कविराज शैलेन्द्र की जन्मशती के अवसर पर एक संगोष्ठी का भव्य आयोजन

दिनांक 30.08.2024 को नई दिल्ली के आईटीओ स्थित त्रिवेणी कला संगम के सभागार में दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के अंतर्गत संचालित हिन्दी अकादमी, दिल्ली के तत्वावधान में कविराज शैलेन्द्र की जन्मशती के अवसर पर एक संगोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता के कार्यभार का वहन दिल्ली आकाशवाणी के सेवानिवृत्त निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई ने किया। मुख्य अतिथि के दायित्वों का निर्वहन विशेषतः अमेरिका के सेन फ्रांसिस्को शहर से पधारे कविराज शैलेन्द्र के सुपुत्र श्री मनोज शैलेन्द्र ने किया। मंच पर वक्ताओं की श्रेणी में प्रसिद्ध फिल्म और मीडियाकर्मी डॉ राजीव श्रीवास्तव, देहरादून से पधारे साहित्यकार एवं शोधकर्ता डॉ इंद्रजीत सिंह तथा पंजाब से पधारी डॉ भावना बेदी भी विराजमान रहे। सभी मंचासीन विभूतियों को हिन्दी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग के कर-कमलों द्वारा पुस्तक प्रदान करके सम्मानित किया गया। मंच संचालन हिन्दी अकादमी, दिल्ली के उपसचिव श्री ऋषि कुमार शर्मा के सशक्त हाथों में रहा।
कार्यक्रम का आरंभ कविराज शैलेन्द्र के जीवनचरित्र पर हिन्दी अकादमी, दिल्ली द्वारा निर्मित एक वृत्तचित्र की प्रस्तुति के साथ किया गया। जिसके माध्यम से जीवन के व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं गीत-संगीत की गतिविधियों से संबंधित कुछ चुनिंदा पहलुओं का समावेश करके कविराज शैलेन्द्र के व्यक्तित्व और कृतित्व पर महत्वपूर्ण पक्षों को समाहित कर दृष्टिगोचर प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात्, वर्तमान समय में दुबई निवासित कविराज शैलेन्द्र की सुपुत्री श्रीमती अमला शैलेन्द्र मजूमदार के अपने पिता से जुड़े प्रकरणों और संस्मरणों के वीडियो संदेश को भी श्रोताओं के समक्ष प्रदर्शित किया गया।

तत्पश्चात्, क्रमबद्ध रूप से आमंत्रित वक्ताओं ने कविराज शैलेन्द्र से संबंधित पक्षों को सभागार में उपस्थित विभिन्न क्षेत्रों से आए विद्वजनों के समक्ष व्याख्यायित करते हुए अपने-अपने उद्बोधनों से लाभान्वित किया। जहां एक ओर, डॉ भावना बेदी ने उनकी कलम की बारिकियों से उभरकर आए भावनात्मक पहलुओं को दृष्टिगत किया। वहीं दूसरी ओर, डॉ इंद्रजीत सिंह ने अपने गत छह वर्षों के रूस प्रवास के संस्मरण सांझा करते हुए बताया कि राजकपूर के साथ-साथ शैलेन्द्र भी अपनी लेखनी से रचे गीतों से रूसी जनमानस के बीच लोकल से वोकल हैं। उस दौरान मैंने वहां के लोगों को अक्सर उनके गीतों को गुनगुनाते हुए सुना था। इससे प्रतीत होता था कि वह उनके दिलों में रचे-बसे हैं। साथ ही, उन्होंने अपनी विस्तृत शोधपरक प्रक्रियाओं के माध्यम से कविराज शैलेन्द्र के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित रचित पुस्तकों के विषय में भी जानकारी प्रदान की। उनकी ऐसी ही एक पुस्तक ‘भारतीय साहित्य के निर्माता – शैलेन्द्र’ का प्रकाशन वर्ष 2023 में साहित्य अकादेमी के तत्वावधान में किया गया है।

