युवा हस्तियों को मिला विष्णु प्रभाकर स्मृति राष्ट्रीय सम्मान

नई दिल्ली,

विष्णु प्रभाकर  के 114 वें जन्मदिवस पर  सन्निधि सभागार में विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय प्रोत्साहन सम्मान समारोह का आयोजन गांधी हिंदुस्तानी साहित्य सभा, नई दिल्ली और विष्णु प्रभाकर प्रतिष्ठान की ओर से किया गया।

इस आयोजन की अध्यक्षता  साहित्यकार अशोक चक्रधर ने की और  मुख्य अतिथि  वरिष्ठ अधिवक्ता वरुणा भंडारी गुगलानी और विशिष्ठ अतिथि  सविता चड्ढा मौजूद रहीं। स्वागत भाषण में अतुल प्रभाकर ने सम्मान समारोह और सन्निधि संगोष्ठी के मकसद को उजागर किया। संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने किया।

कार्यक्रम की शुरुआत में प्रवीण शंकर त्रिपाठी की पुस्तक  कुर्ग – प्रकृति  का वरदान का  लोकार्पण किया गया। इसके बाद  सात युवा हस्तियों को विष्णु प्रभाकर स्मृति राष्ट्रीय  सम्मान 2025 से सम्मानित किया गया। सम्मानित होने वाली हस्तियों मेंवीणा गांधी, नरेंद्र रामजीभाई शास्त्री, पूनम माथुर, डॉ. सिरी, अंजना गोस्वामी, महेश शर्मा, डॉ संजना साइमन के नाम शामिल हैं।

इस आयोजन की अध्यक्षता कर रहे अशोक चक्रधर ने विष्णु प्रभाकर के बारे में विस्तृत चर्चा करते हुए कहा कि वे खुद भी आवारा मसीहा थे। वे भी उद्देश्यों को लेकर हमेशा भ्रमणशील रहे। उन्होंने आयोजन की सादगी पर चर्चा करते हुए कहा कि विष्णु प्रभाकर भी इतने ही सादगी पसंद व्यक्तित्व थे। मुझे उनका बेहद प्यार मिला।चक्रधर जी ने विष्णु जी का एक संस्मरण सुनाते हुए बताया कि विष्णु जी का मानना था कि साहित्यकार एक दीपक के समान है जो अंधकार को मिटा उजाला फैलाकर समाज की हर अच्छाई और बुराई को उजागर करता है और साथ ही मार्ग भी दिखाता है।

कार्यक्रम की मुख्य अतिथि वरुणा भंडारी और विशिष्ट अतिथि साहित्यकार सविता चड्ढा ने विष्णु प्रभाकर के 114 वें जन्मदिवस पर उनके साथ बिताए लम्हों को याद करते हुए पुरानी स्मृतियों को साझा किया।

विष्णु प्रभाकर राष्ट्रीय सम्मान से विभिन्न हस्तियों को सम्मानित किया गया.

वीणा गांधी

लाइब्रेरी एंड इनफॉस्मेशन साइंस तथा हिंदी में स्नातकोत्तर की शिक्षा प्राप्त कर चुकी सुश्री वीणा गांधी साहित्य के प्रचार-प्रसार में जुटी है। वे स्कूली बच्चों, विशेष कर दिव्यांग बच्चों में पुस्तक पढ़ने की अभिरुचि विकसित करने की दिशा में अपने रचनात्मक प्रयासों द्वारा भरपूर उत्साह और समर्पण के साथ कार्यरत है।

नरेंद्र रामजीभाई शास्त्री

संगीत एवं योग को अपना जीवन समर्पित कर चुके डॉ. नरेंद्र रामजी भाई शास्त्री ने हिंदी भाषा, योग एवं संगीत में उच्च शिक्षा ग्रहण कर इनके प्रचार-प्रसार कर रहे है।  अहमदाबाद के रहने वाले शास्त्री ने विद्यालयों एवं संस्थानों में बतौर शिक्षक कार्य करते हुए अनेक जिज्ञासुओं को संगीत, योग एवं भाषा में प्रशिक्षित तो किया ही साथ में राजकीय एवं राष्ट्रीय स्तर के विभिन्न कार्यक्रमों में भागीदारी भी निभाई। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के कार्यक्रमों में प्रस्तुति दी।

पूनम माथुर : ‘दी औरा आफ कर्मा फाउंडेशन’ की संस्थापक पूनम माथुर ने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर शिक्षा प्राप्त की है। वे कमजोर वर्ग के बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने के साथ-साथ बेजुबान पशु-पक्षियों की सेवा भी आप पूरे मनोयोग से करती है।

डॉ सिरी :  तेलंगाना निवासी डॉ. सिरी व्यवसाय से दंत विकित्सक होने के साथ-साथ तेलुगु भाषा की एक प्रतिभा संपन्न लेखिका है। इन्होंने 100 से अधिक सामान्य कहानियों, 2000 से अधिक काव्य रचनाओं के अतिरिक्त साहित्य की लगभग सभी विधाओं में बच्चों के लिए विपुल साहित्य का सृजन किया है।

अंजना गोस्वामी : भावनगर (गुजरात) की गुजराती कवयित्री अंजना गोस्वामी ने एक गायिका और फैशन डिजाइनर के रूप में भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है।

इनकी अब तक 15 से अधिक एल्बम यूट्यूब पर रिलीज हो चुकी है। इनकी रचनाएं प्रमुख गुजराती समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं में निरंतर प्रकाशित होती रहती है।

महेश शर्मा : मध्य प्रदेश के थार जिले के महेश शर्मा, नर्मदा बचाओ आंदोलन के अंतर्गत संचालित जीवनशालाओं से जुड़कर बिलासपुर क्षेत्र के 70 गाँवों में जैविक खेती की उन्नति और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए कार्य कर रहे है।आदिवासियों को साक्षर और शिक्षित कर समर्थ बनाने के महत्वपूर्ण कार्य में जुटे हैं।

डॉ. संजना साइमन : ‘लव दाई नेबर ट्रस्ट’ की संस्थापक डॉ. संजना साइमन ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में स्नातकोत्तर तक शिक्षा ग्रहण करने के बाद धर्मशास्त्र को अपने शोथ का विषय बनाया। इन्होंने 12 वर्ष की आयु से लिखना प्रारंभ कर दिया था। आपने अब तक अंग्रेजी और हिंदी दोनों भाषाओं में डेढ़ सौ से अधिक कविताओं और कहानियों का सृजन किया है।

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