हिंदी राइटर्स गिल्ड कैनेडा का बहुभाषी फाग-राग और हिंदी ओलंपियाड २०२५ फ़्लायर का लोकार्पण

मार्च १५, २०२५ को हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा द्वारा होली के रंगों और विभिन्न भारतीय मातृभाषाओं के मधुर गीतों से सराबोर एक अनूठे कार्यक्रम “होली के गीत-रंग, मातृभाषाओं के संग” का भव्य आयोजन स्प्रिंगडेल लाइब्रेरी, ब्रैम्पटन, ओंटारियो में किया गया। यह कार्यक्रम न केवल रंगों का उत्सव था, बल्कि भारत की समृद्ध भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का भी उत्सव था, जिसमें भारत की विभिन्न भाषाओं के लोकगीतों और पारंपरिक नृत्यों को प्रस्तुत किया गया।

इस महत्वपूर्ण अवसर पर विश्वरंग फ़ाउंडेशन (भारत), रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय, भोपाल (भारत) और वनमाली सृजनपीठ के संयुक्त आयोजन में आयोजित होने वाले “हिंदी ओलंपियाड २०२५” की घोषणा करने वाले पोस्टर का लोकार्पण किया गया। इस कार्यक्रम में हिन्दी राइटर्स गिल्ड के निदेशक मंडल के सभी सदस्य और भारतीय डायसपोरा के गणमान्य लोग उपस्थित थे।

इस लोकार्पण के अवसर पर गिल्ड की सह-संस्थापक निदेशिका डॉ. शैलजा सक्सेना ने रवीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के साथ अपने समझौता ज्ञापन की सूचना को सबके समक्ष दोहराते हुए बताया कि संस्था ने सदैव विश्वरंग के कार्यक्रमों में प्रस्तुतियों के माध्यम से साझेदारी निबाही है और अब इस ओलंपियाड में भाग लेकर हम सितंबर १४ से सितंबर ३० तक विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर हिंदी के वैश्विक उत्सव में भाग लेंगे।

हिंदी ओलंपियाड के नाम से यह आयोजन पहली बार हो रहा है जिसमें विश्व के अनेक देश भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर संस्था के अन्य निदेशक- कृष्णा वर्मा, डॉ. बंदिता सिन्हा, विद्याभूषण धर, संदीप कुमार सिंह, योगेश ममगाईं, पीयूष श्रीवास्तव, प्रीति अग्रवाल ने इस लोकार्पण में भाग लिया।

इस कार्यक्रम में दुबई से आईं लेखिका और आर.जे. मीनाक्षी धन्वंतरी के काव्य-संग्रह “मैं हूँ एक लम्हा” का लोकार्पण किया गया। उसके बाद काश्मीरी, गढ़वाली, छत्तीसगढ़ी, तमिल, मराठी, बृज, भोजपुरी और राजस्थानी भाषा में होली के लोकगीत और लोकनृत्य प्रस्तुत किये गये। अंगिका भाषा में प्रस्तुत की गई हास्य नाटिका और जोगीरा ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

अनेक भाषाओं में पूरे भारत की होली उस सभागार में साकार हो उठी। गीतों की मधुर तान, ढोलक की थाप, मधुर स्वरों के आरोह, अवरोह और थिरकते पैरों के आनंद, उल्लास और विभिन्न व्यंजनों की मिठास ने इस कार्यक्रम को अति-विशेष बना दिया।

रिपोर्ट – डॉ. शैलजा सक्सेना

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