‘राम तुम्हारे अनंत आयाम’ कार्यक्रम का आयोजन

हिन्दी राइटर्स गिल्ड कनाडा द्वारा रामनवमी के पावन अवसर पर “राम तुम्हारे अनंत आयाम” कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम स्प्रिंगडेल पब्लिक लाइब्रेरी में सम्पन्न हुआ। सभी वक्ताओं ने प्रभु श्री राम, उनकी महिमा व उनसे सम्बंधित पात्रों का जिस सूक्ष्मता से वर्णन किया जो अद्वितीय था। गिल्ड की संस्थापक निदेशिका डा. शैलजा सक्सेना ने पधारे सभी अतिथियों का स्वागत किया व उन्होंने राम के अस्तित्व व उनकी प्रासंगिकता पर विस्तार से अपने विचार रखे । तत्पश्चात् उन्होंने कार्यक्रम के संचालन हेतु डा. नरेंद्र ग्रोवर को मंच पर आमंत्रित किया। कार्यक्रम का प्रारम्भ तुलसीदास जी द्वारा रचित भजन “श्री रामचंद्र कृपाल भजुमन ” से हुआ, जिसे आशा बर्मन, इन्दिरा वर्मा, छाया कोटनाला व आशा मिश्रा ने प्रस्तुत किया। तारा वार्ष्णेय जी ने राम स्तुति में कहा “राम दृष्टा भी हैं और दृष्टि भी हैं।“ बिहार से संबंधित पंकज मिश्रा ने भगवान राम पर प्रश्न व उत्तर रूपी वार्तालाप के माध्यम से राम कौन है पर रचना पढ़ी। पीयूष श्रीवास्तव ने रामायण पर अपनी लिखी एक लम्बी कविता का छोटा सा अंश समय सीमा में मर्यादित रह कर पढ़ा। सपत्नीक पधारे दीप शुक्ला जी जैसे रामभक्तों  की उपस्थिति ने “हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनेडा” के संस्कारों पर अपनी मुहर लगाई है । उन्होंने,

 “सभी ख़ुशी में नाचे हैं, मन में सबके बसे हैं राम

पुनः अयोध्या हर्षित हो गई पाकर अपने सुंदर राम,

पाँच सदी की व्याकुलता का कोई मोल ना पाएगा 

त्रेता से लेकर कलियुग तक सबके अपने अपने राम”

 

कविता पढ़ कर प्रभु श्री राम की महिमा का वर्णन किया । नीरजा जोशी ने “मेरे घर राम आये हैं“ गीत पर नृत्य कर कार्यक्रम को राममय बना दिया । सभी ने उनके नृत्य की भूरी-भूरी प्रशंसा की। शैलजा सक्सेना जी द्वारा राम के वैश्विक अस्तित्व की महत्वपूर्ण जानकारी ने सभी श्रोताओं को अभिभूत कर दिया। कृष्णा वर्मा जी ने लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पर अपने विचार रखे। उन्होंने माना कि रामायण में उन्हें उपेक्षित किया गया। अपने वक्तव्य में उन्होंने उर्मिला की महिमा व त्याग का वर्णन किया । कृष्णा जी के बाद ग्रोवर जी ने सविता अग्रवाल जी को मंच पर आमंत्रित किया । जिन्होंने “मैं सुलगती रही” कविता के माध्यम से हर युग में स्त्री के संघर्ष की पीड़ा को व्यक्त किया। आशा बर्मन जी ने सुमित्रा व कामिनी सिंह ने कौशल्या पर अपने विचारों से अभिभूत किया। सरस दरबारी जी ने अपनी सरस आवाज़ में “राम का आना “ कविता पढ़ी। उन्होंने कहा कि जब दर्द होता है तो माँ याद आती है और जब विपदा आती है तो मुख से राम निकलता है । गिल्ड की तकनीकी निदेशिका पूनम चंदा “मनु” ने श्री राम की सौम्यता व न्यायप्रिय छवि का वर्णन करते हुए कहा कि राम तुम बिल्कुल मेरे पुत्र जैसे हो। प्रोफ़ेसर सतीश सेठी जी ने” रामलीला” कविता के माध्यम से राम की लीलाओं व त्याग का वर्णन किया । गिल्ड के वरिष्ठ सदस्य विजय विक्रांत जी ने राम मंदिर से जुड़े अपने अनुभवों को साँझा किया। गिल्ड की निदेशिका डा. बंदिता सिन्हा ने मर्यादा पुरुषोत्तम राम जी के जीवन चरित्र पर प्रकाश डाला। गिल्ड की निदेशिका प्रीति अग्रवाल जी ने रामायण के पात्र जटायु पर अपने उद्गार व्यक्त किये। सरोजनी जौहर जी ने अपनी रचना “ मेरे राम के गीत गा कर तो देखो…” पढ़ी। पंकज मिश्र जी ने अपने पूज्य पिता सूर्य पाल मिश्र जी की भगवान राम पर लिखी रचना सुनाई । नराले जी ने सीता हरण पर अपना स्वर बद्ध गीत प्रस्तुत किया। तत्पश्चात योगेश ममगाईं ने अपनी कविता “राम मेरे जब भी धरा पर, जन्म का तुम मन विचारो/ सूर्य वंशी अब न बन कर कोख शबरी की सँवारो” सुनाई। जिसे सभी ने खूब सराहा। केसवानी जी ने राम जी पर अपने विचार छोटी सी कविता द्वारा प्रकट किए। अंतिम प्रस्तुति देने हेतु अब बारी थी संचालक महोदय यानि डा. नरेंद्र ग्रोवर जी की जिन्होंने रामायण के पात्र मंथरा पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि मंथरा यदि न होती तो शायद रामायण भी न लिखी जाती। माहेश्वरी जी ने ग्रोवर जी को उनके मंझे हुए संचालन के लिये धन्यवाद किया। अंत में शैलजा सक्सेना जी ने सभी को हिन्दी राइटर्स गिल्ड के आगामी कार्यक्रमों से अवगत कराया। उन्होंने जानकारी दी कि गिल्ड के कार्यक्रमों को अब फ़ेसबुक व यूट्यूब लाइव पर भी देखा जा सकता है। उन्होंने बताया कि आगामी शनिवार को सुबह 9:30 पर गिल्ड की निदेशिका कृष्णा वर्मा जी की चार जापानी विधाओं पर लिखी किताबों का लोकार्पण हिन्दी राइटर्स गिल्ड के फ़ेसबुक लाइव पेज पर किया जायेगा। जिसमें भारत के जाने माने साहित्यकारों द्वारा पुस्तकों पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने सभी को जलपान के लिये आमंत्रित किया। 

गिल्ड के कार्यक्रम में समय व परिस्थितियों के हिसाब से बहुत से लोग आते जाते रहते हैं। हम व हमारे चाहने वाले कवि, वक़्ता या अपनी प्रस्तुति के लिये तो आते ही हैं परंतु कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कुछ कहने नहीं बस सुनने को ही अपना अहोभाग्य मानते हैं। और आज यदि उनमें से एक दम्पति का मैं नाम नहीं लूँगा तो स्वयं को हमेशा कोसता रहूँगा। ये हैं श्रीमती व श्री राकेश मिश्रा जी। इस सुन्दर आयोजन के लिये गिल्ड को एक बार पुनः हार्दिक बधाई !

रिपोर्ट : ~ योगेश ममगाईं

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