एक और इंडिया हाउस जहां छुपा है भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास – (यात्रा वृतांत)
एक और इंडिया हाउस जहां छुपा है भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास प्रदीप गुप्ता सामान्यत: लन्दन में रहने वाले भारतीय मूल के लोग जिस इंडिया हाउस को जानते हैं वह…
हिंदी का वैश्विक मंच
एक और इंडिया हाउस जहां छुपा है भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का इतिहास प्रदीप गुप्ता सामान्यत: लन्दन में रहने वाले भारतीय मूल के लोग जिस इंडिया हाउस को जानते हैं वह…
हिडिम्बा प्रदेश मनाली डॉ वरुण कुमार अपना देश प्राकृतिक विविधता की दृष्टि से विलक्षण है। यहाँ एक ही समय में एक जगह लू चलती है तो दूसरी जगह बर्फ पड़ती…
हिडिम्बा प्रदेश मनाली डॉ वरुण कुमार अपना देश प्राकृतिक विविधता की दृष्टि से विलक्षण है। यहाँ एक ही समय में एक जगह लू चलती है तो दूसरी जगह बर्फ पड़ती…
पुण्य अर्जन – डॉ. सच्चिदानंद जोशी तिरुपति किसी ऑफिशियल काम से गए थे। सोचा कि यदि संभव हो तो भगवान वेंकटेश्वर जी के भी दर्शन इसी यात्रा में हो जाएं…
टैक्सी की शाही सवारी का आनंद – डॉ. सच्चिदानंद जोशी ओसाका यात्रा के दौरान एकाधिक बार टैक्सी में सफर करने का अवसर आया। सामान्य धारणा यही है कि जापान में…
टॉलस्टाय का जहां हृदय परिवर्तन हुआ – डॉ. सच्चिदानंद जोशी लियो टॉलस्टाय को वैश्विक धरातल पर सार्वकालिक महान साहित्यकारों की सूची में आदर का स्थान है। उनके जीवन और उनके…
सात पहाड़ियों पर बसा शहर : रोम शशि पाधा, वर्जीनिया, यू एस ए याद है बचपन में मैंने अपने जन्म स्थान जम्मू शहर की मुबारक मंडी के राजमहलों के बीचोबीच…
मंदिरों के आलोक में – पुनः वारंगल वरुण कुमार “रह न जाए मेरी-तेरी बात आधी…” मन को संतोष न था। इतनी चीजें देखी और सोची थीं, किंतु अभिव्यक्ति एक ही…
मनाली के इग्लू (दूसरा दिन) मनोज श्रीवास्तव ‘अनाम’ 22 जनवरी 2021 ऊंघते पहाड़ों के बीच घुमावदार सड़कों पर बस आगे बढ़ती अपने पीछे जंगल, बस्ती एवं छोटी – छोटी दुकानों…
चलते चलते : बरौनी स्टेशन – डॉ वरुण कुमार बरौनी। पुराने दिनों से इसकी स्मृति एक गंदे और लापरवाह स्टेशन की है जहाँ कोई कोई नियम नहीं मानता। लेकिन इस…
मनाली के इग्लू (पहला दिन – 21 जनवरी 2021) मनोज श्रीवास्तव ‘अनाम’ इस्माईल मेरठी का वही शे’र ख़ुद को बारम्बार आकर्षित करता रहा है, जिसने केदार मिश्र को राहुल सांकृत्यान…
वारंगल के ध्वंसावशेषों में – डॉ वरुण कुमार “यहाँ कैसे आए, कोई काम था?” “नहीं, मैं तो यहाँ घूमने आया हूँ।” “यहाँ!” उनकी आँखों में हैरानी थी। “यहाँ क्या है?”…
एक गायब हुआ द्वीप : सेंटोरिनी – शिखा वार्ष्णेय The lost Atlantis – एक ऐसा द्वीप जो एक रात में गायब हो गया। इसके पीछे कई किंवदंतियाँ हैं, जिन्हें कोई…
महाकुंभ: ज्ञान, भक्ति व आस्था का संगम – शशिकांत कुंभ सदियों से भारतीय जन मानस की धार्मिक आस्था व संवेदनाओं से जुड़ा रहा है। इस तरह के आयोजनों के पीछे…
महाकुंभ : सनातन का विराट उत्सव – नरेश शांडिल्य (एक यात्री, जिसके कंधे पर दो बैग टंगे हैं) : कहां से है आ रहे हो? मधुबनी से कैसे आए? ट्रेन…
प्राचीनतम-आधुनिकतम : इटली – दिव्या माथुर लंदन की यांत्रिकता के चक्रव्यूह से निकल, फुर्सत के कुछ दिन एक ऐसी जगह बिताने का मन था इस बार, जहां प्राचीन तोरण-द्वार-इमारतें हों,…
ऐल सैल्वाडौर का यात्रा-संस्मरण – विजय विक्रान्त बात सन 1967 की है। मुझे कैनेडा में आये हुये अभी दो वर्ष ही हुये थे और मैं मॉन्ट्रेयाल इन्जिनियरिंग कम्पनी (Monenco) मॉन्ट्रेयाल…
ये बनारस का ज़िक्र है दोस्तों -अनीता वर्मा बचपन में एक फ़िल्म देखी थी “बनारसी बाबू “। बुरे भी हम भले भी हम, जैसी पंक्ति यूँ ही नहीं कही गई…
सुबह तेज़ बारिश हो रही थी, हवा भी तेज़ थी। आभास था कि दिन सुस्त और बादलों से घिरा रहेगा। फिर पता चला कि शहर के केंद्र में उसकी कुछ…
परिवर्तन ही सृष्टि के चालक हैं। कई सदियाँ बोल रही थीं, परिवर्तन की कहानी कह रही थीं और हमारे जैसे सैलानियों का समूह जो अपने शहर यानी मॉस्को को बेहतर…