‘हिन्दी : कल, आज और कल’ हिंदी दिवस पर हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा का विशेष आयोजन

21 सितंबर 2024 को ब्रैम्पटन की स्प्रिंगडेल लाइब्रेरी में, हिन्दी दिवस के उपलक्ष्य में “हिन्दी राइटर्स गिल्ड कनाडा“ और टोरंटो में भारतीय कौंसलावास द्वारा एक विशेष कार्यक्रम “हिन्दी: कल, आज और कल“ का आयोजन किया गया। हिन्दी के विकास की अब तक की यात्रा और भविष्य में ये किस गति से प्रगति करेगी, इस विषय पर जहाँ अनेक हिंदी प्रेमियों और विद्वानों द्वारा विचार रखे गये वहीं बच्चों ने कविता/ गीत/ निबंध के माध्यम से अपना हिन्दी-प्रेम प्रकट किया। मुख्य अतिथि भारतीय महावाणिज्य दूतावास टोरोंटो के कौंसिल श्री गिरीश जुनेजा के पधारते ही जलपान के साथ कार्यक्रम आरंभ हुआ। सर्वप्रथम गिल्ड की संस्थापक निदेशिका डा. शैलजा सक्सेना ने मुख्य अतिथि व आये सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने ’हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा’ द्वारा हिन्दी के प्रसार-प्रचार के लिये किये गये १६ वर्षों के कामों को बहुत संक्षेप में बताते हुए कहा, कि हम सब चाहते हैं कि हिन्दी UNO की आधिकारिक भाषा बने पर यह भी आवश्यक है कि उसे राष्ट्र भाषा के रूप में भारत में स्वीकार किया जाये। उन्होंने प्रवासी भारतवंशियों से निवेदन किया कि वे अपने बच्चों में हिन्दी के प्रति लगाव पैदा करें। शैलजा जी ने प्रथम सत्र के संचालन के लिए, निदेशक मंडल के सदस्य, अभिनेता और लेखक श्री विद्याभूषण धर को आमंत्रित किया। विद्याभूषण जी ने सभी का स्वागत करते हुए ६ वर्षीया कियारा तिवारी को सरस्वती वंदना द्वारा कार्यक्रम प्रारंभ करने के लिये मंच पर आमंत्रित किया। कियारा ने “याकुन्देन्दुतुषारहारधवला” गा कर सबका मन मोह लिया। इसके बाद विद्या जी ने भारतीय महावाणिज्य दूतावास टोरोंटो से पधारे मुख्य अतिथि कौंसल श्री गिरीश जुनेजा जी का परिचय दिया। मई 2024 से भारत के महावाणिज्य दूतावास में कौंसल के रूप में कार्यरत गिरीश कुमार जी लीबिया, जर्मनी, मिस्र, बेल्जियम, मोरक्को और जमैका के भारतीय दूतावासों में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर संस्था की ओर से, कार्यकारी मंडल की सदस्या, लेखिका श्रीमती प्रीति अग्रवाल जी द्वारा बनाई गई सुंदर कलाकृति गिरीश जी को भेंट की गई। साथ ही संस्था की परिचालन निदेशिका तथा वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा वर्मा जी की कोविड के समय प्रकाशित चार पुस्तकों का लोकार्पण भी गिरीश जी ने किया। ये पुस्तकें हैं: “बरसी सुगंध (ताँका संग्रह), “मन की उड़ान (हाइकु संग्रह)”,“देहरी पर धूप (सेदोका संग्रह)” तथा “सिंदूरी भोर(हाइकु संग्रह)”। कृष्णा जी का एक हाइकु संग्रह पहले भी प्रकाशित हो चुका है। उत्तरी अमेरिका में इन विधाओं में संग्रह प्रकाशित करने वाली वे संभवत: पहली लेखिका हैं। इसके बाद गिरीश कुमार जी ने सभा को संबोधित किया।

उन्होंने भारतीय दूतावास की ओर से हिन्दी के संवर्द्धन के लिये हिन्दी राइटर्स गिल्ड के कामों की प्रशंसा की और कहा कि हिंदी मात्र भाषा नहीं अपितु राष्ट्रीय एकता की परिचायक भी है। उनका मानना है कि हमें अन्य सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर हिन्दी को अधिक सशक्त बनाने का काम करना चाहिए। उन्होंने भविष्य में भी हिन्दी के कार्यों में कौंसलावास के सहयोग का विश्वास दिलाया। इसके बाद विद्या भूषण धर जी ने “हम लाये हैं, तूफ़ान से कश्ती निकाल कर, इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल कर” के उद्धरण के साथ ही कुछ बच्चों को प्रस्तुति देने के बुलाया, जिनमें पहली प्रस्तुति दी रूही शर्मा ने। रूबी ने कविता के माध्यम से हिन्दी से प्यार करने का संदेश दिया। इसके बाद मॉरीशस मूल के १२ वर्षीय तीन भाई-बहिनों (ट्रिपलेट्स) ज्ञानम, हिया व येशु गुदारी ने अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने गीत, ”हम होंगे कामयाब एक दिन, मन में है विश्वास“ गा कर हिन्दी के प्रति अपने प्रेम किया किया । सभी ने मॉरीशस मूल की इस सातवीं पीढ़ी द्वारा हिन्दी को संजोए रखने के लिये उनका व उनके माता-पिता का तालियों से धन्यवाद किया। तीन बच्चों की अनुपस्थिति के कारण यह सत्र छोटा रहा। बच्चों की प्रस्तुतियों के बाद मुख्य अतिथि ने उन्हें सम्मान-पत्र भेंट कर हिन्दी से जुड़े रहने के लिये प्रोत्साहित किया।

शैलजा जी ने प्रथम सत्र के संचालन के लिए, निदेशक मंडल के सदस्य, अभिनेता और लेखक श्री विद्याभूषण धर को आमंत्रित किया। विद्याभूषण जी ने सभी का स्वागत करते हुए ६ वर्षीया कियारा तिवारी को सरस्वती वंदना द्वारा कार्यक्रम प्रारंभ करने के लिये मंच पर आमंत्रित किया। कियारा ने “याकुन्देन्दुतुषारहारधवला” गा कर सबका मन मोह लिया। इसके बाद विद्या जी ने भारतीय महावाणिज्य दूतावास टोरोंटो से पधारे मुख्य अतिथि कौंसल श्री गिरीश जुनेजा जी का परिचय दिया। मई 2024 से भारत के महावाणिज्य दूतावास में कौंसल के रूप में कार्यरत गिरीश कुमार जी लीबिया, जर्मनी, मिस्र, बेल्जियम, मोरक्को और जमैका के भारतीय दूतावासों में विभिन्न पदों पर कार्य कर चुके हैं। हिंदी दिवस के विशेष अवसर पर संस्था की ओर से, कार्यकारी मंडल की सदस्या, लेखिका श्रीमती प्रीति अग्रवाल जी द्वारा बनाई गई सुंदर कलाकृति गिरीश जी को भेंट की गई। साथ ही संस्था की परिचालन निदेशिका तथा वरिष्ठ साहित्यकार कृष्णा वर्मा जी की कोविड के समय प्रकाशित तीन पुस्तकों का लोकार्पण भी गिरीश जी ने किया। ये पुस्तकें हैं: “बरसी सुगंध (ताँका संग्रह), “मन की उड़ान (हाइकु संग्रह)”, “देहरी पर धूप (सेदोका संग्रह)”। कृष्णा जी का एक हाइकु संग्रह पहले भी प्रकाशित हो चुका है। उत्तरी अमेरिका में इन विधाओं में संग्रह प्रकाशित करने वाली वे संभवत: पहली लेखिका हैं। इसके बाद गिरीश कुमार जी ने सभा को संबोधित किया।

उन्होंने भारतीय दूतावास की ओर से हिन्दी के संवर्द्धन के लिये हिन्दी राइटर्स गिल्ड के कामों की प्रशंसा की और कहा कि हिंदी मात्र भाषा नहीं अपितु राष्ट्रीय एकता की परिचायक भी है। उनका मानना है कि हमें अन्य सभी भारतीय भाषाओं को साथ लेकर हिन्दी को अधिक सशक्त बनाने का काम करना चाहिए। उन्होंने भविष्य में भी हिन्दी के कार्यों में कौंसलावास के सहयोग का विश्वास दिलाया। इसके बाद विद्या भूषण धर जी ने “हम लाये हैं, तूफ़ान से कश्ती निकाल कर, इस देश को रखना मेरे बच्चों सम्भाल कर” के उद्धरण के साथ ही कुछ बच्चों को प्रस्तुति देने के बुलाया, जिनमें पहली प्रस्तुति दी रूबी शर्मा ने। रूबी ने कविता के माध्यम से हिन्दी से प्यार करने का संदेश दिया। इसके बाद मॉरीशस मूल के १२ वर्षीय तीन भाई-बहिनों (ट्रिपलेट्स) ज्ञानम, हिया व येशु गुदारी ने अपनी प्रस्तुति दी। उन्होंने गीत, ”हम होंगे कामयाब एक दिन, मन में है विश्वास“ गा कर हिन्दी के प्रति अपने प्रेम प्रकट किय?। सभी ने मॉरीशस मूल की इस सातवीं पीढ़ी द्वारा हिन्दी को संजोए रखने के लिये उनका व उनके माता-पिता का तालियों से धन्यवाद किया। तीन बच्चों की अनुपस्थिति के कारण यह सत्र छोटा रहा। बच्चों की प्रस्तुतियों के बाद मुख्य अतिथि ने उन्हें सम्मान-पत्र भेंट कर हिन्दी से जुड़े रहने के लिये प्रोत्साहित किया।

विद्या जी ने दूसरे सत्र का प्रारंभ करने के लिये संस्था के कार्यकारी मंडल के सदस्य और लेखक योगेश ममगाईं जी को मंच पर आमंत्रित किया। योगेश ममगाईं जी ने एक बार पुनः सभी का स्वागत किया व टोरोंटो के प्रतिष्ठित साहित्यकार और योगाचार्य श्री संदीप त्यागी जी को हिन्दी वंदना के लिये सादर आमंत्रित किया। संदीप जी ने स्वरचित “जय-जय हृदय हुलासिनी हिन्दी, विश्व विकासिनी भाषा, अभिलाषा अखिल राष्ट्र भारत की, नित्य नवल परिभाषा” गा कर सभी को मंत्र मुग्ध कर दिया। इसके बाद कार्यक्रम के मूल विषय, “ हिन्दी कल आज और कल” पर विचार रखने का क्रम प्रारंभ हुआ। योगेश जी ने वरिष्ठ साहित्यकार, ’हिन्दी चेतना’ सहित कई वेब पत्रिकाओं के संपादक, 40 से अधिक प्रकाशित पुस्तकों के लेखक, श्री रामेश्वर कांबोज ’हिमांशु’ जी को मंच पर सादर आमंत्रित किया। कांबोज जी ने कहा कि भाषा और संस्कृति परस्पर पूरक होती हैं।, संस्कृति बचाने के लिए भाषा सीखनी आवश्यक है। उन्होंने कहा कि हिन्दी नदी समान है जिसमें बहुत सी अन्य भाषाएँ आकर मिलती हैं और इस प्रवाह को रोकना नहीं चाहिए। साथ ही कांबोज जी ने समय के साथ अनेक शब्दों के अर्थ बदलने के बहुत से रोचक उदाहरण दिये जैसे घृणा, वेदना आदि शब्द। उनके इस वक्तव्य से श्रोताओं को नई जानकारी मिली। अगली वक्ता के रूप में शारजाह से आई कलाकार और लेखिका अंजू मेहता जी ने यूएई में हिन्दी की मासिक गोष्ठियों तथा संकलन प्रकाशन के काम से सभी को अवगत कराया। डॉ. आरती लोकेश के नेतृत्व में यू ए. ई. के लेखकों ने प्रकाशन की ओर ध्यान देना प्रारंभ किया है। कला व सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से हिन्दी को सशक्त बनाने की बात कहते हुए उन्होंने यू ए. ई. के भारतीय स्कूलों में हिंदी पढ़ाये जाने की भी जानकारी दी। उनके बाद योगेश जी ने गिल्ड के निदेशक मंडल की सदस्या तथा वरिष्ठ लेखिका आशा बर्मन जी को आमंत्रित किया। आशा जी ने टोरोंटो क्षेत्र में पिछले चार दशकों में काम करने वाले लोगों, संस्थाओं और उनमें अपनी भूमिका के बारे में बताया। आदरणीय हरिशंकर आदेश जी, डॉक्टर यादव, अचला जी, आदि अनेक वरिष्ठ लेखकों की मेहनत की नींव पर बनी नई संस्थाओं की बात करते हुए उन्होंने गिल्ड के कामों पर भी प्रकाश डाला। अब बारी थी भारत से आईं तारा वार्ष्णेय जी की जिन्होंने हिन्दी के इतिहास में अनेक संस्थाओं की विशद भूमिका को बताते हुए इसके विकास में तकनीक के योगदान से प्रसार की बात कही।

तारा जी के बाद डॉ. विनय कुमार गोदारी जी को मंच पर आमंत्रित किया। डॉ. विनय मॉरीशस में विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्राध्यापक रह चुके हैं। उन्होंने कहा कि मॉरीशस मेरी जन्मभूमि है, कैनेडा मेरी कर्म भूमि भारत मेरी धर्म भूमि है। उन्होंने मॉरीशस में हिन्दी के प्रचार- प्रसार में अध्ययन, नाटक, अन्य सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रयासों और स्कूल, विश्वविद्यालय तथा सांस्कृतिक संगठनों के कामों की तथ्यात्मक और सुंदर पॉवर पॉइंट प्रस्तुति दी। विनय जी के बाद मंच-संचालक ने वक्ताओं को सम्मान-पत्र देने के लिये मुख्य अतिथि श्री गिरीश जुनेजा जी को मंच पर आमंत्रित किया जिन्हें कार्यक्रम बीच में छॊड़ कर जाना पड़ रहा था। गिरीश कुमार जी ने सभी वक्ताओं को भारतीय दूतावास की ओर से सम्मानित किया। डा. शैलजा सक्सेना ने कौंसल गिरीश जी को अमूल्य समय देने के लिये धन्यवाद देते हुए दूतावास द्वारा सम्मान-पत्र एवं जलपान व्यवस्था के लिये आभार व्यक्त किया। तत्पश्चात् कार्यक्रम जारी रखते हुए टोरोंटो यूनिवर्सिटी में क्रियेटिव राइटिंग की प्रोफ़ेसर डा. कनिका वर्मा ने अपना वक्तव्य रखा कि हिंदी मेरे प्रेम की भाषा है। हिन्दी में अंग्रेज़ी की मिलावट और अंग्रेज़ी के अधिक प्रयोग की स्थिति में, हिन्दी की शिकायत पर अपनी एक रोचक कविता भी उन्होंने साझा की जिसे सभी ने बहुत सराहा ।

इसके बाद किसी कारणवश विलंब से पहुँची दस वर्षीय आयरा श्रीवास्तव ने अपने स्वरचित निबंध में तीन बिंदुओं द्वारा बताया कि हिन्दी समझना, बोलना और पढ़ना क्यों आवश्यक है। आयरा के विचार स्पष्ट और रोचक थे। शैलजा जी ने आयरा को सहभागिता का सम्मान पत्र दिया। कार्यक्रम के अंत में निर्मल जसवाल राणा जी ने पंजाबी भाषी तथा हिंदी से अपने प्रेम के चलते, अपनी पुस्तकों को दोनों भाषाओं में प्रकाशित करने की बात कही। समय की कमी से बहुत से विद्वान वक्ताओं को न सुन पाने का मलाल रहा परंतु इस आग्रह व विश्वास के साथ सभी ने विदा ली की अगली बैठक में वे अपने विचार रख सकेंगे।
कौंसलावास द्वारा लाये गये जलपान का सभी ने आनंद लिया और हिंदी को प्रतिदिन अपने घर में जगह देने का भाव भी दृढ़ किया। इस कार्यक्रम में लगभग ६० व्यक्तियों की उपस्थिति रही। इस अवसर पर डॉ. शैलजा ने नि:शुल्क हिंदी पुस्तकों की मेज़ पर प्रदर्शनी लगाई। लोग सहर्ष रुचि अनुसार ये पुस्तकें ले गये।
(रिपोर्ट:- योगेश ममगाईं)