मिकु कोबायाशी
तृतीय वर्ष, ओसाका विश्वविद्यालय
इस लेख में मैं ओसामू दाज़ाई और उनके उपन्यास ‘मेलोस, दौड़ो’ (走れメロス) के बारे में लिख रही हूँ ।
ओसामू दाज़ाई का जन्म 19 जून 1909 को जापान के आओमोरी राज्य में हुआ था। उनका वास्तविक नाम शूजि त्सूशीमा है। उनका परिवार वहाँ का एक अमीर ज़मींदार परिवार था। दाज़ाई ने हाईस्कूल की पढ़ाई प्राप्त करने के बाद तोक्यो इम्पीरीयल विश्वविद्यालय के फ्रेंच साहित्य विभाग में प्रवेश लिया। लेकिन उन्होंने विश्वविद्यालय छोड़ दिया। वे रयूनोसुके आकूतागावा से प्रभावित हुए। उनकी रचनाओं की विशेषताएँ समय के अनुसार बदलती हैं। शुरुआत में वे जीवन के डर के बारे में आशा रहित रचनाएँ लिखते थे। दूसरी शादी के बाद वे प्रसन्न या हास्यप्रद उपन्यास भी लिखने लगे। अंत में वे अपने उपन्यास में विनाश की सुंदरता को दिखाते थे। 13 जून 1948 को दाज़ाई ने तोक्यो की नहर में कूदकर आत्महत्या कर ली। तब वे अड़तीस साल के थे ।
कई महिलाओं से उनका नाटकीय प्रेम भी प्रसिद्ध है। उन्होंने सबसे पहले 1931 में हात्सूयो ओयामा नामक एक नर्तकी से शादी की। जब उन्हें पता चला कि हात्सूयो का दूसरे आदमी से प्रेम संबंध है तो दाज़ाई ने एक वेट्रेस के साथ आत्महत्या का प्रयास किया लेकिन केवल वे बच गए। इसलिए दाज़ाई और हात्सूयो ने 1937 में तलाक ले लिया। उस समय तक उन्हें नशे की लत लग चुकी थी। दो साल बाद उन्होंने मीचीको ईशीहारा नामक एक महिला से विवाह किया। 1941 में दाज़ाई को शीज़ूको ओता नामक एक महिला मिली और वे उससे प्यार करने लगे। वे एक दूसरे से अलग हुए क्योंकि दाज़ाई की पत्नी मीचीको को उनके दूसरे संबंध का संदेह हुआ। लेकिन दाज़ाई 1944 से दुबारा शीज़ूको से मिलने लगे और शीज़ूको दाज़ाई की बच्ची की माँ बन गई। शीज़ूको के बाद दाज़ाई तोमीए यामासाकी नामक ब्यूटीशियन से प्यार करने लगे। अंत में दाज़ाई ने तोमीए के साथ आत्महत्या कर ली।
ओसामू दाज़ाई की प्रमुख रचनाएँ निम्नलिखित हैं: “माऊँट फूजी की सौ दृष्टियाँ, “छात्रा”, “डूबता हुआ सूर्य”, “व्हियों की पत्नी”, “मैं अब इंसान नहीं हूँ” आदि। उनकी रचनाओं में से मैं “दौड़ो, मेलोस” उपन्यास का परिचय दे रही हूँ। दाज़ाई ने यह उपन्यास 1940 में लिखा था। आठवीं कक्षा के लड़के और लड़की इस उपन्यास के केंद्र में हैं। यह कहानी दोस्ती और विश्वास के महत्त्व के बारे में लिखी गई है।
मेलोस एक गड़रिया है। उसकी एक छोटी बहन है जिसका विवाह होने वाला है। शादी की पार्टी के लिए खरीदारी करने वह शहर के बाज़ार जाता है। मेलोस को वहाँ सब सूना-सूना लगता था तो वह लोगों से इसका कारण पूछता है। एक बूढ़ा आदमी कहता है कि राजा लोगों पर विश्वास नहीं करते हैं और अपने राजकुमार, रानी, मंत्री, आदि को मार डालते हैं। यह सुनकर मेलोस को बहुत गुस्सा आता है और राजा को मारने का निश्चय करता है क्योंकि मेलोस बहुत न्यायप्रिय और सरल आदमी है। वह चाकू लेकर महल जाता है मगर पकड़ा जाता है। मेलोस राजा के सामने कहता है कि मैं आपसे लोग बचाने के लिए आपको मार डालूँगा। और वह राजा से कहता है कि अगर आप मुझे मारना चाहते हैं तो तीन दिन बाद मार डालिए क्योंकि मुझे छोटी बहन की शादी के लिए गाँव वापस जाना चाहिए। राजा कहते हैं कि जब तक मेलोस अपने गाँव में है तब तक उसका दोस्त सेलिनुंतिउस मेलोस के स्थान पर बंदी बनाया जाएगा। अगर मेलोस तीसरे सूर्यास्त तक नहीं वापस आएगा तो सेलिनुंतिउस मारा जाएगा। सेलिनुंतिउस मेलोस पर विश्वास करके सहमत होता है। मेलोस दौड़कर अपने गाँव उसी रात पहुँच जाता है। वह अपनी छोटी बहन से कहता है कि तेरी शादी कल की जाएगी। वह राजा या सेलिनुंतिउस के बारे में कुछ नहीं बोलता है। वह पार्टी की तैयारी करके गहरी नींद सोता है। रात में जगकर मेलोस दूल्हे के घर जाता है। मेलोस दूल्हे और उसके परिवार से कहता है कि शादी कल करेंगे। वे मेलोस के प्रस्ताव को मना करते हैं। मेलोस दूल्हे से बात करके अगले दिन शादी करवा देता है। शादी होने पर मेलोस को बहुत खुशी हुई। मेलोस हमेशा के लिए यहाँ रहना चाहता है। मगर वह गाँव से निकल जाने का निश्चय करता है। वह अपनी बहन से कहता है “मुबारक हो। अपने बड़े भाई पर गर्व करो” वह दूल्हा से कहता है कि मैं तुझे अपनी सारी संपत्ति दूँगा। फिर मेलोस सो जाता है। मेलोस सुबह के झुटपुटे में जगकर सोचता है कि मैं देर से उठा। लेकिन मेलोस दौड़ता है। वह सूर्यास्त तक राजा और सेलिनुंतिउस के यहाँ पहुँच जाता है। सेलिनुंतिउस और मेलोस राजा को विश्वास और दोस्ती की सुंदरता दिखाते हैं।
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