूँ।” “यहाँ!” उनकी आँखों में हैरानी थी। “यहाँ क्या है?”…

पहाड़ों के बीच धर्मों का संगम : राजगीर – (यात्रा संस्मरण)

पहाड़ों के बीच धर्मों का संगम : राजगीर डॉ वरुण कुमार दिल्ली आने के बाद मैं जब भी मैं अपने कोलकातावासी मित्र अनिल जी से पूछता हूँ – “कहीं गए?”…

दर्पणों की गली – (कहानी)

दर्पणों की गली – वरुण कुमार “यह रात जैसे दर्पणों की गली हो और तुम एक अकेली चांदनी बनकर निकली हो…” छत की रेलिंग पर भिंचे अपने हाथ की उंगलियों…

जिन्दगी बड़ा सच – (कहानी)

जिन्दगी बड़ा सच – वरुण कुमार अस्पताल का गमगीन माहौल। सभी के चेहरे बुझे हुए। मृत्यु की घटना के ऩजदीक में होने का अनुभव भी कितना अवसन्नकारी होता है। डेड…

वेनिस का सौदागर : यहूदी घृणा की जड़ें – (आलेख)

वेनिस का सौदागर : यहूदी घृणा की जड़ें डॉ वरुण कुमार दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान नाजी सरकार द्वारा यहूदियों का नरसंहार बीसवीं सदी की हृदयविदारक घटनाओं में से एक है,…

साहित्य की प्रभाव क्षमता और हिन्दी समाज – (समीक्षा)

साहित्य की प्रभाव क्षमता और हिन्दी समाज डॉ० वरुण कुमार कवि कुछ ऐसी तान सुनाओजिससे उथल पुथल मच जाएएक हिलोर इधर से आए,एक हिलोर उधर से आएहाहाकार महा छा जाए।…

आधुनिक कविता में छंद और लय का अतिक्रमण – (समीक्षा)

आधुनिक कविता में छंद और लय का अतिक्रमण -डॉ० वरुण कुमार एक पाठक की कविता की पहचान सामान्यतः जिस चीज से शुरू होती है वह है छंद। छंद में बंधी…

वरुण कुमार – (परिचय)

डॉ० वरुण कुमार निदेशक, रेल मंत्रालय। जन्म : दिसम्बर १९६४, मुंगेर (बिहार) संपर्क सूत्र : मेल पता : bkumar1964@gmail.com मोबाईल : 7827935451

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