
सिंगापुर के मैथिल समूह द्वारा ‘जानकी नवमी महोत्सव 2025’ के द्वितीय संस्करण का आयोजन किया गया
शनिवार 3 मई 2025 को सिंगापुर के मैथिल समूह (Maithils In Singapore) द्वारा जनकनंदिनी माँ जानकी के अवतरण दिवस के उपलक्ष्य में “जानकी नवमी महोत्सव 2025” के द्वितीय संस्करण का आयोजन किया गया। मिथिला की समृद्ध लोक-संस्कृति के विविध रंगों से सजे इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय उच्चायोग सिंगापुर में द्वितीय सचिव के रूप में कार्यरत श्री अरविंद श्रीवास्तव एवं उनकी धर्मपत्नी श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव की गरिमामयी उपस्थिति रही। राजीव मिश्रा द्वारा स्वागत-उद्बोधन के पश्चात् मुख्य अतिथि द्वारा दीप-प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। अष्टदल फाउंडेशन के बाल कलाकारों द्वारा मिथिला चित्रकला शैली से सजे सुंदर दोपटों से अतिथि युगल का सम्मान किया गया। मयूर मिश्रा, समीक्षा रॉय, आन्या चौधरी, अभिनव चौधरी, रिद्धिमा मिश्रा, तनुजा चौधरी एवं आद्या श्रीवास्तव द्वारा माता सीता के बनाए चित्रों को प्रदर्शित किया गया।

माता सीता के जन्मोत्सव के आनंद और उल्लास से परिपूर्ण इस सांस्कृतिक आयोजन में युवा कलाकारों की सहभागिता विशेष रूप से उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति संचालन का दायित्व निभा रही रिद्धिमा मिश्रा ने दी। उन्होंने माँ जानकी के पिता मिथिला नरेश राजा जनक को समर्पित गीत पर मनोरम नृत्य प्रस्तुत किया। वागीशा झा और जीगीशा झा, इन दोनों बहनों ने मिलकर “मिथिला के धिया सिया” और “सिया संग झूले बगिया में राम ललना” इन दोनों गीतों की सुमधुर प्रस्तुति से अतिथियों का मन मोह लिया। वागीशा झा ने गायन के साथ-साथ माता सीता और मिथिला की परंपरा का प्रभावशाली वर्णन भी किया। ईप्सिता वाणी ने कुँवारी कन्याओं द्वारा सुयोग्य वर की मनोकामना से मिथिला में प्रचलित जानकी कृत गौरी वंदना “जय जय गिरिवर राज किशोरी” के गायन के बाद देवी-वंदना पर सुंदर नृत्य-प्रस्तुति दी। प्रेरणा मिश्रा ने “एहन सुंदर मिथिला धाम” लोकगीत का मधुर गायन किया और रायशा मिश्रा ने पहली बार मातृभाषा मैथिली में बोलते हुए माता सीता के जीवन के प्रेरणादायी प्रसंग का सुंदर वर्णन किया। वागीशा वाणी ने सीता के जन्मोत्सव के आनंदभाव को समेटे “भए प्रगट कुमारी जानकी” पर चित्ताकर्षक नृत्य-प्रस्तुति दी। अभिनव चौधरी ने सीता जन्म सोहर “प्रगटी सिया सुखदैया” का सुंदर गायन किया। माँ-बेटी की प्रतिभाशाली जोड़ी – तनुजा चौधरी एवं आन्या चौधरी ने पहली बार एक साथ मंचीय प्रस्तुति देते हुए, पद्मश्री से सम्मानित श्रीमती मालिनी अवस्थी के सीता जन्म सोहर “मिथिला मगन भई आज सिया को जन्म भयो” पर मनमोहक नृत्य किया।



ख़ुशबू मिश्रा ने मैथिली कविता की ओजस्वी प्रस्तुति दी और पंकज रॉय ने अपनी बिटिया समीक्षा रॉय के बनाए हुए चित्र की व्याख्या के साथ ही अपनी विशिष्ट शैली में जनकपुर यात्रा संस्मरण का रोचक वर्णन भी किया। कणाद मिश्र ने माता सीता से जुड़ी कथा का प्रभावशाली वाचन किया। रितु मिश्रा, प्रिया झा और तनुजा चौधरी ने जानकी जन्म सोहर “धन्य पुनौरा गाम” की मनमोहक सामूहिक गायन-प्रस्तुति से सबको आनंदित कर दिया। अंजनी कुमार चौधरी ने माता सीता की अवतरण-स्थली पुनौरा गाँव के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को रेखांकित करने के साथ ही, एक सुंदर गीत की प्रस्तुति भी दी। इसके बाद उन्होंने मैथिली की लिपि मिथिलाक्षर के प्रचार-प्रसार हेतु समर्पित ‘दूर्वाक्षत मिथिलाक्षर अभियान’ का संक्षिप्त परिचय दिया। सिंगापुर शाखा से प्रवीण हुए पाँच परीक्षार्थियों – अल्पना मंत्र, पंकज रॉय, रितेश झा, विजय कुमार, और कणाद मिश्र – को मुख्य अतिथि के द्वारा प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया।


आराधना झा श्रीवास्तव ने आधुनिक संदर्भ में माता सीता की व्याख्या के साथ ही अपनी मैथिली कविता का पाठ किया। इसके बाद मुख्य अतिथि श्री अरविंद श्रीवास्तव के द्वारा कार्यक्रम में रचनात्मक योगदान देने वाले सभी कलाकारों को स्मृति-चिह्न से सम्मानित किया गया। अपने अतिथि-उद्बोधन में श्री अरविंद श्रीवास्तव और श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव ने सिंगापुर की धरती पर माँ जानकी के जन्मोत्सव ‘जानकी नवमी महोत्सव 2025’ के द्वितीय संस्करण के आयोजन की भूरि-भूरि प्रशंसा करते हुए कहा कि, ऐसे सांस्कृतिक आयोजन सामुदायिकता की भावना को संपोषित करती है और नई पीढ़ी को अपनी लोक-संस्कृति और परंपराओं से जोड़ती है। आराधना झा श्रीवास्तव ने सभी सहयोगी परिवारों एवं कलाकारों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम के स्मरणीय क्षणों को कैमरे में संजोने का कार्य राकेश चौहान ने किया और आयोजन-स्थल की सुंदर साज-सज्जा का उत्तरदायित्व रितु मिश्रा, प्रिया झा और तनुजा चौधरी ने निभाया। ‘जानकी नवमी महोत्सव 2025’ सिंगापुर में मैथिल समाज की एकजुटता, नारी सशक्तीकरण, सांस्कृतिक एवं सामाजिक चेतना के साथ-साथ मिथिला की लोक-परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक बन गया।
