
“मुझे लिखना बहुत था बहुत कम लिख पाया, मैंने देखा बहुत, सुना भी मैंने बहुत, महसूस भी किया बहुत, लेकिन लिखने में थोड़ा ही लिखा। कितना कुछ लिखना बाकी है…. इस बचे हुए को मैं लिख लेता अपने बचे होने तक।”
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