
राष्ट्रीय संगोष्ठियाँ, वैचारिक मंथन और गीत ग़ज़ल संध्या हुई आयोजित
राष्ट्रीय संगोष्ठी* : *विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड स्वरूप और परिकल्पना*
विश्व रंग फाउंडेशन के अंतर्गत वनमाली सृजन केंद्रों का पांचवा राष्ट्रीय सम्मेलन वनमाली सभागार, स्कोप ग्लोबल स्किल विश्वविद्यालय, भोपाल में दो-तीन अगस्त 2025 को संपन्न हुआ।
वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन के दूसरे दिन सर्वप्रथम ‘विश्व रंग अतंरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड : स्वरूप और परिकल्पना’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और विश्व रंग के निदेशक श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
उल्लेखनीय है कि मॉरीशस में विश्व रंग के भव्य एवं ऐतिहासिक आयोजन के अवसर पर मॉरीशस के महामहिम राष्ट्रपति और माननीय प्रधानमंत्री की गरिमामय उपस्थिति में विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे ने हिंदी के वैश्विक विस्तार के लिए ‘विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड–2025’ की घोषणा की थी।
श्री संतोष चौबे ने इस अवसर पर विश्व रंग फाउंडेशन (भारत), रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत) एवं वनमाली सृजन पीठ (भारत) द्वारा पचास से अधिक देशों में 14 सितंबर हिंदी दिवस से 30 सितंबर अंतरराष्ट्रीय अनुवाद दिवस तक आयोजित होने जा रहे विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड–2025 के विषय में विस्तार से जानकारी दी।
इस अवसर पर वक्ता के रूप में वरिष्ठ शिक्षाविद् प्रोफेसर अमिताभ सक्सेना ने विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड के अकादमिक स्वरूप पर केंद्रित वेबसाइट के माध्यम से राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसके क्रियान्वयन पर प्रकाश डाला।
डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय के कुलगुरु डॉ. अरुण जोशी ने निमाड़ अंचल में विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड के आयोजन पर अपने विचार रखते हुए कहा कि दस हजार से अधिक प्रतिभागियों को इसमें खंडवा और आसपास के अंचल से सम्मिलित किया जाएगा।
टैगोर अंतरराष्ट्रीय हिंदी केंद्र के निदेशक डॉ. जवाहर कर्नावट ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ओलंपियाड के आयोजन पर अपने विचार रखते हुए कहा कि 65 से अधिक देशों को विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड से जोड़ा गया है। अधिकांश देशों में ओलंपियाड के पोस्टर का लोकार्पण भारतीय दूतावास और महत्वपूर्ण संस्थानों में समारोह पूर्वक किया गया है।
एजीयू की निदेशक डॉ. पुष्पा असिवाल ने कहा कि ओलंपियाड के सुचारू संचालन के लिए अब तक दस हजार से अधिक केंद्रों का पंजीयन राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया गया है। इनमें एक लाख से अधिक विद्यार्थियों ने अपना पंजीयन किया गया है।
इस अवसर श्री रामकिशन भारद्वाज (छतरपुर), श्री अनूप चौबे (ग्वालियर), श्री लियाकत अली खोकर (लखनऊ) ने अपने–अपने क्षेत्र में विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड की तैयारियों पर विचार साझा किए। इस अवसर पर ‘विश्व रंग अंतरराष्ट्रीय हिंदी ओलंपियाड’ का पोस्टर और फोल्डर का लोकार्पण किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का संचालन डॉ. विशाखा राजूरकर राज द्वारा किया गया।
