
दिनांक 27.07.2025 को दिल्ली के मयूर विहार फेज – 1 स्थित रिवरसाइड क्लब के लाउंज में अनुस्वार, इंडिया नेटबुक्स एवं वामा अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ की नवीनतम कृति “कवि के मन से” एवं उन्हीं के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित “अनुस्वार” पत्रिका के विशेषांक का लोकार्पण एवं साहित्यिक चर्चा का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता के दायित्व का निर्वहन सुविख्यात व्यंग्यकार डॉ प्रेम जनमेजय ने किया। मुख्य अतिथि की भूमिका का वहन सुविख्यात वरिष्ठ साहित्यकार एवं कथाकार डॉ चित्रा मुद्गल ने किया। विशिष्ट अतिथियों की श्रेणी में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ दिविक रमेश, कवि एवं व्यंग्यकार डॉ लालित्य ललित, इंडिया नेटबुक्स के सर्वेसर्वा एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ संजीव कुमार तथा लेखक डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ ने अपनी उपस्थिति से मंच को गरिमामय बनाया। मंच संचालन का कार्यभार कवि एवं व्यंग्यकार श्री रणविजय राव के सशक्त हाथों में रहा।

कार्यक्रम का प्रारंभ गणमान्य विभूतियों के कर-कमलों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा पर श्रद्धासुमन अर्पित करने तथा डॉ संजीव कुमार के मुखारविंद से मां सरस्वती वंदना की प्रस्तुति के साथ हुआ।
प्रथम चरण में जहां एक ओर, सभी मंचासीन विभूतियों को कार्यक्रम की निवेदक डॉ मनोरमा कुमार द्वारा अंगवस्त्र ओढ़ाकर लोकार्पित पुस्तकों एवं भेंट स्वरूप उपहार प्रदान करके सम्मानित किया गया। वहीं दूसरी ओर, डॉ संजीव कुमार द्वारा संयुक्त संस्थाओं के कार्यकलापों से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डालते हुए अपना स्वागत उदबोधन दिया।
द्वितीय चरण का आरंभ डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ की लघुकथा “आखिरी खत” के फिल्मांकन के साथ हुआ। क्षणभर को फिल्म के अवलोकन पश्चात् सभागार में उपस्थित श्रोतागण स्तब्ध रह भाव-विभोर हो गए। अगले ही क्षण करतल-ध्वनि के साथ लघुकथा के लिए लेखक की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए नहीं थके। तत्पश्चात्, मंचासीन विभूतियों के कर-कमलों द्वारा डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ की नवीनतम कृति “कवि के मन से” एवं उन्हीं के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित “अनुस्वार” पत्रिका के विशेषांक का क्रमबद्ध तरीके से लोकार्पण किया गया।अगले क्रम में सभी मंचासीन विभूतियों को अपने-अपने संक्षिप्त उदगारों के लिए संचालक द्वारा आमंत्रित किया गया।

सभी ने बहुमुखी प्रतिभाओं के धनी पेशे से चिकित्सक और मनोभावों से हिन्दी साहित्य जगत की विभिन्न विधाओं कविता, गीत, गज़ल, दोहे, कहानी, उपन्यास, नाटक, व्यंग्य, बाल और लोक साहित्य तथा लघुकथा लेखक डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ से जुड़े अपने व्यक्तिगत परस्पर कार्यकलापों विशेषकर कोरोना महामारी के दौरान उनके द्वारा एक चिकित्सक की हैसियत से दी गई हिदायतों को सांझा करने के साथ-साथ उनकी नवीनतम कृति से उदृधत पसंदीदा कविताओं का काव्यपाठ भी किया।
डॉ श्याम सखा ‘श्याम’ ने अपने वक्तव्य में अवगत कराया कि उनका रूझान फिल्मांकन और फोटोग्राफी की ओर था, लेकिन परिवार की इच्छा थी कि मैं एक चिकित्सक का अध्ययन करूं और उसे जीविकोपार्जन का माध्यम बनाऊं। सो उसे मैंने स्वीकारते हुए वर्तमान तक संवेदनशीलता के साथ तन्मयता से निभाया है। कोरोना महामारी के दौरान मैंने लगभग 800 से अधिक मरीजों को स्वास्थ्य लाभ प्रदान कराया था, जिनमें से इस सभागार के मंच पर उपस्थित सभी साथियों को उपयुक्त दिशा-निर्देश प्रदान करके जीवन की जद्दोजहद से राहत दिलाई थी। यह सब करने के साथ अब मैं अपनी व्यस्त दिनचर्या में से समय निकालकर अपने शौक पूरे करने लगा हूं। अब तक मेरी 6 लघु कथाओं को फिल्माया जा चुका है और आज तक मेरी स्वरचित 50 पुस्तकों में से यह मात्र तीसरी पुस्तक का लोकार्पण किया गया है।

अपने वक्तव्य को विराम देने से पूर्व उन्होंने अपने कुछ दोहे, गज़ल और गीत के माध्यम से सभागार में विराजित विद्वतजनों को लाभान्वित तो किया ही, साथ-ही-साथ उन्हें अपनी प्रस्तुतियों पर वाह-वाही और करतल-ध्वनि से सभागार को गुंजायमान करने पर विवश कर दिया।
कवयित्री सुश्री मनीषा अमौली द्वारा सभागार में उपस्थित जनसमुदाय के प्रति धन्यवाद और आभार ज्ञापित करने के साथ यह भव्य आयोजन सम्पन्न हुआ।
— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट।