सूरीनाम के महान सुपुत्र, मार्गदर्शक डॉ.राज नारायण मोहन प्रसाद ननंन पाँडे (क्रिस ननंन पाँडे) अब इस दुनिया में नहीं रहे

डॉ राजनारायण मोहन प्रसाद (क्रिस) ननंन पाँडे (21 अक्टूबर 1928 सूरीनाम – 2 मार्च 2025) बहुमुखी प्रतिभा के धनी, सूरीनाम के सफल राजनीतिक, शिक्षाविद और सामाजिक नेता, प्रशासक व सनातन धर्म महासभा के अध्यक्ष थे। उनका जीवन शिक्षा विकास और देश की सेवा के लिए समर्पित था। उन्होंने कई धार्मिक व सामाजिक संगठनों का गठन किया। 1960-1970 शिक्षा और सामुदायिक विकास तथा कृषि, पशुपालन और मत्स्य मंत्री रहे। साठ वर्षों तक उन्होंने भारतीय प्रवासी संगठन सनातन धर्म महासभा के अध्यक्ष के रूप में सूरीनाम व अमेरिका में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 2 मार्च 2025 को उसका देहावसान हो गया। उनके परिवार व सूरीनाम सरकार व अनेक संगठनों द्वारा उन्हें राजकीय सम्मान के साथ सूरीनाम के राष्ट्रपति चन्द्रिका प्रसाद संतोखी द्वारा अंतिम विदाई दी गई।


1914 में ब्रिटिश इंडिया के शासन में भारत से बहराइच, जौनपुर से रामदेव नंदन पांडेय (ननंन पाँडे) कलकत्ता के डिपो से “इनडूस IV” नाम के जहाज़ में सवार हो कर सूरीनाम “श्री राम“ के देश पहुँचे। वहाँ पहुँच कर अपने दूसरे भारतीय साथियों के साथ मिलकर अपने रक्त और स्वेद से वहाँ एक छोटे भारत का निर्माण किया। विवाह उपरांत उनकी बारह संतानें हुई। जिसमें छह बेटे और छह बेटियाँ हुई।


राजनारायण मोहन प्रसाद ननंन पाँडे जिन्हें लोग प्यार से क्रिस ननंन पाँडे के नाम से भी जानते हैं उनका जन्म सूरीनाम के शहर क्वाता में 21 अक्टूबर सन 1928 को हुआ। उस समय सूरीनाम में डच शासकों का राज था। सूरीनाम की जनता की हालत सही नहीं थी। स्वास्थ्य और शिक्षा की बेसिक सुविधाओं का अभाव था। ऐसे में 1946 में अपना शिक्षक/ प्रशिक्षण पूरा करने के बाद वह वहीं सूरीनाम में शिक्षक के रूप में कार्य करने लगे। कुछ वर्षों बाद वह सन 1953 में “पंजाब विश्वविद्यालय “ में अध्ययन करने के लिए भारत चले गये, जहाँ से उन्होंने 1955 में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की। उसके बाद नीदरलैंड में देनहॉग शहर में स्थित I-S-S (Instituut of Science Study) सामाजिक अध्ययन संस्थान “से दो वर्ष के अध्ययन के बाद विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। अन्य विषयों के अतिरिक्त उन्होंने Amsterdam Universiteit से International Law की शिक्षा के बाद 1959 में अर्थशास्त्र में डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की जिसका शोध प्रबंध ‘सूरीनाम में कृषि- 1650-1950’ इसके पतन के कारणों पर आधारित रहा।


अपने देश सूरीनाम लौटने के बाद अन्य सामाजिक कार्यों के साथ वह शिक्षा और सामुदायिक विभाग (Education and Social Dweplment) के सामुदायिक विभाग के मंत्री व योजना ब्यूरो (Planing Bureau) के सलाहकार भी रहे। 1963 – 1969 तक वह भारतीय हिन्दुस्तानी राजनीतिक पार्टी के सूरीनाम राज्य के अध्यक्ष रहे। 1964-1967 तक वह मंत्री रहे। इसके अतिरिक्त वह 1969-1971 तक वह पुनः शिक्षा और सामुदायिक मंत्री के पद पर कार्यरत रहे। साथ ही वह Staatsraad, President of the Economic Commission of Asia and the Far East (ECAFE) President-Commissioner of the Agriculture, President of the Foid and Agriculture Organisation (FAO) आदि भी रहे।


1928 में सूरीनाम सनातन महासभा की स्थापना हुई। 1930 में भारत से सनातन धर्म के प्रचारक सूरीनाम आने लगे जिस कारण सूरीनाम के भारतीयों में अपने धर्म के प्रति जागरूकता और आस्था बढ़ने लगी। वहाँ पर धर्म संबंधी कार्यक्रम प्रचुर मात्रा में होने लगे। डॉ. रामनारायण मोहन प्रसाद ननंन पाँडे के घर के पास ही सबसे बड़ा सनातन धर्म का मंदिर था, और इनका सहयोग हमेशा मंदिर व सनातन धर्म के कार्यक्रमों में बना रहता था। 1964 से लेकर 2021 तक हिन्दू संगठन सनातन धर्म के अध्यक्ष रहे और सनातन धर्म के मंदिरों व हिन्दी भाषा की शिक्षा, सनातन अंतिम संस्कार स्थल, अनाथ बच्चों के लिए अनाथालय, वृद्धों के लिए वृद्धाश्रम, श्री विष्णु मंदिर निर्माण, सनातन टेलीविजन चैनल के निर्माण में लगातार कार्यरत रहे। 2012 में उन्हें “आर्डर ऑफ़ द पाम” De Ere-Ord Van de Palm “ के ग्रैंड ऑफिसर की उपाधि से विभूषित किया गया। 2021 से वह अमेरिका के सनातन धर्म महासभा के अध्यक्ष के रूप में सूरीनाम व अमेरिका में सनातन धर्म की शिक्षा व मंदिरों के निर्माण में पंडितों के निवास स्थान बनाने, सनातन अंतिम संस्कार के स्थान, सनातन टी वी चैनलों, सहयोग करते रहे। अपने जीवन काल में उन्होंने सूरीनाम के विभिन्न क्षेत्रों में पचास से अधिक सनातन मंदिर, हिन्दी भाषा के प्रचार प्रसार के लिए संस्थानों की स्थापना की। सूरीनाम में अपने मित्र व सहपाठी कमलापति त्रिपाठी जी के साथ मिल कर पहली बार सरस्वती पूजा की शुरुआत की थी। सन 2003 में सूरीनाम मे विश्व हिन्दी सम्मेलन कराने में भी उनका बहुत बड़ा सहयोग रहा था। यहाँ तक की भारतीय दूतावास को भी अपने घरों में से एक घर दिया। सूरीनाम में अपने पुत्रों, पौत्री-पौत्रों को भी चिकित्सक बना सूरीनाम में अस्पताल खोलकर वहाँ सेवा पर लगाया है।


सूरीनाम के राष्ट्रपति चन्द्रिका प्रसाद संतोखी ने अपने संदेश में कहा कि स्वर्गीय डॉ रामनारायण मोहन प्रसाद ननंन पाँडे एक नाम नहीं वह अपने आप में पूरा इंस्टीट्यूट थे। हमारे मार्गदर्शक के रूप में पूरे समाज को राह दिखाने वाले, एक शिक्षाविद, कुशल राजनीतिज्ञ, व समाज व सूरीनाम के लोगों की हमेशा मदद करने वाले हमारे सरपरस्त थे। उनके चले जाने से सबको बहुत बड़ी क्षति पहुची है ।


उनके अंतिम संस्कार में सूरीनाम के सभी धर्मों के गुरुओं जिसमें मोलनी, पंडित, व ईसाई धर्म ने उनके प्रति अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा “हमने आज सूरीनाम के एक होनहार पुत्र सूरीनाम के मार्गदर्शक व पिता तुल्य गुरू को खो दिया है। उनके अंतिम संस्कार में सूरीनाम के राष्ट्रपति चन्द्रिका प्रसाद जी का वक्तव्य इस लिंक द्वारा देखा सुना जा सकता है। सूरीनाम के सभी चैनलों व समाचार में उनके निधन की सूचना प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित हुई है ।

उन्हें सादर नमन एवं श्रद्धांजलि



डॉ ऋतु शर्मा ननंन पाँडे
अध्यक्ष अंतरराष्ट्रीय हिन्दी संगठन नीदरलैंड,

RituS0902@gmail.com

2 thoughts on “सूरीनाम के महान सुपुत्र, मार्गदर्शक डॉ.राज नारायण मोहन प्रसाद ननंन पाँडे (क्रिस ननंन पाँडे) अब इस दुनिया में नहीं रहे – (श्रद्धांजलि)”
  1. क्रिस ननंन पाँडे जी को विनम्र श्रद्धांजलि। सूरीनाम में हिंदुस्तानी भाषा और संस्कृति का वह एक सुदृढ़ स्तंभ थे। उनका प्रस्थान सम्पूर्ण समाज की क्षति है। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें।

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