*राष्ट्रीय संगोष्ठी*: *पुस्तक संस्कृत के विकास में विश्व रंग पुस्तक यात्रा का महत्व*
पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए विश्व रंग के अंतर्गत देश भर में बड़े पैमाने पर पुस्तक यात्राओं का आयोजन आईसेक्ट समूह के विश्वविद्यालयों द्वारा किया जाता है। इनमें वनमाली सृजन केंद्रों का बड़ा योगदान होता है। इसी तारतम्य में ‘पुस्तक संस्कृति के विकास में विश्व रंग पुस्तक यात्रा का महत्व’ विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन विश्व रंग के निदेशक एवं रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता में आयोजित हुआ। श्री संतोष चौबे ने कहा कि पुस्तक संस्कृति के विस्तार के लिए इस बार भी ग्यारह पुस्तक यात्राओं का आयोजन अक्टूबर माह में किया जाएगा।
इस संगोष्ठी में वक्ता के रूप में डॉ. रवि चतुर्वेदी, कुलसचिव, डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय, खंडवा, श्री संतोष कौशिक, श्री संतोष उपाध्याय (भोपाल), श्री योगेश मिश्रा (बिलासपुर), श्री निशांत श्रीवास्तव (जबलपुर), श्री रिशु कुमार(वैशाली, बिहार), श्री प्रवीण तिवारी (रीवा), श्री अब्दुल मजी़द (रायपुर), श्री मिथिलेश राय, श्री अमृत राज निगम (शहडोल)ने पुस्तक यात्राओं से जुड़े अपने अनुभव एवं विचार व्यक्त किये।
इसका संचालन विश्व रंग सचिवालय के सचिव संजय सिंह राठौर ने किया। इस अवसर पर पुस्तक यात्रा पर केंद्रित फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
*राष्ट्रीय संगोष्ठी* : *स्थानीय संस्कृति का दस्तावेजीकरण*
वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन में ‘स्थानीय संस्कृति का दस्तावेजीकरण’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए डॉ. श्रीराम परिहार, वरिष्ठ ललित निबंधकार ने कहा कि लोक की हजारों साल की वाचिक परंपरा को अगली पीढ़ी को मूल जनजीवन के साथ हस्तांतरित करने की आवश्यकता है। हमारी वाचिक परंपरा को विलुप्त होने से बचाना बहुत महत्वपूर्ण कार्य है। वनमाली सृजन पीठ और डॉ. सी.वी. रामन विश्वविद्यालय के लोक संस्कृति केंद्र द्वारा इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया जाना अनुकरणीय है। डॉ. श्रीराम परिहार निमाड़ अंचल के लोकगीतों को गाते हुए न सिर्फ वे स्वयं भावविभोर हो उठे वरन सभागार में उपस्थित श्रोताओं की आँखें भी नम हो गई।
इलेक्ट्रॉनिकी आपके लिए की संपादिका डॉ. विनीता चौबे ने कहा कि लोक थोड़े में बहुत कुछ कह देता है। लोक गीतों को सुनते ही उन्हें सुनने वाले भावविभोर हो उठते हैं। उल्लेखनीय है कि बारह खंडों में चतुर्वेदी समाज के इतिहास, लोक संस्कृति, त्योहार, रीति रिवाज गीतों आदि को संजोया हैं। बृज की रसोई पर केंद्रित उनकी पुस्तक बेस्ट सेलर पुस्तक हो गई है।
टैगोर विश्व कला एवं संस्कृति केंद्र के निदेशक एवं रंग संवाद के संपादक श्री विनय उपाध्याय ने कहा कि दस्तावेजीकरण के साथ अपने सांस्कृतिक मूलाधारों के साथ स्थानीय संस्कृति को सहेजने की महती जरूरत है। दस्तावेजीकरण एक कौशल भी है। लोक अंचलों से लोक संवाद को बनाए रखना बहुत जरूरी है। बोलियाँ हमारी भाषा को समृद्ध करती हैं अतः बोलियों को बचाने की कवायद बहुत जरूरी है।