फिल्मों के निर्माता-निर्देशक और मीडियाकर्मी डॉ राजीव श्रीवास्तव ने शैलेन्द्र जी की बालीवुड में पर्दापण से सफलता के चरम तक पहुंचने की यात्रा के मध्य घटित कुछ गीतों से जुड़े प्रकरणों के अनछुए-अनकहे उदृरणों के माध्यम से अदभुत और अभूतपूर्व पक्षों को सभागार में उपस्थित जनसमूह के समक्ष प्रस्तुत किया। सुपुत्र श्री मनोज शैलेन्द्र ने अपने परिवार और पिता से संबंधित कुछ अनूठे और रोचक प्रसंगों को दृष्टिगत करते हुए उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व को रेखांकित किया। उन्होंने जगजाहिर इस कथन का भी कड़े शब्दों में खंडन किया कि उनके पिता शैलेन्द्र का देहावसान विकट वित्तीय परेशानियों के चलते हुआ था। कुछ समस्या थी, किंतु इतनी गंभीर भी नहीं थी। उन्होंने ज़्यादातर लोगों से लिए गए ऋणों को देर से ही सही, वापिस लौटा दिया था। पिता की पहली फ़िल्म ‘तीसरी कसम’ का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इसके गाने ‘सजन रे झूठ मत बोलो, खुदा के पास जाना है’ की शूटिंग मध्यप्रदेश के बीना में हुई थी। इस गीत में बैलगाड़ी के पीछे दिख रहे बच्चों में अपनी बड़ी बहन अमला शैलेन्द्र मजूमदार के साथ हम चारों भाई तथा मुकेश जी के बेटे नितिन मुकेश हैं। पिताजी अक्सर अपनी शूटिंग के दौरान अपने पूरे परिवार को साथ लेकर जाते थे।

दिल्ली आकाशवाणी के पूर्व निदेशक श्री लीलाधर मंडलोई ने अपने समय में शैलेन्द्र जी के जीवन से जुड़े कुछ अनकहे-अनछूए पहलुओं पर दृष्टिपात करते हुए उन्हें स्मरण किया और उनकी सहजता, विनम्रता और सरलता की सराहना करके अपने उद्बोधन को सबके समक्ष रखा।
कार्यक्रम के अंतिम पड़ाव पर “किसी की मुस्कुराहटों पर हो निसार” शीर्षक के तहत गायक युगल श्री प्रदीप शर्मा एवं सुश्री जया शर्मा ने कविराज शैलेन्द्र द्वारा रचित गानों में से कुछ चर्चित और चुनिंदा गीतों की संगीतमय प्रस्तुति से सभागार के समस्त वातावरण को वाह-वाही के उद्घोषों से गुंजायमान कर दिया।

सभागार की श्रोता-दीर्घा में उपस्थित गणमान्य विभूतियों में वरिष्ठ साहित्यकार एवं बिरला फाउंडेशन के निदेशक डॉ सुरेश ऋतुपर्ण, दिल्ली विश्वविद्यालय के खालसा कॉलेज की प्रोफेसर तथा शतायु वरिष्ठ साहित्यकार एवं कवि श्री रामदरश मिश्र की सुपुत्री डॉ स्मिता मिश्र, गज़लकार श्री ताराचंद शर्मा, गीतकार श्री शशिकांत, श्री मनोज शैलेन्द्र एवं श्री रामबिलास शर्मा जी के पारिवारिक सदस्य, मीडियाकर्मी श्रीमती अनीता सेठी वर्मा, कवयित्री श्रीमती ममता मिश्रा तथा आकाशवाणी-दूरदर्शन कलाकार, सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी, अधिवक्ता एवं गद्य-लेखक श्री कुमार सुबोध इत्यादि प्रमुख रहे।

हिन्दी अकादमी के सचिव श्री संजय कुमार गर्ग द्वारा सभागार में उपस्थित जनसमूह के साथ-साथ गणमान्य विभूतियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए हार्दिक धन्यवाद और आभार ज्ञापित करने के साथ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
— कुमार सुबोध, ग्रेटर नोएडा वेस्ट