‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक पर आयोजित विमोचन-समारोह संपन्न

नारनौल। ‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक का प्रकाशन लघुकथा विधा की विकास-यात्रा की एक महत्त्वपूर्ण उपलब्धि और ऐतिहासिक घटना है। यह कहना है अटलबिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल (मध्यप्रदेश) के कुलपति डॉ. खेमसिंह डहेरिया का। स्थानीय हूडा सैक्टर स्थित अंतरराष्ट्रीय सांस्कृतिक केंद्र मनुमुक्त भवन में आयोजित विमोचन-समारोह में विख्यात साहित्यकार डॉ. रामनिवास ‘मानव’ द्वारा संपादित ‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक के विमोचन के उपरांत, बतौर मुख्य अतिथि उन्होंने कहा कि पूरे विश्व के लघुकथाकारों की एकत्र प्रस्तुति एक दुष्कर कार्य था, जिसे डॉ. ‘मानव’ ने संभव कर दिखाया है। अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में महाकाली साहित्य-संगम, महेंद्रनगर (नेपाल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष हरीशप्रसाद जोशी ने, डॉ. ‘मानव’ को सुदृढ़ साहित्य-सेतु बताते हुए, कहा कि साहित्य के माध्यम से विश्व-भर के साहित्यकारों को जोड़ने का सार्थक और सराहनीय प्रयास कर रहे हैं डॉ. ‘मानव’। लघुकथा के विकास में उनका योगदान अविस्मरणीय है। इस अवसर पर आंधी खोला से पधारे नेपाल के पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और वरिष्ठ साहित्यकार त्रिलोचन ढकाल और सिंघानिया विश्वविद्यालय, पचेरी बड़ी (राजस्थान) के कुलपति और भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी डॉ. मनोजकुमार गर्ग ने, ‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएँ’ पुस्तक के संपादन पर डॉ. ‘मानव’ को बधाई देते हुए, उनके साहित्यिक योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। त्रिभुवन विश्वविद्यालय, झोटा बजांग (कंचनपुर) के प्रोफेसर डॉ. केएन बियोगी, लुंबिनी (नेपाल) के साहित्य-सेवी रामप्रसाद पराजुली और ग्वालियर (मध्यप्रदेश) के वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. माताप्रसाद शुक्ल ने, विमोचित कृति के महत्त्व को रेखांकित करते हुए, इसे लघुकथा विधा की विशिष्ट वैश्विक उपलब्धि बताया। इससे पूर्व पुस्तक के संपादक डॉ. ‘मानव’ ने स्पष्ट किया कि ‘वैश्विक हिंदी-लघुकथाएं’ पुस्तक में छह महाद्वीपों और सोलह देशों के चौवालीस लघुकथाकारों की चार-चार प्रतिनिधि लघुकथाओं को शामिल किया गया है। अमेजोन के माध्यम से पूरे विश्व में उपलब्ध चार सौ रुपए मूल्य की इस पुस्तक का द्वितीय संस्करण भी अनिल प्रकाशन, दिल्ली द्वारा शीघ्र प्रकाशित किया जा रहा है। समारोह में ट्रस्टी डॉ. कांता भारती, साहित्य-मंडल, श्रीनाथद्वारा के प्रधानमंत्री, केपीएस काॅलेज, रतनगढ़ (राजस्थान) के प्रिंसिपल डॉ. यशवीर दहिया, प्रवासी भारतीय हरमहेंद्रसिंह यादव, टोरंटो (कनाडा), अधिवक्ता सुरेंद्र यादव आदि गणमान्य नागरिकों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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