वरिष्ठ संगीतकार श्री संतोष कोशिश ने आईसेक्ट समूह द्वारा बृज की होलियाँ, लोक में गाएँ जाने वाले भजन, कविताओं, शिक्षा, साक्षरता और जल प्रबंधन के लिए गीतों की सांगीतिक प्रस्तुतियों और दस्तावेजीकरण पर अपने विचार विस्तार से रखें।
इस अवसर पर डॉ. विनीता चौबे जी द्वारा लिखित बेस्ट सेलर पुस्तक ‘ब्रज की रसोई’ के नये संस्करण का लोकार्पण किया गया। इसके साथ ही ‘निमाड़ का लोक पर्व संजा’ पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। विश्व रंग में लोक कला पर केंद्रित सांस्कृतिक सत्रों पर आधारित “लोक रंग” फिल्म का प्रदर्शन भी किया ।
इस संगोष्ठी का संचालन युवा कवि श्री मुदित श्रीवास्तव द्वारा किया गया।
*गीत–ग़ज़ल से गुलजार हुई सावन की सुहानी शाम*
वनमाली सृजन केंद्रों के भव्य समापन अवसर पर विश्व रंग के निदेशक एवं वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष चौबे की अध्यक्षता और डॉ. नुसरत मेहदी, निदेशक, उर्दू अकादमी के मुख्य आतिथ्य में ‘गीत ग़ज़ल संध्या’ का आयोजन किया गया है।
इस अवसर पर डॉ. नुसरत मेहदी ने कहा की आज प्रस्तुत गज़लों का केनवास बहुत बड़ा देखने को मिला। आज प्रेम, करुणा, सौंदर्य, सामाजिक सरोकारों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर केंद्रित बहुत ही उम्दा ग़जलें पेश की गई।
डॉ. नुसरत मेहदी ने अपनी ग़ज़ल ‘बेसबब सी बातों पर रंजीशें रूलाती है, लोग दुःख नहीं देते ख्वाहिशें रूलाती हैं’ पेश करते हुए गीत-ग़ज़ल की सुहानी शाम को यादगार बना दिया।
इस अवसर पर वरिष्ठ गीतकार डॉ. रामवल्लभ आचार्य के नये गीत संग्रह ‘गीतों के गांवों में’ का लोकार्पण किया गया। डॉ. रामवल्लभ आचार्य ने वर्षा ऋतु पर केंद्रित गीत ‘बदलियों से झाँकने लगा सूरज’ की मधुर प्रस्तुति दी। श्री संतोष चौबे ने भी डॉ. रामवल्लभ आचार्य के गीत ‘उधड़ी सी तुरपन’ का बहुत सुंदर पाठ किया। इसके साथ ही उन्होंने अपनी ताजा ग़ज़ल और कविताओं का अविस्मरणीय पाठ किया।
गीत–ग़ज़ल गोष्ठी का संचालन वरिष्ठ ग़ज़लकार बद्र वास्ती ने करते हुए कहा कि “जो खुशामद का बाग होता है, दोस्ती पर वो दाग होता है, ऐसे लोगों से दूर ही रहिए, जिनके दिल में दिमाग होता है।”
वरिष्ठ गीतकार श्री ऋषि श्रृंगारी ने ‘हमारे शहर का मौसम सुहाना हो गया है, तुम्हारे गाँव में भी श्यामल बदरवाँ छा गये होंगे’ गीत को अपनी सुमधुर आवाज में प्रस्तुत कर गोष्ठी को नया आयाम प्रदान किया।
राजेन्द्र गट्टानी ने अपने मुक्तक के माध्यम से आज के हालात को बहुत शिद्दत के साथ प्रस्तुत किया। गीतकार सुश्री ममता वाजपेयी ने गाँव में बिताएँ बचपन पर केंद्रित गीत ‘और सुधियों की कलम से फिर वहीं बचपन लिखूँ’ पर खूब तालियाँ बटोरी। वरिष्ठ ग़ज़लकार इकबाल मसूद ने ‘नज्म ने कहा मुझे लिखों’ शीर्षक से बहुत भावपूर्ण नज्म पेश की। युवा ग़ज़लकार कमलेश नूर ने अपनी ग़ज़ल सुनाते हुए कहा कि ‘गुरुर अपने दिल से मिटाकर तो देखों, बनेंगे सब अपने बनाकर देखों’ का बहुत उम्दा पाठ किया। ओम यादव (देवास) ने बहुत सुंदर गीत प्रस्तुत किया। प्रतिभा द्विवेदी ने प्रेमगीत ‘रात के आँचल से मैं ओंस सी झरती रहूँ’ की बहुत सुंदर प्रस्तुति दी। संतोष परिहार (बुरहानपुर) ने अपनी ग़ज़ल में बदलते युग को पेश किया। जय जी (देवास) ने हिंदी को केंद्र में रखकर बहुत सुंदर ग़ज़ल पेश की। रवींद्र यादव (टीकमगढ़) ने अपनी रचना में कहा कि “चार छ: आठ की जरूरत ही नहीं, आँखों को एक ख्वाब ही बहुत होता है।” लियाकत खोखर (लखनऊ) ने अपनी ग़ज़ल में “शरीफों के लिए अब ये सियासत नहीं है दोस्त, जो कम बुरे है उनको चुनिए जरा जनाब” के माध्यम से आज के राजनीतिक हालात बयां किये। श्री मोहन सगोरिया (भोपाल) ने सईयारा पर गज़ल ‘आसमां में एक तारा सईयारा’ और ‘प्यार पर एतबार करना है, टूटकर प्यार करना है’ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी। दिनेश गुप्ता (सतना)ने अपनी ग़ज़ल ‘यार कभी वो हमारा हुआ करता था, यादों में उसके गुजारा हुआ करता था’ के माध्यम से टूटे दिल की दास्तां बयां की। स्मिता तिवारी (भोपाल) ने ‘प्रगति का विवेक’ रचना प्रस्तुत की।
राष्ट्रीय सम्मेलन के समाहार और भविष्य की दृष्टि पर वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष चौबे ने अपने विचार रखे। अंत में आभार सुश्री ज्योति रघुवंशी, राष्ट्रीय संयोजक, वनमाली सृजन पीठ द्वारा दिया गया।
वनमाली सृजन केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन के निष्कर्ष :
इस अवसर पर वनमाली सृजन पीठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री संतोष चौबे द्वारा निम्नलिखित घोषणाएं की गई :–
1 रायपुर (छत्तीसगढ़) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) में वनमाली सृजन पीठ स्थापित करने की घोषणा करते हुए वनमाली सृजन पीठ, बिलासपुर (छत्तीसगढ़) का नेतृत्व वरिष्ठ कवि श्री रामकुमार तिवारी को सौंपने की घोषणा भी की।
2 देशभर में 150 से अधिक वनमाली सृजन केंद्र कार्यरत हैं। आने वाले दिनों में 50 नये वनमाली सृजन केंद्रों की स्थापना की जाएगी। सभी वनमाली सृजन केंद्र आत्मनिर्भरता के साथ मल्टी कल्चरल सेंटर के रूप में विकसित किए जायेंगे।
3 डॉ. सी.वी.रामन विश्वविद्यालय, खंडवा द्वारा प्रदान की जाने वाली ‘वनमाली फेलोशिप’ वरिष्ठ रचनाकार श्री कैलाश मंडलेकर (खंडवा)को प्रदान की जाएगी।
4 ‘विष्णु खरे फेलोशिप’ वरिष्ठ कवि, अनुवादक एवं शिक्षाविद् प्रो. रतन चौहान (रतलाम) को प्रदान की जाएगी।
5 आईसेक्ट पब्लिकेशन द्वारा बेस्ट सेलर पुस्तकों के रचनाकारों को सम्मानित किया जाएगा।
6 पुस्तक मित्र योजना का शुभारंभ किया जाएगा।
7 अनुवाद की पुस्तकों विशेषकर भारतीय भाषाओं की पुस्तकों के हिंदी में अनुवाद और हिंदी की पुस्तकों के भारतीय भाषाओं में अनुदित पुस्तकों के प्रकाशन को प्रथमिकता दी जाएगी।
8 लोक और स्थानीय बोलियों की पुस्तकों को महत्व दिया जाएगा।
9 वनमाली सृजन केंद्रों के माध्यम से पांडुलिपि प्रकाशन को बढ़ावा दिया जाएगा।
10 वनमाली सृजन केंद्रों को मल्टी कल्चरल सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा।
11 विश्व रंग के अंतर्गत होने वाली रचनात्मक गतिविधियों का शुभारंभ जुलाई में अंतरराष्ट्रीय शोधार्थी सम्मेलन से हो गया है। वनमाली सृजन केंद्रों का राष्ट्रीय सम्मेलन भी विश्व रंग के पूर्व रंग का महत्वपूर्ण अंग हैं।
12 इस बार विश्व रंग आरंभ का आयोजन मुंबई में किया जाएगा।
13 विश्व रंग का वैश्विक आयोजन कोलंबो, श्रीलंका में होगा।
14 विश्व रंग पुस्तक यात्रा का आयोजन अक्टूबर में होगा।
15 विश्व रंग बाल महोत्सव भोपाल में आयोजित होगा।
16 विश्व रंग का मुख्य आयोजन नवंबर माह में भोपाल में पूर्ण भव्यता के साथ किया जाएगा।
रिपोर्ट लेखन : संजय सिंह, भोपाल


