जोधपुर के  कला, संस्कृति, शिक्षा  विचार मंच ‘सृजना’ की ओर से  वरिष्ठ कवयित्री  सुषमा चौहान “किरण”  के सद्य प्रकाशित  कविता संग्रह ‘का से कहूँ‘ का समारोह पूर्वक  लोकार्पण किया गया। इस अवसर समारोह की मुख्य अतिथि महादेवी वर्मा पुरस्कार से सम्मानित  प्रख्यात कवयित्री डॉ.मधु चतुर्वेदी, (गजरौला उत्तर प्रदेश) ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारे यहां  स्त्री समाज में ‘प्रसन्नता का आवरण ओढा हुआ  है, और ओढे हुए आवरण से मात्र हम दिखावा करते हैं कि हम प्रसन्न हैं, लेकिन ऐसा है नहीं ….नारी को देवी अथवा दासी का रूप थोपकर समानता के अधिकार से दूर करने की जो पीड़ा है, उसे सुषमा चौहान की रचनाओं में बखूबी व्यक्त किया गया  है। उन्होंने कहा कि संस्कृति जब अपने मूल कृतियों को त्यागकर विकृतियों की ओर चल पड़ती है तब विषमताएं उत्पन्न हो जाती हैं, यह समझने की जरूरत है।  समारोह की अध्यक्ष और  हिन्दी भाषा भूषण सम्मान से समादृत गीतकार प्रोफेसर डॉ. रमा सिंह ने कहा कि कविता  मन के भावों का सम्प्रेषण है। यह सच्चाई है कि पीड़ा से कविता का जन्म होता है। उन्होंने यह भी कहा कि जो सामने है, कम दिखाई देता है, चुप है फिर भी सुनाई देता है। दर्द अपनी कहानी लिखने के लिये अश्क की रौशनाई देता है।

पुस्तक लोकार्पण के पश्चात् कृतिकार सुषमा चौहान “किरण” ने अपनी  प्रतिनिधि कविताओं का पाठ किया जिसे खूब सराहा  गया। इस अवसर पर सुप्रतिष्ठ कथाकार एवं कवयित्री  प्रगति गुप्ता ने लोकार्पित कृति पर पत्रवाचन  किया।

प्रारम्भ में संस्थान  के सचिव सुप्रतिष्ठ कहानीकार एवं आलोचक  डॉ. हरिदास व्यास ने अतिथियों का परिचय  दिया  एवं कवयित्री सुषमा  चौहान  के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया, तत्पश्चात रंगकर्मी महुआ चौहान, सुप्रतिष्ठ साहित्यकार हरि प्रकाश राठी, मीठेश निर्मोही आदि साहित्यकारों द्वारा अतिथि साहित्यकारों का पुष्प गुछ एवं  स्मृति चिन्ह आदि भेंट कर स्वागत-अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली से पुरस्कृत राजस्थानी एवं हिन्दी कवि, कथाकार एवं अनुवादक मीठेश निर्मोही एवं सुप्रतिष्ठ ललित निबंधकार एवं कवि दशरथ सोलंकी ने कवयित्री सुषमा चौहान को शॉल ओढा कर तथा राजस्थानी की सुप्रतिष्ठ साहित्यकार बसंती पंवार तथा डॉ.चांद कौर जोशी ने साड़ी भेंट कर सम्मानित किया। होटल चन्द्रा इन के प्रेक्षागृह में आयोजित समारोह का संचालन मयूरी खत्री ने किया तथा महुआ चौहान ने आभार व्यक्त किया ।

समारोह में शहर के नामी-गिरामी साहित्यकार एवं रंगकर्मी उपस्थित  रहे।

रमा सिंह

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